IGNCA रांची में महिला का हुआ उत्पीड़न, समस्या हल ना होने पर राज्य मानवाधिकार आयोग में की शिकायत

पीड़िता का आरोप है कि शिकायत के बाद उसका कैरियर बर्बाद करने जैसी धमकियां दी गईं....

Update: 2020-09-23 12:28 GMT

जनज्वार। कला के क्षेत्र में शिक्षा और शोध के रूप में पहचान रखने वाला इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र इन दिनों विवादों के घेरे में है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के रांची स्थित सेंटर में अर्पणा झा नाम की महिला के द्वारा मानसिक उत्पीड़न की शिकायत करने के बाद उसे बिना किसी कारण नौकरी से निकालने और षड्यंत्र के तहत उसका कैरियर बर्बाद करने का आरोप महिला ने आईजीएनसीए पर कार्यरत अधिकारी पर लगाया है।

महिला का कहना है उसके द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र पर शिकायत करने के बाद उसको आरोपित समेत अधिकारियों द्वारा फोन आने लगे, जिसमें महिला को शिकायत को वापस लेने का दबाव बनाए जाने लगा। ऐसा ना करने पर नौकरी से निकालने का डर दिखाया गया, लेकिन शिकायत वापस ना लेने पर उसे बिना कोई कारण बताए नौकरी से निकाल दिया गया।

पीड़ित महिला अपर्णा झा रांची स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 2017 से प्रोजेक्ट असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है। अपर्णा ने कुछ दिन पहले अपने एक वरिष्ठ अधिकारी पर कामकाज के दौरान जानबूझकर मानसिक उत्पीड़न करने की शिकायत संबंधित अधिकारियों से की थी। उसकी इस शिकायत से आईजीएनसीए, रांची केंद्र का प्रशासन नाराज हो गया और अंतत: उसका कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर उसे नौकरी से बाहर कर दिया गया।

महिला का कहना है कि मेरे द्वारा शिकायत करने के बाद आरोपित व्यक्ति को नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके बाद बदले की कार्रवाई के तहत मेरा कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर मुझे भी सेवा से बाहर कर दिया गया है।

मामले पर जनज्वार से बात करते हुए अपर्णा झा का कहना है कि जब मैने इसकी शिकायत की तो मेरे ऊपर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जाने लगा। महिला का आरोप है कि आरोपित राकेश पांडेय की आईजीएनसीए में शीर्ष लोगों से नजदीकी संबंध थे, जिसके बाद उसके ऊपर आईजीएनसीए के रांची और दिल्ली मुख्यालय से शिकायत वापस लेने का लगातार दबाव डाला जा रहा था। लेकिन उसने शिकायत वापस नहीं लिया। इसके बाद अपर्णा के खिलाफ रांची केंद्र में ही कार्यरत एक अन्य महिला कर्मचारी के  साथ गलत बर्ताव और गलत शब्दों का इस्तेमाल करने को आधार बना कर उसका कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया गया।

अपर्णा झा की शिकायत


आईजीएनसीए नोटिस

महिला का कहना है कि मेरे साथ उत्पीड़न शुरूआत से हो रहा था। लेकिन में इसके खिलाफ कुछ बोल नहीं पा रही थी। जिसके बाद जब बात काफी आगे बढ़ गई तो मैनें इसकी शिकायत रिजनल डॉयरेक्टर अजय कुमार मिश्रा से की मामले को सुलझाने की काफी कोशिश की गई, लेकिन समस्या का हल न होने पर उन्होंने शिकायत पत्र को दिल्ली के हेड ऑफिस भेज दिया। जिसके बाद मेरी शिकायत की जांच को लेकर मैने कई बार संबंधित अधिकारियों से  जानकारी मांगी तो मुझे कुछ नहीं बताया गया। उल्टा मुझे शिकायत वापस लेने के लिए धमकी देना शुरू कर दिया। मेरे ऊपर किसी तरह का हमला हो सकता था। इसी डर से मैने रांची स्थित  लालपुर पुलिस थाना में एक शिकायत पत्र भी दिया

