Dehradun News: बागेश्वर में फिर सामने आया मास हिस्टीरिया का मामला, छात्राएं हो रही हैं बेहोश, पहाड़ में अक्सर होती हैं यह घटनाएं
Dehradun News: उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के सरकारी स्कूलों में छात्राओं का रहस्यमय ढंग से चीखें मारकर अर्धबेहोश हो जाने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। ताजा मामले में कुमाउं मंडल के बागेश्वर जिले के आखिरी स्कूल में इस प्रकार की घटना प्रकाश आई है।
Dehradun News: उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के सरकारी स्कूलों में छात्राओं का रहस्यमय ढंग से चीखें मारकर अर्धबेहोश हो जाने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। ताजा मामले में कुमाउं मंडल के बागेश्वर जिले के आखिरी स्कूल में इस प्रकार की घटना प्रकाश आई है। जिले के सुदूर क्षेत्र में स्थित खाती के राजकीय इंटर कालेज की यह छात्राएं इन दिनों मास हिस्टीरिया से पीड़ित हैं। विद्यालय आने पर इन छात्रों का बदहवास होकर चिल्लाना, रोना, नाचने जैसी अजीबोगरीब हरकतें करने का सिलसिला जारी है। छात्राओं की इस स्थिति को देखते हुए उनके अभिभावक बेहद परेशान हैं। ज्यादा प्रभावित तीन छात्राओं का एहतियात के लिहाज से विद्यालय जाना बंद हो गया है। इस मामले में अभिभावकों का कहना है कि वह इन बालिकाओं का उपचार भी करा रहे हैं। घर में वह स्वस्थ्य रहती हैं और विद्यालय जाने पर बीमार हो रही हैं।
इस खास उम्र और स्कूलों की है यह समस्या
बता दे कि उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों (मैदानी क्षेत्रों में यह नहीं होता) के केवल सरकारी विद्यालयों (अभी तक किसी निजी विद्यालय में ऐसी घटना प्रकाश में नहीं आई है) की छात्राएं अक्सर समूह में चीखना, चिल्लाना, रोना, बदहवास होना शुरू कर देती हैं। इसमें सबसे पहले किसी एक छात्रा को इस प्रकार का दौरा पड़ता है। फिर उसकी देखा देखी उसके संपर्क की सहेली भी ऐसी ही हरकतें करना शुरू कर देती है। फिर देखते ही देखते उनके साथ की अन्य छात्राओं को भी ऐसे दौरे पड़ने लगते हैं।
यह नजारा बिल्कुल कुछ इस तरह का ऐसा होता है जैसे किसी व्यक्ति को उल्टियां करते देख, देखने वाले को भी उल्टियां होने लगती हैं या फिर वह विचलित होने लगता है। अपनी इस स्थिति के दौरान छात्राएं बदहवासी की हालत में एक जगह से दूसरी जगह दौड़ने, जोर जोर से चिल्लाने, रोने, दार्शनिक की तरह एक जगह गुमसुम स्थिति में बैठने, सिर पटकने जैसी कोई भी असामान्य हरकतें करने लगती हैं। यह स्थिति केवल दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में, उसमें भी किशोर व युवावस्था के बीच चल रही हाई स्कूल या इंटरमीडिएट की छात्राओं के सामने उत्पन्न होती है। माइनर (प्राइमरी) अथवा अपर (महाविद्यालय स्तर) पर यह स्थिति कभी नहीं देखी गई। एक बात और काबिलेगौर यह है कि यह नजारा केवल सरकारी स्कूलों में ही दिखता है। किसी निजी स्कूल में आज तक इस प्रकार की कोई घटना प्रकाश में नहीं आई है।
जिले का आखिरी स्कूल है खाती
बागेश्वर जिले के जिस स्कूल में यह ताजा मामला सामने आया है वह पिंडारी ग्लेशियर के रास्ते का अंतिम गांव खाती के अजकीय इंटर कालेज का है। जहां वर्तमान में लगभग 75 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। सुदूर क्षेत्र होने के कारण मोबाइल कनेक्टिविटी यहां सहज रूप से उपलब्ध नहीं है। इसी स्कूल की कक्षा नौ से 12 वीं तक की छात्राएं इन दिनों रहस्यमय ढंग से बेहोश हो रही हैं। वह चिल्लाने लगती है और अजीब हरकतें करती हैं। इस स्कूल में छात्राओं की इन असामान्य हरकतों का सिलसिला नवंबर के अंतिम सप्ताह में तब