Indian Army में जान गंवाने वाले सैनिकों को 'शहीद' कहने पर आर्मी ने जताया ऐतराज, कहा - सजायाफ्ता होते हैं शहीद

भारतीय सेना ( Indian Army ) ने 'शहीद' शब्द की जगह बलिदानी, वीर, वीरगति को प्राप्त वीर, वीर योद्धा, दिवंगत नायक, भारतीय सेना के वीर जैसी संज्ञाओं से संबोधित करने की सलाह दी है।

Update: 2022-02-28 04:00 GMT

सेना में जान गंवाने वाले सैनिकों को शहीद कहने पर आर्मी ने जताया ऐतराज।

नई दिल्ली। देश की आन-बान-शान की रक्षा के लिए जान न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों के लिए अक्सर मार्टियर यानी 'शहीद' ( Martyr ) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि भारतीय सेना ( Indian Army ) ने इस शब्द के इस्तेमाल पर ऐतराज जताया है। सेना ( Army ) का कहना है कि ऐसा करना गलत है। आर्मी हेडक्वार्टर की तरफ से जान गंवाने वाले जवानों के लिए छह शब्दों का इस्तेमाल करने को कहा है।

शहीद की जगह इन शब्दों का हो इस्तेमाल

भारतीय सेना ( Indian Army ) ने देश के लिए जान देने वाले सैनिकों के लिए छह शब्दों के इस्तेमाल की अनुशंसा की है। इन छह शब्दों में किल्ड इन एक्शन ( कार्रवाई में मारे गए ), लेड डाउन देयर लाइफ्स (अपना जीवन न्योछावर किया ), सुप्रीम सेक्रिफाइस फार नेशन ( देश के लिए सर्वोच्च बलिदान ), फॉलन हीरोज ( वीरगति प्राप्त ), इंडियन आर्मी ब्रेव्स ( भारतीय सेना के वीर ) और फॉलन सोल्जर्स शामिल हैं। सेना ने 'शहीद' शब्द की जगह बलिदानी, वीर, वीरगति को प्राप्त वीर, वीर योद्धा, दिवंगत नायक, भारतीय सेना के वीर जैसी संज्ञाओं से संबोधित करने की सलाह दी है। सैन्य प्रशासन ने अपनी सभी इकाइयों को इस संदर्भ में एक आवश्यक परिपत्र भी जारी कर दिया है।

इस बारे में आर्मी हेडक्वार्टर की ओर से जारी एक पत्र में कहा है कि साल दर साल आर्म्ड फोर्सेस के कुछ ऑफिसर्स और मीडिया भी हमारे उन सैनिकों के लिए मार्टियर ( शहीद ) शब्द का इस्तेमाल करते हैं, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है। मार्टियर शब्द उस व्यक्ति के लिए कहा जाता है, जिसकी मौत एक सजा के तौर पर हुई हो, जिसने रिलीजन के लिए त्याग से इनकार कर दिया हो या फिर वह व्यक्ति जो अपने रिलीजियस या राजनीतिक आस्था के लिए मारा गया हो। इसलिए सैनिकों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल उचित नहीं है।

1990 के बाद प्रचलन में आया शहीद

भारतीय सेना ( Indian Army ) की ओर से कहा गया है कि बलिदान होने वाले जवानों के लिए सेना, पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की शब्दावली में कहीं भी शहीद शब्द नहीं रहा है। इसके बावजूद 1990 के बाद से यह शब्द आतंकियों और नक्सलियों समेत विभिन्न राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ बलिदान होने वाले जवानों व अधिकारियों के लिए प्रयोग होता रहा है। पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध में वीरगति पाए जवानों के लिए अब यही शब्द इस्तेमाल होने लगा है। बलिदानी सैनिकों के लिए शहीद और अंग्रेजी में मारटर लिखे जाने को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं।

गृह मंत्रालय ने भी 2016 में संसद को दी थी इसकी सूचना

केंद्रीय गृह मंत्रालय ( Union Home Ministry ) ने दिसंबर, 2016 में लोकसभा को सूचित किया था कि भारतीय सेना, पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के बलिदानी जवानों के लिए अंग्रेजी में मारटर और हिंदी अथवा उर्दू में शहीद शब्द का प्रयोग नहीं किया जा सकता। हम इसके लिए सर्वोच्च बलिदान, वीर जैसे शब्दों का ही प्रयोग करते रहे हैं।

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