अपर्णा झा द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत

अपर्णा ने आरोप लगाया है कि आईजीएनसीए के मेम्बर सेक्रेटरी सच्चिदानंद जोशी से नजदीकी की धौंस देकर राकेश पांडेय ने उसे औकात दिखाने की बात कही थी। साथ ही एक अन्य स्टाफ मेम्बर अंजलि सिंहा ने केस को आगे बढ़ाने पर उसकी नौकरी को मुश्किल में डाल देने की धमकी दी थी।

इस बीच मई में मेरे खिलाफ भी एक शिकायती पत्र रांची सेंटर से दिल्ली हेड ऑफिस भेजा गया। हैरानी की बात यह है कि यह शिकायत तत्कालीन रीजनल डायरेक्टर की अनुमति के बिना सीधे दिल्ली भेजा गया था। जिस पर नाराजगी जताते हुए रीजनल डायरेक्टर अजय कुमार मिश्रा ने हेडऑफिस को मेल किया कि अगर मेरे बिना अनुमति के कोई शिकायत वहां आती है तो उसे अवैध माना जाए।

इस दौरान हेड ऑफिस से इन मामलों की जांच के लिए एक एक्सटर्नल जांच कमेटी का गठन हुआ, जिसने 11 जून को कैम्पस में आकर केस की पड़ताल की। अपर्णा ने कमेटी के गठन पर भी सवाल उठाते हुए उसके साथ बुरा बर्ताव करने का आरोप लगाया और बताया कि कमेटी की रिपोर्ट की कॉपी भी उसे नहीं दी गई। 19 जून को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही आरोपी राकेश पांडेय ने इस्तीफा दे दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया था।

अपर्णा के मुताबिक दिल्ली हेड ऑफिस से 31 जुलाई को अचानक उन्हें एक मेल मिला, जिसमें अपनी एक सहयोगी आदिवासी महिला बोलो कुमारी को ठेस पहुंचाने के लिए माफी मांगने के लिए कहा गया था। उन्होंने ऐसी किसी घटना से इंकार करते हुए माफी मांगने से मना कर दिया। इसे आधार बना कर 27 अगस्त को उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।

आईजीएनसीए नोटिस

अपर्णा ने बताया कि जिस दिन से मैंने अपने सीनियर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, तभी से यहां से लेकर दिल्ली हेड ऑफिस तक मुझे डरा-धमकाकर, केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था। मेरा कैरियर बर्बाद करने तो कभी झूठी शिकायत करने की धमकी दी गई। और जब मैंने ऐसा नहीं किया तो इन लोगों ने उल्टा मेरे खिलाफ एक ट्राइबल लड़की को खड़ा कर उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के झूठे आरोप पर मेरा कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया।

कॉन्ट्रैक्ट खत्म संबंधी पत्र

इन सब लोगों ने गुट बनाकर ये सब कराया है, जिसका मुझे अंदेशा था। केस की जांच के लिए जो एंक्वायरी कमेटी बनाई उन्होंने भी मेरे साथ बदसुलूकी की. कमेटी के नाम पर तमाशा था। उसके बारे में मुझे कोई जानकारी भी नहीं थी। मुझे फोन करके बुलाया और जांच में क्या आया उसका भी लेटर नहीं मिला। हेड ऑफिस से आईं महिलाएं, जिनमें से एकरंजना कुमारी ने कहा कि हम एबीवीपी से हैं और मेम्बर सेक्रेटरी के संपर्क में हैं। इसके अलावा उन्होंने मुझे मुक्का दिखाया और कहा कि ये आपकी पहली और आखिरी जॉब है. मेरा फोन भी छीन लिया गया और रिकॉर्डिंग बंद कर दी गई। बिना मेरी इजाजत के मेरी फोटो खींची और मेरी पर्सनल लाइफ से जुड़े सवाल किए। सब षड़यंत्र था। यह सब मैंने डायरेक्टर को मेल करके बताया भी था।

झारखंड राज्य मानवाधिकार आयोग में एक शिकायत की जिस पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने आइजीएनसीए को नोटिस भेजा और क्षेत्रीय निदेशक को 21 सितम्‍बर, 2020 तक जांच रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने को कहा। लेकिन अभी के लिए कला केंद्र से मेरे अनुबंध को समाप्त कर दिया गया है।


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