Journalist Kishor Ram : दलित भोजन माता प्रकरण से लेकर अंबेडकर छात्रावास का मामला उजागर करने वाले पत्रकार की गिरफ्तारी पर फूटा युवाओं का गुस्सा, जमकर हुई नारेबाजी और प्रदर्शन
Journalist Kishor Ram : रामलीला मैदान में एकत्रित हुए युवाओं ने किशोर पर दर्ज मुकदमे को द्वेषपूर्ण बताते हुए उसे वापस लिए जाने और शीघ्र ही किशोर की रिहाई की मांग की, युवाओं ने इसे संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर हमला भी बताया.....
Journalist Kishor Ram : 'जनज्वार' से जुड़े पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता किशोर राम (Journalist Kishor Ram) की गिरफ्तारी के खिलाफ आक्रोशित युवाओं ने टकाना (Pithoragarh) के रामलीला मैदान में पोस्टरों और नारों के साथ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने किशोर की तत्काल रिहाई की मांग की। प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना है कि एक पत्रकार पर इस तरह की संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी स्वतंत्र पत्रकारिता (Free Press) के लिए एक बड़ा खतरा है। यह न केवल एक पत्रकार का उत्पीड़न है बल्कि इससे भविष्य में इस तरह के उत्पीड़ने के मुद्दों को उठाने वाले पत्रकारों या नागरिकों के लिए एक भय का माहौल भी तैयार हो जाएगा।
रामलीला मैदान (Ramleela Maidan) में एकत्रित हुए युवाओं ने किशोर पर दर्ज मुकदमे को द्वेषपूर्ण बताते हुए उसे वापस लिए जाने और शीघ्र ही किशोर की रिहाई की मांग की। युवाओं ने इसे संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर हमला भी बताया और कहा कि 'अभिव्यक्ति की आजादी' को दबाने के प्रयासों के खिलाफ लामबंद होकर आवाज उठायी जाएगी।
पोस्टरों के जरिए युवाओं ने पुलिस को संदेश देते हुए कहा कि पुलिस द्वारा मुद्दा उठाने वाले पत्रकारों का नहीं बल्कि 'मुद्दों' का 'संज्ञान' लिया जाना चाहिए। पुलिस की कार्यप्रणाली पर तंज कसते पोस्टरों के ज़रिए युवाओं ने पुलिस को पत्रकारों का 'स्वतः संज्ञान' लेने के बजाय जिले में चल रहे अवैध कारोबारों, स्मैक, चरस का संज्ञान लेने की नसीहत दी।
उपस्थित छात्र-छात्राओं के समूह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हममें से बहुत से लोग निजी रूप से किशोर जी को जानते हैं और उनके संघर्षशील जीवन से परिचित हैं। आज हम सब उनके साथ मजबूती से खड़े हैं।
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष महेंद्र रावत ने कहा कि "किशोर जी लंबे समय से सामाजिक मुद्दों को उठाते रहे हैं, चंपावत में भोजन माता प्रकरण, रमेश राम मामले, उत्तराखंड में अम्बेडकर हॉस्टलों की स्थिति, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक परिवहन के मुद्दों से लेकर आरटीआई कार्यकर्ता होने के नाते भी कई जरूरी मुद्दों को वे उठा रहे थे जिससे शासन-प्रशासन की किरकिरी हो रही थी। इन मुद्दों पर कार्यवाही करने के बजाय पुलिस प्रशासन द्वारा मुद्दे उठाने वाले को ही जेल में डालकर अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काटी जा रही है, जो बेहद निराशाजनक और आक्रोशित करने वाला है। पुलिस द्वारा ऐसी द्वेषपूर्ण कार्यवाही और छात्रों-पत्रकारों को डराने की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
छात्र नेता अभिषेक कोहली ने कहा कि "पुलिस द्वारा एक पत्रकार पर इस तरह की कार्यवाही करना एक शर्मनाक घटना है। पत्रकार जिन मुद्दों को प्रकाश में ला रहे हैं, पुलिस द्वारा उन घटनाओं की जांच करने के बजाय पत्रकारों को ही जेल में बंद कर देना यह दिखाता है कि किस तरह अपराधों को नजरअंदाज कर अपराध मुक्त प्रदेश बनाने के दावे उत्तराखंड पुलिस द्वारा किये जा रहे हैं।"
छात्रा अमीषा महर ने कहा कि "पुलिस द्वारा एक युवा पत्रकार पर इस तरह मामला दर्ज किया जाना आक्रोशित करने वाला है। शहर में सैंकड़ों युवा नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं लेकिन पुलिस नशे और नशा माफियाओं पर तो कोई कार्यवाही कर नहीं पा रही है, उलटे जो पत्रकार सामाजिक मुद्दों को उठा रहे हैं उन्हें ही असामाजिक कहकर जेल का खौफ दिखा रही है।"
छात्र किशन कुमार ने कहा कि "किशोर पर लगे मामलों को अगर जल्द वापस नहीं लिया गया तो सभी छात्र-छात्रा सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे।"
प्रदर्शन करने वाले युवाओं एवं छात्र-छात्राओं में नीरज, महेंद्र रावत, सागर, कृष्णा, रवींद्र, गणेश, अमीषा महर, पंकज, नरेंद्र, तरुण, अभिषेक, धीरज, सोनिया, सुनीता, सोनी, प्रकाश, पंकज, गौरव, गौरांग, रजत, सोनाली, दिनेश, मोहित, आशीष, रोहित, वेंकटेश, दिव्यांश, अंजली, मानवी, गोर्की समेत तीन दर्जन से अधिक छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।