SP के पद पर रहते अमिताभ ठाकुर का LLB में कैसे हुआ नामांकन, जांच हुई तो नपेंगे कई अधिकारी और कर्मचारी
यूपी के देवरिया जिले के पुलिस अधीक्षक रहते हुए अमिताभ ठाकुर ने जिला मुख्यालय स्थित संत विनोबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एलएलबी में दाखिला लिया था, हालांकि उन्हें यहां से डिग्री नहीं मिल पाई....
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
जनज्वार। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान करनेवाले पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। एक रेप पीड़िता के आरोपी बसपा सांसद का मदद करने के आरोपों से घिरे अमिताभ ठाकुर को शनिवार को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया। इस बीच देवरिया में एसपी रहते हुए संत विनोबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विधि स्नातक के संस्थागत छात्र कैसे बन गए यह पुराना सवाल एक बार फिर चर्चा में है। अगर इसकी जांच आगे बढ़ी तो नियमों की अनदेखी के आरोप में कई कर्मचारी कार्रवाई के जद में आ सकते हैं। हालांकि कई विषयों में फेल होने व अनुपस्थित रहने के कारण उन्हें यहां से एलएलबी की डिग्री नहीं मिल सकी थी।
पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर सेवाकाल में अपने कार्यशैली के चलते कई बार चर्चा में रहे। सरकार से उनके तकरार के किस्से कई बार सामने आते रहे हैं। कहा जाता है कि 10 जुलाई 2015 को अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया था कि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फोन पर धमकाया व सुधर जाने की नसीहत भी दी। इस पर लखनऊ हजरतगंज थानें में अमिताभ ठाकुर ने 24 सितंबर 2015 को मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। हालांकि इसके बाद इन पर एक महिला के साथ रेप का आरोप लगा व वे निलंबित कर दिए गए।
इसके बाद उन्होंने अपने घर व कार्यालय में सूचना चस्पा करा दिया था कि कोई भी महिला आगन्तुक अकेले में कमरे में प्रवेश न करे। वे एक बार फेसबुक पर भी मुकदमा दर्ज करा चुके हैं। किसी यूजर ने फेसबुक पर आई हेट गांधी के नाम से पेज बनाया था। इसके खिलाफ उन्होंने फेसबुक से शिकायत की। इस पर कोई प्रतिक्रिया न आने पर मुकदमा दर्ज करा दिया। वर्ष 2015 में ही वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया से मैच हार जाने पर भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को एक हजार रूपये का चेक भेजा था तथा मैच हारने के लिए धन्यवाद दिया।
जुलाई 2020 में कुख्यात विकास दुबे के सरेंडर करने के बाद ही अमिताभ ठाकुर ने कह दिया कि वह कैसे मारा जाएगा। पुलिस काउंटर के एक दिन पूर्व ही अमिताभ ठाकुर ने सोशल मीडिया पर पूरी कहानी का अंदेशा जता दिया था।
इस बीच आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मैदान में उतरने की घोषणा के बाद से एक बार फिर वे लोगों के बीच चर्चा में हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को शनिवार सुबह गोमतीनगर पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया। अमिताभ ठाकुर चुनाव के लिए जनसंपर्क करने गोरखपुर जा रहे थे।
एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव का कहना है कि दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह करने वाली रेप पीड़िता और उसके साथी ने अमिताभ ठाकुर पर गंभीर आरोप लगाए थे। कहा था कि वह रेप के आरोपी बसपा सांसद अतुल राय की मदद कर रहे हैं। रेप पीड़िता और आरोपी बसपा सांसद अतुल राय भी गोरखपुर के नजदीक के ही रहने वाले हैं, इस वजह से अमिताभ ठाकुर को गोरखपुर जाने से रोका गया है उन्हे गिरफ्तार नहीं किया गया है।
वर्ष 1998-99 में एलएलबी में लिया था नामांकन
यूपी के देवरिया जिले के पुलिस अधीक्षक रहते हुए अमिताभ ठाकुर ने जिला मुख्यालय स्थित संत विनोबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एलएलबी में दाखिला लिया था। हालांकि उन्हें यहां से डिग्री नहीं मिल पाई। सेमेस्टरवाइज परीक्षा में कई पेपरों में फेल होने व अनुपस्थित रह जाने से वे डिग्री नहीं हासिल कर सके। हालांकि संविदा विधि में बैक पेपर भी दिए। आखिरकार 23 मार्च 2003 को जारी रिजल्ट में उन्हें 1800 के कुल पूर्णांक में 680 अंक हासिल हुआ। लेकिन सबसे बडी बात बात यह है कि दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालय में एलएलबी में संस्थागत ही दाखिला हो सकता है। ऐसे में एसपी की सेवा में रहते हुए आखिर उनका नामांकन कैसे हो गया।
उनके बैच में छात्र रहे मौजूदा समय में सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता अमजद खान कहते हैं कि अमिताभ ठाकुर हमलोगों के साथ ही छात्र रहे। एसपी के सेवा में रहते हुए उनका एलएलबी में नामांकन कैसे हो गया। प्राचार्य वाचस्पति द्विवेदी से इस संबंध में और जानकारी करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। नामांकन को लेकर पुलिस मैनुवल के संबंध में चर्चा के लिए पुलिस अधीक्षक श्रीपति मिश्र से मोबाइल पर संपर्क करने पर विभागीय मीटिंग में व्यस्तता का हवाला देते हुए बाद में वार्ता करने की बात कही।
फिलहाल हो रही इन चर्चाओं की अगर जांच आगे बढ़ी तो कई कर्मचारियों की परेशानी बढ़ सकती है। इसमें पुलिस विभाग से लेकर महाविद्यालय के कर्मचारी तक पर कार्रवाई हो सकती है। जांच में यह सवाल उठना लाजिमी है कि महाविद्यालय ने आखिर यह जानते हुए भी एक एसपी का नामांकन संस्थागत छात्र के रूप में कैसे कर लिया। दूसरी तरफ पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों ने इसे संज्ञान में क्यों नहीं लिया। ये सारे विंदु पर जांच होने की स्थिति में कई लोगों की परेशानियां बढ़ सकती है।