JNU Webinar on Kashmir : एबीवीपी व अन्य संगठनों के विरोध के बाद JNU में कश्मीर पर आयोजित वेबिनार रद्द

JNU Webinar on Kashmir : जेएनयू में सेंटर फ़ॉर वीमेन स्टडीज द्वारा आयोजित होने वाले एक वेबिनार को रद्द कर दिया गया है। आरोप है कि वेबिनार के आमंत्रण पत्र में भारत अधिकृत कश्मीर शब्द का इस्तेमाल किया गया।

Update: 2021-10-30 00:30 GMT

(विरोध के बीच JNU में कश्मीर पर आयोजित वेबिनार को रद्द कर दिया गया है) File pic.

JNU Webinar on Kashmir : जेएनयू में सेंटर फ़ॉर वीमेन स्टडीज (Centre for Women studies) द्वारा आयोजित होने वाले एक वेबिनार को रद्द (Webinar cancelled in JNU) कर दिया गया है। आरोप है कि वेबिनार के आमंत्रण पत्र में भारत अधिकृत कश्मीर (India occupied Kashmir) शब्द का इस्तेमाल किया गया। बताया जा रहा है कि जेएनयू के आधिकारिक वेबसाइट (Official website of JNU) पर भी इस इवेंट की जानकारी दी गई थी। हालांकि, शिक्षकों और छात्रों के विरोध के बाद कार्यक्रम की जानकारी को हटा दिया गया।

बता दें कि कश्मीर को लेकर सेंटर फार वुमन स्टडीज द्वारा आयोजित वेबिनार के लिए जारी आमंत्रण पत्र पर शिक्षकों व छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया। एबीवीपी (ABVP) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया जताई। इसके बाद शुक्रवार शाम से आयोजित होनेवाले वेबिनार को ही रद कर दिया गया। हालांकि, वेबिनार के रद होने के बाद भी आयोजकों पर कार्रवाई की मांग शुरू हो गई है। 

वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। एबीवीपी ने इसे भारत विरोधी बताकर संबंधित लोगों के ऊपर कार्रवाई की मांग की है। एबीवीपी का कहना है कि शुक्रवार को रात 8:30 बजे "2019 के बाद कश्मीर में लिंग प्रतिरोध और नई चुनौतियां" नामक वेबिनार आयोजित करने का एक जानबूझकर प्रयास किया गया है।

एबीवीपी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वेबिनार वेबपेज (Webinar webpage) ने जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) के केंद्र शासित प्रदेश को 'भारतीय कब्जे वाले कश्मीर' के रूप में संबोधित किया है। यह इस तथ्य के बावजूद कि भारत सरकार ने बार-बार कश्मीर को भारत गणराज्य का अभिन्न अंग बताया है।

बताया जाता है कि कुछ छात्रों और शिक्षकों की मुख्य आपत्ति कश्मीर को लेकर किये गए संबोधन पर है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक शिक्षक ने बताया कि जेएनयू प्रशासन ने भी इस पर घोर आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद शुक्रवार रात 8.30 बजे होने वाला वेबिनार रद कर दिया गया।

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एबीवीपी ने इसे एक गैर संवैधानिक वेबिनार करार दिया। एबीवीपी के एक पदाधिकारी ने बताया कि वेबिनार वेबपेज ने जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश को 'भारतीय अधिकृत कश्मीर' के रूप में संबोधित किया है जिस पर हमें घोर आपत्ति है। 

जेएनयू की एबीवीपी इकाई ने कहा, "जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) आयोजित राष्ट्र-विरोधी कार्यक्रम की याद दिलाते हुए, भारत की संप्रभुता को कमजोर करने वाला एक और कार्यक्रम भारत के सामाजिक विज्ञान स्कूल में महिला अध्ययन केंद्र में सामने आया है। हमारे संज्ञान में आया है कि महिला अध्ययन केंद्र ने 29 अक्टूबर, 2021, शुक्रवार को रात 8:30 बजे 2019 के बाद कश्मीर में लैंगिक प्रतिरोध और नई चुनौतियां नामक एक वेबिनार आयोजित करने का एक जानबूझकर प्रयास किया है।"

ABVP ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वेबिनार वेबपेज ने जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश को 'भारतीय कब्जे वाले कश्मीर' के रूप में संबोधित किया है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि भारत सरकार ने बार-बार कश्मीर को भारत गणराज्य का अभिन्न अंग बताया है।

इस तरह के वेबिनार और आयोजनों ने जेएनयू को राष्ट्र-विरोधी प्रवचन के लिए एक स्थान के रूप में चित्रित करना जारी रखा है और इसलिए यह हर तरह से निंदनीय है।

जेएनयू में एबीवीपी इकाई के अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने कहा कि हमने प्रशासन से इस वेबिनार को तुरंत बंद करने की मांग की है क्योंकि यह भारत गणराज्य और भारत के संविधान की अखंडता और संप्रभुता को कमजोर करता है।

एबीवीपी-जेएनयू सचिव रोहित कुमार ने कहा कि हम महिला अध्ययन केंद्र की अध्यक्ष, संबंधित संकायों और जेएनयू रजिस्ट्रार के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं, जिन्होंने कार्यक्रम की अनुमति दी थी और जिन्होंने इस तरह के वेबिनार का आयोजन तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर किया है।

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