शुरू हुआ जब यहां दो छात्राएं अचानक बिना किसी वजह के बेहोश हो गई। धीरे धीरे समस्या से प्रभावित छात्राओं की संख्या 15 तक पहुंच गई। ताजा मामले में बीते मंगलवार कल तीन छात्राएं फिर से अजीब हरकत करने लगी। इसके बाद लगभग 80 किमी दूर खाती से एक अभिभावक अपनी पुत्री को लेकर इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचे। तब उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उनकी बेटी घर में स्वस्थ रहती है। विद्यालय जाने पर वह अजीब हरकतें कर रही है। डाक्टरों को दिखाया और उन्होंने बताया कि वह मास हिस्टीरिया की शिकार हो सकती है। उन्होंने बताया कि तीन छात्राएं इस बीच विद्यालय नहीं जा रही हैं।
घर पर सामान्य रहती हैं छात्राएं
इस मामले में खाती के यामू सिंह, तारा सिंह, प्रकाश सिंह, चंल सिंह आदि अभिवावकों का कहना है कि उन्होंने अपनी बालिकाओं को अस्पताल भी दिखाया गया। इसके साथ ही विद्यालय में पूजा का आयोजन भी किया गया। लेकिन इसके बाद भी बच्चियों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। जबकि यह बच्चियां घर में पूरी तरह से स्वस्थ रहती है। केवल विद्यालय जाने पर ही वह अजीब हरकतें कर रही है।
मोबाइल के सिग्नल भी नहीं आते स्कूल में
दूसरी तरफ इस समस्या से विद्यालय के शिक्षक भी परेशान हैं। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में मोबाइल के सिग्नल कम आने के कारण ऐसे संवेदनशील मामले की जानकारी वह उच्चाधिकारियों को समय से भी नहीं दे पाते है। अध्यापकों ने पीड़ित छात्राओं के इलाज के लिए विद्यालय में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने की मांग की है।
पहाड़ में इसे देवता आना बोलकर इलाज करते हैं लोग
पहाड़ों में एक खास आयु वर्ग की इन छात्राओं की समस्या को ग्रामीण गांव में देवता आने की परम्परा से जोड़ते हुए प्रभावित छात्राओं के इलाज के लिए जागर (एक प्रकार की प्रेत बाधा दूर करने वाली पर्वतीय शैली की तंत्र पूजा पद्धति) का आयोजन करते हैं। जिसके तहत जागरिया (तंत्र विद्या का पुजारी) मंत्रोच्चार करते हुए पीड़ितों का उपचार करता है। लेकिन इस अंधविश्वास को शिक्षित तबका कोई तवज्जो तो नहीं देता लेकिन और कोई त्वरित व प्रभावी विकल्प न होने के कारण छात्राओं के अभिवावकों के कोप से बचने के लिए वह कोई प्रभावी विरोध भी नहीं कर पाता। पढ़े लिखे लोगों की राय में यह मास हिस्टीरिया का मामला है। जो उम्र की इस नाजुक दहलीज पर खड़ी छात्राओं के हार्मोंस परिवर्तन, भावनात्मक रूप से एक दूसरे से ज्यादा लगाव, बोर्ड परीक्षाओं के खौफ जैसी वजहों से हो सकता है, जिसका इलाज ऐसी पीड़ित छात्राओं की बेहतर काउंसलिंग ही है।
खाती की घटना के बारे में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी हरीश पोखरिया ने बताया कि बोर्ड परीक्षाएं नजदीक हैं। छात्राएं कई किमी पैदल चलकर विद्यालय पहुंचती हैं। जाड़ों के दिन हैं। भोजन आदि भी भरपेट सुबह नहीं करतीं हैं। वह मास हिस्टीरिया की शिकार हो सकती हैं। उनकी काउंसलिंग की जाएगी। इससे पहले जिले के रैखोली फिर शामा में भी इस तरह के केस मिले। लेकिन वर्तमान में उन विद्यालयों में स्थिति ठीक है। जबकि बागेश्वर के मुख्य शिक्षाधिकारी गजेंद्र सौन का कहना है कि बीते माह में राइंका खाती से सूचना मिली थी। प्रधानाचार्य से फोन पर वार्ता की जा रही है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए सभी प्रधानाचार्यों को शनिवार को बुलाया गया है। विद्यालय में मास हिस्टीरिया से पीड़ित छात्राओं की सघन स्वास्थ्य जांच के लिए विद्यालय में ही स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया जाएगा।