साइबर क्राइम गिरोह का भंडाफोड़, मंगेतर के साथ लोन दिलाने के नाम पर ठगे 10 करोड़

गिरोह ने डेढ लाख रुपये के महंगे किराये पर आफिस ले रखा था। एक वेबसाइट से दो-तीन महीने ठगी कर फिर नई वेबसाइट से ठगी का काम शुरू किया जाता था...

Update: 2020-09-12 06:36 GMT

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जनज्वार। भोपाल के क्राइम ब्रांच ने एक ऐसा साइबर क्राइम गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो फर्जी वेबसाइट के जरिए लोगों को कर्ज दिलाने के नाम पर ठगता था। इस गिरोह का सरगना एक युवक है और उसके इस काम में उसकी मंगतेर और मंगेतर की बहन शामिल हैं। मूल रूप से उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद निवासी डेविड जाटव ने अपनी मंगेतर नेहा भट्ट व उसकी बहन मनीषा भट्ट के साथ करीब 10 हजार लोगों ने 10 करोड़ रुपये की ठगी कर ली।

भोपाल के साइबर क्राइम ब्रांच में जांच में उनकी वेबसाइटों को संदिग्ध पाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अबतक उनकी 12 वेबसाइटों का पता चला है। एक वेबसाइट से वे करीब 1200 लोगों से ठगी करते और दो-तीन महीने बाद उसे बंद कर देते थे। क्राइम ब्रांच ने लंबी जांच में उनकी वेबसाइट से ठगे गए 1000 लोगों के बारे में पता किया है और उनसे संपर्क भी किया है।

मामले की जांच तब शुरू हुई जब दिसंबर 2019 में पद्मेश सिंह नामक व्यक्ति ने इस मामले की शिकायत की कि उनसे एक वेबसाइट www.swiftfinance.in के माध्यम से लोन दिलाने के नाम पर ठगी की गई। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी डेविड कुमार जाटव, नेहा भट्ट व मनीषा भट्ट को नोएडा से गिरफ्तार किया है। इनका एक साथी कमल कश्यप अभी फरार है। उनके पास से पुलिस ने छह लैपटाॅप, 25 मोबाइल फोन, 21 पेन ड्राइव, 8 एक्टिवेटेड सिम, 19 डेबिट कार्ड और वेबसाइट से संबंधित कागजात जब्त किए हैं।

इस गिरोह ने नोएडा में दो काॅल सेंटर डेढ लाख रुपये के महंगे किराये पर ले रखा था। 10 से 15 हजार रुपये की तनख्वाह पर लड़कियों को रखा जाता था जो ग्राहक से बात करतीं और उनका ब्यौरा जुटातीं थी। वे उसे साफ्ट काॅपी एक्सल में नोट करती थीं।

दरअसल, डेविड वेबसाइट डिजाइनिंग का काम करता है। दो साल पहले उसकी एक व्यक्ति से मुलाकात हुई। उस समय उसका वेबसाइट डेवलपमेंट का काम मंदा चल रहा था। उसने उसे फर्जी वेबसाइट बनाकर लोन दिलाने के नाम ठगी करने की सलाह दी। इसके बाद डेविड ने ऐसा करना शुरू कर दिया। वह ग्राहकों को 20 लाख रुपये तक का पर्सनल लोन 8 से 9 प्रतिशत के ब्याज पर दिलाने पर भरोसा दिलाता था। जबकि वास्तविकता में इतने कम पर कहीं से पर्सनल लोन नहीं मिलता है।

मध्यप्रदेश पुलिस ने इस मामले में सब इंस्पेक्टर रैंक के एक अधिकारी सुनील रघुवंशी को नोडल पदाधिकारी नियुक्त कर जांच को और आगे बढाने का निर्देश दिया है। इस गिरोह के शिकार हुए व्यक्ति भी उनसे संपर्क कर सकते हैं।

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