जिस Oreva कंपनी को दिया 'मोरबी' की मरम्मत का ठेका, 150 मौतों की FIR से गायब हुआ उस कंपनी और ठेकेदार का नाम

Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी का झूलता हुआ पुल गिरने से 150 से अधिक लोगों की जान चली गई। 150 मौतों के बाद अब असली खेल शुरू हो चुका है। खेल के मुताबिक, Oreva Company के उस ठेकेदार को बचाया जा रहा है जिसे मरम्मत का जिम्मा दिया गया था...

Update: 2022-10-31 13:02 GMT

मोरबी का मौत से है पुराना नाता, कुंभकरणी नींद में सोई रही गुजरात सरकार और तबाह हो गई सैकड़ों जिदंगियां

Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी का झूलता हुआ पुल गिरने से 150 से अधिक लोगों की जान चली गई। 150 मौतों के बाद अब असली खेल शुरू हो चुका है। खेल के मुताबिक, Oreva Company के उस ठेकेदार को बचाया जा रहा है जिसे मरम्मत का जिम्मा दिया गया था। पूरे मामले में हैरानी की बात तो यह है कि FIR की कॉपी में इस कंपनी और कंपनी के ठेकेदार का कहीं नाम तक नहीं है। जबकि इसी कंपनी को ठेका दिया गया था।

सामने यह भी आया है कि ओरेवा कंपनी, अजंता घड़ी भी बनाती है। मरम्मत का ठेका उस ओरेवा कंपनी को मिला था, जिसके पास पुल या सिविल निर्माण का कोई अनुभव ही  नहीं है। 800 करोड़ रुपये की यह कंपनी अजंता घड़ी का निर्माण कंपनी है। यह सब किसके इशारे पर हो रहा कहने बताने की जरूरत नहीं है। इनपुट के मुताबिक यह कंपनी और इसके मालिक जयसुख पटेल गुजरात में भाजपा नेताओं की रैलियों सभाओं का खर्च उठाते हैं। 

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बता दें कि 3 दिन पहले मरम्मत के बाद लोगों के लिए खुलने वाला मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज (Cable Bridge) धराशाई हो गया। जिसमें अभी तक 150 से अधिक लोगों के मरने की खबर मिल रही है। साथ ही कई लोग अभी लापता बताए जा रहे हैं। इस ब्रिज का पिछले 6 माह से रिपेयरिंग काम चालू था। काम खत्म तो हो गया लेकिन गुणवत्ता की कोई चेकिंग नहीं हुई। इसके अलावा, कोई कार्य पूर्ण प्रमाणपत्र नही दिया गया, फिर भी दिवाली के वेकेशन में ज्यादा पैसे कमाने की लालच में वह पुल बिना चेक किए ही लोगों के लिए खोल दिया गया। 

यह ब्रिज 1887 में बना था। अंदाजन 765 फिट लंबा 4.6 फिट चौड़ा है इस ब्रिज की इससे पहले भी मरम्मत की गई थी और समय अंतर पर इस ब्रिज की मरम्मत होती ही रहती है। यह ब्रिज हेरिटेज ब्रिज भी है। इस बार इस ब्रिज की मरम्मत का काम ओरेवा कंपनी को दिया गया था। बदले में वह अपनी लागत निकलने तक, इस ब्रिज के ऊपर लोगों से एंट्री टिकट ले सकते थे। शायद, यही कारण रहा कि दिवाली के वेकेशन में ज्यादा पैसे कमाने की लालच में आनन-फानन में पूरी तरह चेक करें बिना ही यह ब्रिज खोल दिया गया।

दिवाली के वेकेशन में ज्यादा पैसे कमाने की लालच में आनन-फानन में पूरी तरह चेक करें बिना ही यह ब्रिज खोल दिया गया। अब वह टिकट भी सामने आ चुके हैं, जिन्हें बेचकर लोगों को पुल की मजबूती जांचने से पहले ही मौत के मुँह में जानबूझकर भेजा गया। वयस्कों से प्रति टिकट 17-17 रूपये जबकि बच्चों के लिए टिकट का रेट 12-12 रूपये रखा गया। कंपनी और कंपनी के मालिक ने आठ करोड़ रूपया मरम्मत की लागत लेने के बावजूद भी और कमाई हो जाए इस लालच में 150 से अधिक लोगों को मौत के मुँह में भेज दिया गया। 

ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल की सत्ता पक्ष से नज़दीकियां किसी से भी छुपी नहीं हैं और अब जाकर ये नजदीकियां वायरल हो रही हैं। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडवीया के साथ उनके फोटो वायरल हो रहे हैं। यह घटना 150 लोगों की जान लेने वाले सिर्फ एक Morbi के केबल ब्रिज की ही नहीं बल्कि गुजरात के कई हिस्सों में ऐसे ही कई ब्रिज टूटने की घटनाएं सामने आई है।   

FIR की कॉपी से गायब है Oreva और ठेकेदार का नाम

यह सारे पुल पिछले कुछ ही समय में लोगों के लिए खोले गए थे और कुछ ही समय में उनकी हालत बद से बदतर हो गई। पूरे गुजरात में डबल इंजन की सरकार है उसमें भ्रष्टाचारियों के पौ-बारह हो गए हैं। लेकिन उन भृष्टाचरिओ के खिलाफ कोई कार्यवाही नही होती। क्योंकि, वह कॉन्ट्रेक्टर मंत्रियो की सभाओं में सारा खर्च देते हैं। गुजरात के रास्तों की बात करें, ब्रिज की बात करें या नवनिर्माणों की बात करें, हर जगह भ्रष्टाचार अपनी पैठ जमा चुका है। जिसका खामियाजा कल 150 लोगों ने अपनी जान देकर भुगता है।

इसके बाद मामले को दबाने के लिए, आनन-फानन में इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 304/308 और 114 IPC के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन ओरेवा कंपनी और उसके अनुभवहीन ठेकेदार पर कोई केस ना होना, FIR में नाम ना होना बताता है कि सत्ता में उसकी कितनी पैठ है। यही कारण है कि उसे बचाया जा रहा है। इस मामले में अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध देखी जा रही है। इस पुल को खोलने की अनुमति किस अधिकारी ने दी? इस पुल के पूरे सेफ्टी मेजर्स चेक किए गए या नहीं किए गए, यह भी एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है? 

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