Mathura Shahi Masjid Dispute: 6 दिसंबर को जलाभिषेक के ऐलान से पीछे हटे हिंदूवादी संगठन, शाही ईदगाह किले में तब्दील
Mathura Shahi Masjid Dispute: चुनावी माहौल और खुद की सरकार होने की वजह से बीजेपी किसी भी अनहोनी का कलंक अपने ऊपर इस बार नहीं लगने देना चाहती है। यही वजह है कि तैयारी के बावजूद जिला प्रशासन ने सरकार के इशारे पर जलाभिषेक की अनुमति हिंदू संगठनों को नहीं दी है।
मथुरा में तनाव पर धीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट
Mathura Shahi Masjid Dispute: एक तरफ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति तो दूसरी तरफ मथुरा स्थित ईदगाह पर बालकृष्ण के जलाभिषेक का ऐलान को लेकर तनाव चरम पर है। फिलहाल, यूपी के सियासी माहौल से साफ है कि प्रदेश सरकार विकास के नाम पर चुनाव लड़ने से बच रही है। उसे दंगों और फसादों पर भरोसा ज्यादा है, लेकिन अपनी सरकार होने के कारण बीजेपी इज्जत बचा रही है और मथुरा किले में तब्दील हो गई है। इसके साथ ही जलाभिषेक की अपनी घोषित योजना से हिंदूवादी संगठन पीछे हट गए हैं और स्थिति तनाव के बीच के शांत है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 'रेड जोन घोषित
ताजा अपडेट यह है कि यूपी के मथुरा में 6 दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर स्थित शाही ईदगाह पर बालकृष्ण का जलाभिषेक, संकल्प यात्रा और रामलीला मैदान में सभा आयोजित करने जैसे कार्यक्रमों की घोषणा करने वाले संगठन जिला प्रशासन के रुख के बाद अपने घोषित कार्यक्रमों से पीछे हट गए हैं। प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 'रेड जोन' की सुरक्षा में अतिरिक्त बल की तैनाती की है, जो 6 दिसंबर तक वहां मौजूद रहेंगे। एक तरह से विवादित स्थल को किले में तब्दील कर दिया गया है।
21 जनवरी 2022 तक निषेधाज्ञा लागू
मथुरा जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने किसी अप्रिय स्थिति की आशंका के मद्देनजर जिले में 24 नवंबर से 21 जनवरी 2022 तक निषेधाज्ञा लागू कर दी। इसके तहत पांच या पांच से अधिक व्यक्तियों के जमावड़े पर रोक है। जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया है कि छह दिसंबर के कार्यक्रमों को लेकर शहर को सुरक्षा की दृष्टि से दो सुपर जोन, चार जोन और आठ सेक्टरों में बांटा गया है।
संवेदनशील जोन में फ्लैग मार्च
जिला प्रशासन ने तनाव को देखते हुए विवादित स्थल को रेड जोन में तब्दील करने के साथ सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी है। इतना ही रिजर्व बटालियन को भी मथुरा में ड्यूटी पर तैनात कर दिया है। पुलिस और रिजर्व बटालियन का संवेदनशील जोन में फ्लैग मार्च जारी है।
मथुरा में तनाव क्यों?
कुछ दिन पहले अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने छह दिसंबर को शाही ईदगाह में कथित रूप से पूर्व में स्थित मूल केशवदेव मंदिर के स्थान पर भगवान बालकृष्ण स्वरूप का जलाभिषेक किए जाने की घोषणा की थी। इसके बाद एक-एक कर कई अन्य संगठनों ने भी अपने नए-नए कार्यक्रमों की घोषणा करने लगे। दूसरी तरफ लंबे अरसे बाद शुक्रवार को नमाज भी अदा की गई थी। सीआरपीएफ डीजी की रिपोर्ट में भी इस बात की आशंका जाहिर की गई कि 6 दिसंबर को अनहोनी की संभावना है।
क्यों बढ़ा सियासी तनाव?
यूपी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को सियासी गलियारों में हलचल और बढ़ा दी। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि 'अयोध्या-काशी में मंंदिर निर्माण जारी है अब मथुरा की तैयारी है'। इसके अलावा हिंदू महासभा, नारायणी सेना, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति दल जैसे संगठनों ने इस संबंध में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की थी।
अखिलेश का पलटवार - नहीं चलेगा मंत्र और तंत्र का एजेंडा
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केशव प्रसाद मौर्य के बयान 'अयोध्या-काशी में मंदिर निर्माण जारी है अब मथुरा की तैयारी है' को लेकर भाजपा पर हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा का गरीबों को लूटने और अमीरों की जेब भरने का एजेंडा है। हमेशा अमीर वर्ग को फायदा पहुंचाने का काम किया है। आगामी चुनावों में कोई रथ यात्रा या नया मंत्र भाजपा की मदद करने वाला नहीं है।
जलाभिषेक पर रोक
अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष देवकीनन्दन शर्मा ने बताया कि प्रस्तावित लड्डू गोपाल के जलाभिषेक की अनुमति जिला प्रशासन से नहीं मिलने के बाद संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी ने महासभा के सदस्यों, समर्थकों से अपील की है कि अब लोग अपने घरों में ही जलाभिषेक करें।
फजीहत से बचने के लिए बीजेपी ने पीछे खींचे पांव
जानकारी के मुताबिक चुनावी माहौल और खुद की सरकार होने की वजह से बीजेपी किसी भी अनहोनी का कलंक अपने ऊपर नहीं लगने देना चाहती है। यही वजह है कि तैयारी के बावजूद जिला प्रशासन ने सरकार के इशरे पर जलाभिषेक की अनुमति हिंदू संगठनों को नहीं दी है।