हरियाणा की खाप पंचायतों ने दिया किसानों को समर्थन, सोमवार को दिल्ली करेंगे कूच

इससे पहले हरियाणा के खाप पंचायतों की एक बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया, दादरी से विधायक हरियाणा खाप के प्रधान सोमबीर सांगवान ने इसकी घोषणा की...;

Update: 2020-11-29 16:07 GMT
हरियाणा की खाप पंचायतों ने दिया किसानों को समर्थन, सोमवार को दिल्ली करेंगे कूच

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जनज्वार। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को अब खाप पंचायतों का समर्थन मिल गया है। देशभर के ज्यादातर किसान संगठन पहले से ही आंदोलन में हैं और बड़ी संख्या में किसान सिंधु बार्डर, अतरी बार्डर और निरंकारी मैदान में डटे हुए हैं। इस बीच हरियाणा के दो दर्जन से ज्यादा खाप पंचायतों ने किसानों के आंदोलन को समर्थन देते हुए कल दिल्ली कूच का एलान कर दिया है।

इससे पहले हरियाणा के खाप पंचायतों की एक बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया। दादरी से विधायक हरियाणा खाप के प्रधान सोमबीर सांगवान ने इसकी घोषणा की।

उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि कृषि कानून की फिर से समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है और किसानों की बात सुनी जानी चाहिए। खाप के लोग कल सोमवार को दिल्ली कूच करेंगे।

उधर इससे पहले किसानों ने केंद्र सरकार से वार्ता की पेशकश को ठुकरा दिया। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार बिना शर्त वार्ता करे। वार्ता के लिए यह शर्त किसानों को मंजूर नहीं कि वे पहले बुराड़ी जाएं और उसके बाद वार्ता होगी।

इस बीच किसानों ने नरेला के रास्‍ते दिल्‍ली की ओर कूच कर दिया है। इधर किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए कहा कि हम किसी हाल में बुराड़ी नहीं जाएंगे। उन्‍होंने बताया कि हमारे 30 संगठन मिल कर फैसला ले रहे हैं।

सरकार की ओर से आए पत्र के जवाब में किसानों ने यह साफ कर दिया है कि बिना बुराड़ी गए ही वह बॉर्डर पर धरना रखेंगे और अगले 15 दिनों में दिल्‍ली को पांचों तरफ से घेर लेंगे।

इधर किसानों के पक्ष में ट्वीट करते हुए दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि केंद्र सरकार बिना शर्त किसानों से बात करे। किसानों ने यह भी साफ कर दिया है कि किसी भी राजनीतिक शख्‍स को वे अपने मंच पर जगह नहीं देगे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को दिल्‍ली के बुराड़ी में स्‍थित संत निरंकारी मैदान में आंदोलन करने के लिए कहा था। इसके बाद एक पत्र भी किसान संगठनों को सरकार की ओर से भेजा गया था। इसे लेकर कुसं संगठनों की बैठक हुई थी, जिसमें फैसला लिया गया कि सरकार बिना शर्त वार्ता की पेशकश कर, तभी कोई वार्ता होगी।

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