झारखण्ड : 6 बच्चों की मां 30 की उम्र में प्रेमी के साथ भागी, 55 की उम्र में लौटकर आई वापस

झारखण्ड के गढ़वा जिले के केतार थाना क्षेत्र में जोगियाबीर गांव है। गांव में एक महिला 25 साल बाद लौटी थी। वह महिला अपने प्रेमी संग फरार हो गई थी। जब उसके प्रेमी की मौत हो गई, तो वह अपने घर वापस लौट आई। जब वह घर लौटी तो पहले तो पति और बेटों ने अपनाने से इनकार कर दिया, पर गांव के लोगों के हस्तक्षेप के बाद उसे परिवार ने अपना लिया।

Update: 2020-09-24 08:35 GMT

प्रतीकात्मक

जनज्वार। कहावत है कि सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए, तो उसे भूला नहीं कहा जाता। कुछ ऐसी ही कहानी ये है जिसमें एक महिला 30 साल की उम्र में पति और अपने छह बच्चों को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी। वह अब 25 साल बाद यानी 55 की उम्र में अपने पति और बच्चों के पास वापस लौटी। खास बात यह रही कि उसके पति और बच्चों ने उसे स्वीकार भी कर लिया।

झारखण्ड के गढ़वा जिले के केतार थाना क्षेत्र में जोगियाबीर गांव है। गांव में एक महिला 25 साल बाद लौटी थी। वह महिला अपने प्रेमी संग फरार हो गई थी। जब उसके प्रेमी की मौत हो गई, तो वह अपने घर वापस लौट आई। जब वह घर लौटी तो पहले तो पति और बेटों ने अपनाने से इनकार कर दिया, पर गांव के लोगों के हस्तक्षेप के बाद उसे परिवार ने अपना लिया। उसके बाद जब घर गई तो बेटा, बहू, पोतों व परपोतों को देखकर भावुक हो गई। उन्हें गले लगाकर फूट-फूटकर रोने लगी।

ग्रामीणों के मुताबिक महिला यशोदा देवी 25 साल पहले करीब 30 साल की थी। उसके छह बेटे थे। उसी दौरान वह थाना क्षेत्र के छाताकुंड निवासी विश्वनाथ साह से प्रेम करने लगी। दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा तो वह अपने पति और बेटों को छोड़कर प्रेमी संग फरार हो गई। उसके बाद से वह छत्तीसगढ़ के सीतापुर जाकर अपने प्रेमी के साथ रहने लगी। 15 दिन पहले ही उसके प्रेमी विश्वनाथ की मौत हो गई। उसके बाद विश्वनाथ के घर वालों ने भी उसे अपनाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद वह अकेली पड़ गई।

वहां से उसने अपने घर लौटने का निर्णय लिया। यहां वह रविवार 20 सितंबर रात करीब नौ बजे पहुंची। जब वह गांव पहुंची तो उसे देखकर परिवार के लोग अचंभित रह गए। उसके साथ बेरूखी दिखाते हुए उसे घर से बाहर निकाल दिया। पर वह वहीं रहने पर अड़ी थी। रातभर घर से बाहर दरवाजे पर पड़ी रही। सुबह हुआ तो एक बार फिर गांव के लोग मामले को सलटाने में लग गए। उसी दौरान यशोदा ने गांव के लोगों को बताया कि वह भले ही प्रेमी के साथ रह रही थी, पर अपने बेटों से लगातार संपर्क में थी। बेटों को जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करती थी।

उसके बाद गांव के लोगों के सामने बेटों ने भी मां से मिल रही मदद को स्वीकार किया। गांव के लोगों के समझाने के बाद परिजन उसे साथ रखने पर सहमत हो गए। उसके बेटे और बहुओं ने कहा कि अब उनकी मां उनके साथ ही रहेगी। इसके बाद पति नरेश साह ने भी सहमति जताई। परिवार में सहमति बनने के बाद जब वह घर के अंदर गई, तो नजारा कुछ अलग था। बच्चों को छोड़कर गई महिला का घर भरापूरा था। अपने पास सात पोता, नौ पोती और तीन परपोतों को देखकर वह भावुक हो गई। बारी-बारी से गले लगाकर वह रोने लगी। यह नजारा देख आसपास के लोग भी भावुक हुए बिना नहीं रह सके।

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