Farmer Bill : कृषि बिल वापसी पर किसानों ने कहा सरकार के लिए आंदोलनजीवी आज किसान बन गए

Farmer Bill : किसानों ने कहा कि इससे पहले अब तक उन्होंने हम किसानों को माओवादी, गुंडे, आंदोलनजीवी, परजीवी और खालिस्तान जैसे बहुत से खिताब दिए है। किसानों का कहना है कि नरेंद्र मोदी को उनकी गलती का अहसास हो गया है।

Update: 2021-11-19 10:23 GMT

(कृषि बिल वापसी पर किसानों की प्रतिक्रियाएं)

Farmer Bill : आज 19 नवंबर को प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि बिल को वापस लेने की घोषणा की है। इस पर राजनितिक पार्टियों समेत किसानों की भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। जनज्वार ने कृषि बिल वापसी के फैसले पर किसानों ने बात की और उनकी राय जाननी चाही। किसानों का कहना है कि सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हम किसानों को पहली बार किसान माना है। इससे पहले उन्होंने कभी भी हम किसानों को किसान कह कर संबोधित नहीं किया है।

नकली किसान असली बन गए

अलीगढ़ के जिलाध्यक्ष कमांडो ओपी सिंह ने कहा कि पिछले एक साल से हम यहां अपनी नस्ल और फसल की लड़ाई लड़ रहे है। ओपी सिंह ने सरकार के फैसले के समय को राजनितिक एजेंडा बताते हुए कहा कि आज तक हम नकली किसान थे लेकिन आज हमें सरकार के द्वारा असली किसान होने का प्रमाण पत्र दे दिया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि जो भक्त इस बात का गुणगान किया करते थे कि ये आंदोलनजीवी निराधार है। आगे ओपी सिंह ने कहा कि भक्त कहते थे, यह आंदोलन आधारहीन है। वहीं आंदोलन आज आधारयुक्त हो गया है। ओपी सिंह ने कहा 'हम खालिस्तानी थे, आज हिंदुस्तानी हो गए। हम देशद्रोही थे, आज हम राष्ट्रभक्त हो गए।' ओपी सिंह ने पत्रकारों पर भी निशाना साधा और कहा कि कुछ बिके हुए पत्रकार द्वारा भी हमें नकली किसान बताया गया था। पिछले एक साल से हम सरकार के लिए देशद्रोही थे, जो आज हिंदुस्तानी बन गए है। साथ ही उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन अभी वापस नहीं होगा क्योकि अभी भी बहुत सी मांगे लंबित है।

किसानों की प्रतिक्रियाएं

शामली किसान आंदोलन के किसान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मुंह से कृषि बिल वापसी की घोषणा की है। उन्होंने पहली बार किसानों को किसान माना है। अब तक तो वह हमें किसान मानाने से ही इंकार कर रहे थे। साथ ही किसानों ने कहा कि इससे पहले अब तक उन्होंने हम किसानों को माओवादी, गुंडे, आंदोलनजीवी, परजीवी और खालिस्तान जैसे बहुत से खिताब दिए है। किसानों का कहना है कि नरेंद्र मोदी को उनकी गलती का अहसास हो गया है। जिस कारण उन्होंने आज कृषि बिल वापसी की घोषणा की है। घर वापसी को लेकर किसानों ने कहा कि किसान संयुक्त मोर्चा इस विषय पर विचार करने के बाद कुछ फैसला लेगा और वही मान्य होगा। उससे पहले किसानों की घर वापसी नहीं होगी। किसानों ने कहा कि प्रधानमंत्री जुमलेबाज है और हमें उनकी जुमलेबाजी पर भरोसा नहीं है। जब संसद में इस बिल को पास किया जाएगा, तभी भरोसा होगा।

प्रधानमंत्री के जुमलों पर नहीं है भरोसा

किसानों ने प्रधानमंत्री के फैसले को शक के तराजू में तौला है। किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने पहले भी कई जुमले दिए है। वह एक जुमलेबाज है। किसानों ने मोदी के 15 लाख रुपए खाते में दिए जाने की बात को याद दिलाते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री ने कहा था कि 15-15 लाख खाते में आएंगे लेकिन आए क्या। उन्होंने कहा था काला धन वापस आएगा लेकिन नहीं आया।

पत्रकारों ने बताया था आतंकवादी

किसानों ने कहा की आंदोलन के दौरान सरकार समेत गोदी मीडिया में भी हम किसानों को अलग-अलग नाम और पद का दर्जा दिया है। आगे किसानों ने कहा कि पत्रकारों ने किसानों को आतंकवादी, माओवादी खालिस्तान और माफिया समेत न जाने कितने अन्य नामों से पुकारा है। अब उन पत्रकारों को भी शर्मिंदा होना चाहिए। जिस सरकार का साथ देते हुए पत्रकार हमें किसान नहीं बल्कि आतंकवादी बताती थी। आज उस सरकार ने ही हमें किसान माना है और मांफी मांगी है।

एमएसपी पर गारंटी दे सरकार

बातचीत के दौरान किसानों ने कहा कि आंदोलन में हमारे कई किसान परेशान हुए है। किसानों ने कहा कि इस आंदोलन में हमारे 55 हजार से ज्यादा किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई। सैकड़ों किसानों के सिर फूटे है और बहुत से किसान गंभीर रूप से घायल हुए है। लखीमपुर खीरी हिंसा को याद करते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी में ही हमारे ही किसानों को कुचला गया था और हमारे ही किसानों को पुलिस ने पकड़ लिया। अब जब तक सरकार एमएसपी पर गारंटी नहीं देगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

कृषि कानून वापसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि हमारी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला करती है। पीएम के इस फैसले को कृषि सुधारों की दिशा में सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। पीएम मोदी ने किसानों से माफी भी मांगी है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर किसानों को समझाने का भरसक प्रयास किया लेकिन हम उन्हें समझाने में विफल रहे। इसलिए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है।

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