UP Election 2022 : महज शिगूफा भर है प्रियंका गांधी का यूपी से चुनाव लड़ना, परिवार की परंपरा रहेगी बरकरार
अगर नेता अपने ही कार्यकर्ताओं की मांग को एकदम से खारिज कर देगा तो कार्यकर्ताओं का उत्साह ही गिर जाएगा। दूसरी तरफ कार्यकर्ता भी अपने शीर्षस्थ नेतृत्व से इस तरह की मांग करते रहते हैं...
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा (up chunav 2022) चुनाव होने हैं। लिहाजा, अब अटकलों का दौर तेज है। इस बीच कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के UP की अमेठी या रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें भी लगने लगी हैं, लेकिन कांग्रेस के टॉप सोर्सेज के मुताबिक यह खबर 'बकवास' है।
सोर्सेज ने बताया, 'प्रियंका गांधी (priyanka gandhi) कहीं से चुनाव नहीं लड़ने वालीं। गांधी परिवार का कोई भी सदस्य विधानसभा चुनाव में बतौर उम्मीदवार हिस्सा नहीं लेगा।' यानी विधानसभा में गांधी परिवार के चुनाव न लड़ने की परंपरा बरकरार रहेगी। तो फिर आखिर इस खबर को बल कहां से मिला? दरअसल, दो दिन पहले प्रियंका अपनी मां और अंतरिम पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली में थीं।
यूपी दौरे के दौरान उनसे उनके ही कार्यकर्ताओं ने इस सीट से चुनाव (Election) लड़ने की मांग की। जिसपर प्रियंका गांधी ने इसका सीधा जवाब देने की बजाय कहा, 'अभी मैं आपसे कोई वादा नहीं कर सकती, लेकिन पार्टी में इसको लेकर चर्चा जरूर करूंगी। जैसा निर्देश होगा वैसे किया जाएगा।'
तो क्या प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने पार्टी में विचार-विमर्श के लिए बात आगे बढ़ाई। UP के सोर्सेज के मुताबिक जब नेता फील्ड में होता है तो अपने कार्यकर्ताओं की जुबान में जुबान मिलाता है। अगर नेता अपने ही कार्यकर्ताओं की मांग को एकदम से खारिज कर देगा तो कार्यकर्ताओं का उत्साह ही गिर जाएगा। दूसरी तरफ कार्यकर्ता भी अपने शीर्षस्थ नेतृत्व से इस तरह की मांग करते रहते हैं।
कार्यकर्ता भी जानते हैं कि यह संभव नहीं। कार्यकर्ताओं और प्रियंका गांधी का संवाद बस औपचारिकता भर था। प्रदेश स्तर के कांग्रेस सोर्सेज ने बेहद हल्के फुल्के अंदाज में बताया, 'इस तरह की खबरों को जानबूझकर भी मीडिया (Media) में फैलाया जाता है, ताकि कार्यकर्ताओं में उत्साह बना रहे और मीडिया में हम बने रहें।' उन्होंने साफ कहा, प्रियंका या उनके परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ने वाला
कांग्रेस (Congress) साफ इशारा कर रही है कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका ही अगुआ होंगी। वो मुख्यमंत्री (CM) का चेहरा बन सकती हैं। अगर कांग्रेस ऐसी स्थिति में आती है कि वह अपना मुख्यमंत्री बना पाए तो भी उनके पास 6 महीने का वक्त होगा, चुनाव लड़ने और जीतने का। ऐसी स्थिति में चुनाव लड़ना और जीतना दोनों आसान होगा। फिर पहले से जोखिम क्यों लेना।
कांग्रेस के आलाकमान कभी ऐसा दांव नहीं चलेंगे जिससे गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठे। प्रियंका गांधी अगर विधानसभा (Assembaly) में चुनाव के लिए उतरीं और जीत जैसे-तैसे हो भी गई तो यह उनकी शिकस्त से कम नहीं होगी।
माना जा रहा है कि प्रियंका के विधानसभा चुनाव लड़ने की खबर का खंडन भी जल्दी नहीं आएगा। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि ऐसी खबरों की चर्चा से कांग्रेस को नुकसान के बजाय फायदा है।