Hate Speech : IMM बेंगलुरु और अहमदाबाद के छात्रों ने PM Modi की चुप्पी पर उठाए सवाल, कहा - 'आपकी चुप्पी नफरत को बढ़ावा देने वाली'

पीएमओ को भेजे गए पत्र में 183 छात्रों के हस्ताक्षर हैं। हस्ताक्षर करने वालों में आईआईएम बैंगलुरु के 13 और अहमदाबाद के 3 संकाय सदस्य शामिल हैं।

Update: 2022-01-08 04:21 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। 

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों के दौरान देशभर में हेट स्पीच ( Hate Speech ) को बढ़ावा देने की घटनाएं सामने आई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने इस पर अपना रुख साफ नहीं किया है। अब इस बात को लेकर आईएमएम बेंगलुरु और अहमदाबाद (  IMM Bangalore and Ahmedabad ) के छात्रों ने चिंता जताई है। देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पीएमओ ( PMO ) को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी ( Letter ) में प्रबंधन संस्थानों के छात्रों और संकाय सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। छात्रों के एक समूह ने शुक्रवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में अभद्र भाषा और अल्पसंख्यकों पर हमलों पर उनकी चुप्पी को नफरत की आवाजों को बढ़ावा देने वाला करार दिया है। पत्र में कहा गया है कि इससे हेट स्पीच को बल मिलेगा और अलग-अलग समुदायों के बीच तनाव के माहौल बन सकते हैं।

देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा


प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए पत्र में 183 हस्ताक्षरकर्ता हैं। इनमें आईआईएम बैंगलुरु के 13 संकाय सदस्य और आईआईएम अहमदाबाद के तीन संकाय सदस्य शामिल हैं। पत्र में कहा गया है कि हमारे देश में बढ़ती असहिष्णुता पर आपकी यानि प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी, माननीय हम सभी के लिए निराशाजनक है। आप देश के बहुसांस्कृतिक ताने-बाने को महत्व देते हैं। इसलिए आपकी चुप्पी नफरत की आवाजों को बढ़ावा देती हैं। यह हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है। संकाय सदस्यों और छात्रों ने अपने पत्र के जरिए पीएम मोदी से देश को विभाजित करने की कोशिश करने वाली ताकतों से दूर रहने की भी अपील की है। साथ ही इसके लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है।


बेंगलुरु के प्रोफेसरों ने तैयार किया पत्र का मसौदा

पत्र का मसौदा आईआईएम बेंगलुरु के पांच संकाय सदस्यों ने तैयार किया है। इनमें सहायक प्रोफेसर प्रतीक राज, एसोसिएट प्रोफेसर दीपक मलघन, एसोसिएट प्रोफेसर दल्हिया मणि, एसोसिएट प्रोफेसर राजलक्ष्मी वी मूर्ति और एसोसिएट प्रोफेसर हेमा स्वामीनाथन का नाम शामिल है। प्रतीक राज ने कहा कि छात्रों और शिक्षकों के एक समूह ने यह महसूस करने के बाद पहल की कि "चुप रहना अब कोई विकल्प नहीं है, यह कदम उठाया है। हम लोगों ने लंबे समय से जारी नफरत की आवाजों को बढ़ावा देने वाली ताकतों को खारिज कर दिया है। मसौदा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य आईआईएम बैंगलोर संकाय सदस्यों में ईश्वर मूर्ति हैं जो निर्णय विज्ञान के प्रोफेसर हैं। संगठनात्मक व्यवहार और मानव संसाधन प्रबंधन की प्रोफेसर कंचन मुखर्जी, सहायक प्रोफेसर सार्वजनिक नीति अर्पित एस, प्रोफेसर सूचना प्रणाली राहुल डे, रणनीति के प्रोफेसर साईं यायवरम, एसोसिएट प्रोफेसर पब्लिक पॉलिसी राजलक्ष्मी कामथ, एसोसिएट प्रोफेसर अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान ऋत्विक बनर्जी और एसोसिएट प्रोफेसर अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान मनस्विनी भल्ला का नाम शामिल है। राहुल डे संस्थान के कार्यक्रमों के डीन और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय के अध्यक्ष हैं। भल्ला अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान अनुभाग के अध्यक्ष हैं।

नफरत की आवाज को तर्क से जवाब देने की जरूरत

इसके अलावा पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में IIM अहमदाबाद में पढ़ाने वाले हस्ताक्षरकर्ताओं पब्लिक सिस्टम ग्रुप के प्रोफेसर अंकुर सरीन, प्रोफेसर नवदीप माथुर और प्रोफेसर राकेश बसंत अर्थशास्त्र का नाम शामिल है। इन प्रोफेसरों में से प्रोफेसर बसंत ने संपर्क करने पर कहा कि पत्र हस्ताक्षरकर्ताओं की स्थिति को स्पष्ट करता है कि हमारा उद्देश्य इस तथ्य को रेखांकित करना है​ कि अगर नफरत की आवाजें तेज हैं, तो तर्क की आवाज तेज होनी चाहिए।

पत्र में भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्य का भी जिक्र

पत्र में बेंगलुरु दक्षिण से सांसद तेजस्वी सूर्य के हिंदुओं को मुसलमानों और ईसाइयों को परिवर्तित करने के लिए प्रोत्साहित करने वाले विवादास्पद भाषण का भी जिक्र है। हस्ताक्षर करने वालों का कहना है थ्क हाल ही में हरिद्वार और रायपुर हमलों और हरिद्वार धर्म संसद ने ट्रिगर के रूप में काम किया।

पीएम से विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ खड़े होने की अपील

हमारा संविधान हमें बिना किसी डर के, बिना शर्म के, अपने धर्म को सम्मान के साथ निभाने का अधिकार देता है। हमारे देश में अब भय की भावना है। हाल के दिनों में चर्चों सहित पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की जा रही है। हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान किया गया है। यह सब बिना किसी उचित प्रक्रिया के भय के और बिना किसी डर के किया जाता है। इसलिए हम पीएम से अपील करते हैं कि वो नागरिकों को विभाजित करने की कोशिश करने वाली ताकतों के खिलाफ मजबूती से खड़े हों।

रचनात्मक समाज ही विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकता है

हस्ताक्षरकर्ताओं ने से पीएम से अपील की है कि वो घृणा को भड़काने वाली ताकतों को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास करें और देश को एक राष्ट्र के रूप स्थापित करें। हमारा मानना है कि हम एक रचनात्मक समाज ही नवाचार और विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। ऐसा न होने पर वही समाज अपने भीतर विभाजन पैदा कर सकता है। हम एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते हैं जो विश्व में समावेशिता और विविधता के उदाहरण बन सके।

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