मोदी कैबिनेट का विस्तार जल्द, UP के चेहरों पर खास नजर, एक चाल से कई निशाना साधने की है कोशिश?

मोदी सरकार के कैबिनेट का विस्तार जल्द, यूपी में चुनाव से पहले राज्य के किन सांसदों को कैबिनेट में मिलेगी जगह और क्यों

Update: 2021-06-28 10:26 GMT

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जनज्वार ब्यूरो। आनेवाले विधानसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार एनडीए कुनबे का विस्तार करने वाली है। खबर है कि जल्द ही केंद्र की मोदी सरकार 2.0 का विस्तार होनेवाला है। जम्मू-कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक संपन्न होने के साथ ही कैबिनेट फेरबदल ने एक बार फिर गति पकड़ ली है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुशील मोदी, सर्बानंद सोनोवाल, नारायण राणे और भूपेंद्र यादव सहित 27 संभावित नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल के बड़े पैमाने पर फेरबदल का हिस्सा हो सकते हैं।

इस फेरबदल और कैबिनेट विस्तार के जरिये मोदी सरकार, यूपी समेत छह राज्यों में होनेवाले चुनाव को देखते हुए एडीए के कुनबे को बढ़ाना चाह रही है। लेकिन चर्चा ये भी है कि इसके जरिये उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण को संतुलित करने की भी कोशिश होगी।

कैबिनेट का विस्तार जल्द

खबर है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 30 जून शाम 5 बजे कैबिनेट के सभी मंत्रियों की एक वर्चुअल मीटिंग बुलाई है। मोदी कैबिनेट की इस मीटिंग की सबसे अलग बात ये है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार से पहले यह केंद्रीय कैबिनेट की आखिरी बैठक हो सकती है। और इसके बाद जब मंत्री परिषद की बैठक होगी तो उसका स्वरूप बदला हुआ हो सकता है। दरअसल, राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा तेज है कि जुलाई के पहले सप्ताह में ही मोदी सरकार के कैबिनेट का विस्तार हो सकता है।

एक दो नहीं, बल्कि 27 सांसदों के कैबिनेट में शामिल होने की चर्चा हर तरफ है। सियासी हलकों में कई नामों की चर्चा है, जिनमें असम के पूर्व सीएम सर्वानंद सोनोवाल, बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री बन सकते हैं। महाराष्ट्र से नारायण राणे के मंत्री बनने की भी संभावना है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से दो मंत्री बनाए जा सकते हैं। पंकजा मुंडे के मुक़ाबले प्रीतम मुंडे का पलड़ा भारी है। बीड लोकसभा की सांसद प्रीतम मुंडे बीजेपी के सीनियर नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं। पापा की पॉलिटिकल लीगेसी को संभालने में प्रीतम मुंडे अपनी बहन पंकजा से आगे चल रही हैं। वहीं बीजेपी की सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल, यूपी से शिव प्रताप शुक्ल, वरूण गांधी के नाम की भी चर्चा है।

यूपी में क्या एक तीर से दो निशाना साधने की है कोशिश

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन राजनीति हलचल अभी से तेज है। कैबिनेट विस्तार में यूपी से शामिल होने वाले चेहरों को भी चुनावी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि यूपी से शिव प्रताप शुक्ल, वरूण गांधी और बीजेपी की पुरानी सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल को जगह मिल सकती है।

शिव प्रताप शुक्ल- मोदी सरकार के पहले शासन में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री रहें और राज्यसभा सदस्य शिवप्रताप शुक्ल को माना जा रहा है कि इस बार फिर जगह मिल सकती है। राजनीति के जानकारों की मानें तो योगी आदित्यनाथ के ठाकुरों के प्रतिनिधित्व वाली राजनीति से परेशान ब्राह्मणों को साधने की ये एक कोशिश हो सकती है। साथ ही पूर्वांचल में योगी और शिव प्रताप शुक्ल दो धूरी के समान माने जाते हैं, ऐसे में ये योगी आदित्यनाथ को नियंत्रित करने की भी एक नीति का हिस्सा हो सकता है। शिव प्रताप शुक्ल बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और उसकी विचारधारा के पोषक होने के नाते संगठन में उनकी गहरी पकड़ रही है।

वरुण गांधी- लगातार तीसरी बार सांसद बने वरुण गांधी को भी इस बार मंत्रिमंडल की रेस में माना जा रहा है। अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें युवा चेहरे के रूप में केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिल सकती है। हालांकि, इससे पहले भी कैबिनेट विस्तार में उनका नाम चर्चा में रहा है।

अनुप्रिया पटेल- विधानसभा चुनाव से पहले अपने सहयोगियोंको बीजेपी साथ लेकर चलना चाहती है। इसलिए अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से लोकसभा सांसद हैं, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वो केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री रह चुकी हैं।

इनके अलावे राज्यसभा सांसद अनिल जैन के नाम की भी चर्चा है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव से लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। हरियाणा और छत्तीगढ़ के प्रभारी भी रहे हैं। वहीं बंगाल चुनाव के प्रभारी रहे भूपेंद्र यादव भी रेस में माने जा रहे हैं। जबकि वेस्टर्न यूपी के जातीय समीकरणों को साधने के लिए किसी जाट चेहरे को भी मंत्री पद दिया जा सकता है।

क्यों होगा मोदी कैबिनेट का विस्तार

दरअसल, मई 2019 में जब से मोदी 2.0 सरकार का गठन हुआ है, तब से एक बार भी कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ। इस बीच शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के NDA से बाहर जाने और LJP कोटे से रामविलास पासवान के निधन के कारण कैबिनेट में जगह खाली हुई है।

ऐसे में जुलाई के फर्स्ट वीक में मंत्रिमंडल विस्तार तय माना जा रहा है। इसकी दो मुख्य वजह है, पहली- आगामी विधानसभा चुनाव और दूसरी- NDA कुनबे का विस्तार। अगले साल यूपी और पंजाब समेत 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले नरेंद्र मोदी अपनी टीम को नया रूप देना चाहते हैं। शायद पावर पॉलिटिक्स, एलायंस पॉलिटिक्स, कास्ट इक्वेशन, स्टेट रिप्रेजेंटेशन जैसे कई फ्रंट पर नरेंद्र मोदी एक साथ बैलेंस बनाकर चलना चाहते है।

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