उत्तराखण्ड में तबाही मचाने वाली 2013 केदारनाथ त्रासदी के बाद इस साल चारधाम यात्रा में सबसे ज्यादा मौतें

इस साल चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 311 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है, इसमें से सबसे ज्यादा 135 मौतें PM मोदी की दिलचस्पी का केंद्र केदारनाथ में ही हुई हैं, केदारनाथ के बाद मौतों के मामले में यमुनोत्री दूसरे स्थान पर है, जहां 80 मौतें अब तक हो चुकी हैं...

Update: 2022-10-13 13:42 GMT

देहरादून। साल 2013 के बाद से इस साल की चारधाम यात्रा श्रद्धालुओं पर भारी पड़ी है। इस साल चारधाम यात्रा पर आने वाले 311 श्रद्धालुओं की अलग अलग वजहों से जान जा चुकी है। इन मौतों में से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी के केंद्र बने केदारनाथ में सर्वाधिक 135 मौतें हुई हैं। 3 मई को शुरू हुई चारधाम यात्रा में जान गंवाने वालों का आंकड़ा साल 2013 के बाद सर्वाधिक है, जिसका खुलासा उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से हुआ है।

बता दें कि 2013 के केदारनाथ की न भूलने वाली त्रासदी में आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या लगभग 5,000 थी। इस 2013 की आपदा के बाद यात्रा को रोक दिया गया था, जिस वजह से अगले दो साल 2015 तक यात्रा मार्ग पर बहुत अधिक लोगों की भीड़ नहीं देखी गई थी। 2016 के बाद से स्वास्थ्य अधिकारियों ने तीर्थयात्रा दौरान होने वाली मौतों के आंकड़ों को अलग से बनाए रखना शुरू दिया, जबकि इससे पहले इन आंकड़ों को अलग से रखने की कोई व्यवस्था नहीं थी।

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स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2017 की चारधाम यात्रा में कुल 112 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी, जबकि साल 2018 में इनकी संख्या 106 और 2019 में 91 रही। देशभर में कोरोना के प्रकोप के कारण साल 2020 और 2021 में चारधाम यात्रा का आयोजन नहीं हुआ, जिस वजह से यात्रा मार्ग सूना पड़ा रहा।

लेकिन साल 2022 में शुरू हुई चारधाम यात्रा में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं का रेला उत्तराखंड में उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं के इतनी बड़ी संख्या में उमड़ने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पंजीकरण की व्यवस्था करनी पड़ी।

एक तरफ जहां श्रद्धालुओं की भारी संख्या पर नियंत्रण करना प्रशासन के लिए भारी पड़ रहा था तो दूसरी तरफ तमाम श्रद्धालुओं की मौतों के बाद यात्रा की व्यवस्थाओं पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। शुरुआती दो महीने में ही कई मौतों के बाद सरकार ने व्यापक कदम उठाए थे, लेकिन आंकड़ों की माने तो सरकार के यह प्रयास कोई खास सार्थक सिद्ध नहीं हुए।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 311 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। इसमें से सबसे ज्यादा 135 मौतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी का केंद्र केदारनाथ में ही हुई हैं। केदारनाथ के बाद मौतों के मामले में यमुनोत्री दूसरे स्थान पर है, जहां 80 मौतें अब तक हो चुकी हैं। बद्रीनाथ में हुई मौतों की संख्या 75 तो गंगोत्री में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं की कुल संख्या 21 है।

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इस मामले में उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. विनोद कुकरेती का कहना है कि इन सभी मौतों में से लगभग 80% मौतें मेडिकल कारणों से हुई है। मुख्य रूप से कार्डियक अरेस्ट और 20% मौतें दुर्घटनाओं के कारण हुई हैं।

राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार 3 मई से आरंभ हुई इस साल की चारधाम यात्रा में लगभग 40.4 लाख तीर्थयात्री इन चारधामों के दर्शन कर चुके हैं। जिनमे से 29 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने केदारनाथ और बद्रीनाथ का दौरा किया, जबकि 10 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने गंगोत्री और यमुनोत्री का दौरा किया। इसी के साथ चमोली जिले में 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सिखों के पवित्र मंदिर हेमकुंड साहिब में 2.25 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों की रिकॉर्ड संख्या देखी गई है।

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