Nithari Kand : सुरेंद्र कोली को सुबह होने वाली फांसी कैसे टल गई थी रातों रात, जानिए पूरी कहानी

Nithari Kand : जब निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई गई और फांसी देने की पूरी तैयारियां हो चुकी थी तो उस समय रातों-रात सुरेंद्र कोली की फांसी टाल दी गई। जानिए ऐसा क्या हुआ था जो सुरेंद्र कोली की फांसी टल गई थी...

Update: 2022-01-07 15:42 GMT

file photo

Nithari Kand : नोएडा के निठारी कांड सुनकर आज भी कंपकंपी आने लगती है। यह कांड वर्ष 2006 में हुआ था। यह कांड एक्सपोज तब हुआ जब नोएडा के निठारी गांव की कोठी नंबर डी-5 से नर कंकाल मिलने शुरू हुए थे। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सीबीआई को जांच पड़ताल के दौरान मानव अंगों से भरे कई तरह बरामद हुए थे। जब निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई गई और फांसी देने की पूरी तैयारियां हो चुकी थी तो उस समय रातों-रात सुरेंद्र कोली की फांसी टाल दी गई। जानिए ऐसा क्या हुआ था जो सुरेंद्र कोली की फांसी टल गई थी।

7 दिन के लिए रोकी गई फांसी

मेरठ के सेंट्रल जेल से 7 सितंबर 2014 को खबर आई थी कि निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को सोमवार को फांसी दी जा रही है। उस समय रविवार का दिन था इसलिए कोर्ट बंद थे। जिसके बाद नामचीन वकील इंदिरा जयसिंह ने रात को ही उस वक्त के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा से मिलने का समय मांगा था। जिसके बाद चीफ जस्टिस से इंदिरा जयसिंह को मीटिंग का समय मिला और रात करीब को 11:45 बजे एक सीनियर चीफ जस्टिस एचएल दत्तू के घर स्पेशल अदालत लगी। जब अदालत खत्म हुई तो मेरठ सेंट्रल जेल को खबर दी गई थी कि सुरेंद्र कोली की फांसी 7 दिन के लिए रोक दो।

सुरेंद्र कोली को इंसाफ का मौका देना चाहती हैं वकील

दरअसल उस समय वकील इंदिरा जयसिंह आरोपी सुरेंद्र कोली को इंसाफ का एक और मौका देने के हक में थीं। उनका मत है कि सुरेंद्र कोली को फांसी पर टांगने से पहले कानून के मुताबिक एक बार उनके मामले की ओपन कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए। एचएल दत्तू के घर में लगी स्पेशल अदालत में भी इंदिरा जयसिंह ने दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट के कॉन्स्टिट्यूशन बेंच के एक आदेशानुसार फांसी के ऐसे मामलों में जिनमें रिव्यू पिटिशन भी खारिज किया जा चुका है, आरोपी को फांसी देने से पहले ओपन कोर्ट में एक बार उसके मामले की सुनवाई की जा सकती है। लिहाजा सुरेंद्र कोली को भी एक मौका दिया जाना चाहिए।

स्पेशल अदालत ने सुनाया फैसला

इस मामले में लगी स्पेशल अदालत में बहस का दौर जारी था। बीतती रात के साथ बहस जारी रही और कैलेंडर की तारीख बदल गई। उस समय रात को 1:00 बजने से कुछ समय पहले ही स्पेशल अदालत ने अपना फैसला सुनाया। अपने फैसले में अदालत ने सुरेंद्र कोली के मामले में दोबारा सुनवाई के लिए इंदिरा जयसिंह को 1 हफ्ते का वक्त देते हुए सुरेंद्र कोली की फांसी पर भी एक हफ्ते भर के लिए रोक लगा दी।

जल्द से जल्द पहुंचाई गई जानकारी

स्पेशल अदालत के इस फैसले को जल्द से जल्द समय रहते फांसी होने से पहले मेरठ के वैठे पुलिस अधिकारियों को भी बताना था। जिसके बाद सबसे पहले फोन करके मेरठ के डीएम और एसएसपी को इस फैसले की जानकारी दी गई। उन्हें आधी रात को फोन करके नींद से जगाया गया और सुरेंद्र कोली की फांसी को अगले हफ्ते तक रोके जाने की जानकारी दी गई। इसके साथ ही उन्हें अदालत के आदेश की लिखित कॉपी मिलने तक का इंतजार करने को कहा गया।

आदेश की लिखित कॉपी हुई प्राप्त

अदालत के फैसले की लिखित कॉपी की फैक्स की शक्ल में रात करीब 3:30 बजे मेरठ के डीएम और एसएसपी तक पहुंचाया गया। जिसके बाद मेरठ जेल के जेलर को आदेश की लिखित कॉपी प्राप्त हुई। हालांकि उससे पहले ही जेलर को भी फोन के जरिए ही फांसी को 7 दिन रोकने के आदेश की जानकारी से अवगत करा दिया गया था।

आज आरोपी एक मामले में हुआ बरी

बता दें कि अब इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज शुक्रवार को निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को एक मामले में बरी कर दिया। इससे पहले 12 मामलों में सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई हुई है। बताया गया कि 1 बच्चे के अपहरण और हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट ने सबूतों के अभाव के कारण सुरेंद्र कोली को बरी किया है।

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