Modi On Magzine : ग्लैमर, चकाचौंध और ताकत से रहता हूँ दूर, मैगजीन को दिए इंटरव्यू में PM की कथनी और करनी में फर्क है!

Modi On Magzine : पीएम मोदी के बारे में अब तक पूरी दुनिया को उस कहावत की तरह साफ हो चुका है, जिसमें कहा जाता है कि, 'हाथी के खाने के दांत अलग हैं और दिखाने के अलग...

Update: 2021-10-03 07:45 GMT
(ओपन पत्रिका को दिए इंटरव्यू में PM ने कहा वह 3 चीजों से रहते हैं दूर photo/socialmedia)

Modi On Magzine (जनज्वार) : एक पत्रिका को दिए गये इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा कि, वह अपने आलोचकों का बहुत सम्मान करते हैं। कई दफा तो उन्हें इनकी कमी भी महसूस होती है। कारण है कि लोग सिर्फ आरोप लगाते हैं और धारणा के आधार पर खेल करने का प्रयास करते हैं। जिनकी संख्या बहुत अधिक है।

Open Magzine को दिए एक इंटरव्‍यू में प्रधानमंत्री ने शासन से जुड़े विभिन्न मुद्दों और खुद के निजी जीवन यात्रा पर अपनी बात कही। कहा, 'मैं महसूस करता हूं और मेरी अपनी धारणा भी है। मैं अपने स्वस्थ विकास के लिए बहुत ही खुले मन से आलोचनाओं को बहुत महत्व देता हूं। मैं ईमानदारी से आलोचकों का बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन, दुर्भाग्यवश आलोचकों की संख्या बहुत कम है।'

आलोचना और आरोप में अंतर

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आलोचना और आरोप का अंतर स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, 'ज्यादातर लोग सिर्फ आरोप लगाते हैं। जो लोग धारणा के आधार पर खेल करने का प्रयास करते हैं, उनकी संख्या बहुत ज्यादा है। जबकि आलोचना के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। उस बारे में अध्ययन करना पड़ता है। लेकिन, आज की तेजी से भागती दुनिया में लोगों के पास इसके लिए फुर्सत नहीं है। लिहाजा, कभी-कभार मैं आलोचकों की कमी भी महसूस करता हूं।'

चकाचौंध, ग्लैमर और ताकत से दूर रहता हूँ

दुनिया की नजर में प्रधानमंत्री होना बहुत बड़ी बात हो सकती है, लेकिन मेरी नजर में यह लोगों के लिए कुछ करने के तरीके हैं। मानसिक रूप से मैं खुद को इस शक्ति, चकाचौंध और ग्लैमर की दुनिया से अलग रखता हूं। और इसके कारण मैं एक आम नागरिक की तरह सोचने और अपने कर्तव्य के रास्ते पर चलने में सक्षम हूं जैसे कि अगर मुझे कोई अन्य जिम्मेदारी दी जाती है।

परिस्थितिवश राजनीति से जुड़ा

PM इन 3 चीजों से रहते हैं दूर

गुजरात के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने के बाद शासन चलाने के मामले में दशक पूरा करने वाले मोदी ने कहा कि जीवन के शुरुआती चरण में राजनीति से उनका कोई लेना देना नहीं था और उनका झुकाव आध्यात्म की ओर अधिक था। उन्होंने कहा कि 'जनता की सेवा ही भगवान की सेवा है' के कथन ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। पीएम बोले, 'जहां तक राजनीति की बात है, दूर-दूर तक मेरा इससे कोई नाता नहीं था। बहुत बाद में परिस्थितिवश और कुछ मित्रों के कहने पर मैं राजनीति से जुड़ा। वहां भी मैं संगठन कार्यों में मशगूल रहा।'

गरीब परिवार के मोदी से आत्मनिर्भर भारत तक

रिलायंस मुखिया अंबानी फैमिली के साथ मोदी

मोदी युवावस्था में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे। बाद में वह भाजपा में शामिल हुए। सामान्य परिवार में पले-बढ़े मोदी से प्रधानमंत्री बनने के उनके सफर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि देश की जनता ने उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। लगातार विश्वास जताया है। यह उनके लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि यही हमारे लोकतंत्र की मजबूती है। उन्होंने कहा, 'इसलिए जीवन स्तर ऊंचा कर लोगों को सशक्त करना उन्हें बहुत प्रेरित करता है। यह महत्वपूर्ण है कि हर युवा को मौका मिले। और जब मैं मौकों की बात करता हूं तो मेरा मकसद उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का होता है ताकि वो अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकें और सम्मान का जीवन जी सकें।'

पीएम की कथनी और करनी में फर्क है 

भारतीय प्रधानमंत्री मोदी अपने कही पर ना कभी डिगे हैं और ना ही आगे भरोसा है। अगर पीएम चकाचौंध, ग्लैमर और ताकत से दूर रहते हैं तो फिर साढ़े आठ हजार करोड़ का प्लेन, दिन में कई बार लाखों रूपयों के सूट बदलना, मोंट ब्लैंक का पेन, इतनी शानौशौकत से रहते हैं। पीएम मोदी के बारे में अब तक पूरी दुनिया को उस कहावत की तरह साफ हो चुका है, जिसमें कहा जाता है कि, 'हाथी के खाने के दांत अलग हैं और दिखाने के अलग।'

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