Paramilitary Forces Suicide Updates : गोलियों से ज्यादा खुदकुशी से मरते हैं अर्द्धसैनिक बलों के जवान, जानें क्या है वजह
Paramilitary Forces Suicide Updates : भारत में 2016 से 2020 के दौरान 3400 सांप्रदायिक दंगों के मामले दर्ज हुए। वहीं पिछले 10 साल में अर्द्धसैनिक बलों के 1,205 जवानों ने खुदकुशी की।
देश के अर्द्धसैनिक बलों के जवानों में बढ़ रही है खुदकुशी की प्रवृत्ति।
Paramilitary Forces Suicide Updates : भारतीय अर्द्धसैनिक बलों ( Paramilitary Forces ) के जवानों में खुदकुशी ( Suicide ) की बढ़ती प्रवृत्ति और संख्सा ने सभी को सकते में डाल दिया है। इस मामले में 29 मार्च को केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय ( Mos Nityanand Ray ) की ओर से पेश रिपोर्ट ने चौंकाने वाला है। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट ( Union home ministry report ) से साफ है कि अलग-अलग कारणों से अर्द्धसैनिक बलों के जवानों में खुदखुशी करने की टेंडेंसी तेजी से बढ़ रहा है। हालात यहां तक पहुंच गया है कि अलग-अलग आपरेशन और आतंकियों की गोलियों से कम खुदकुशी से ज्यादा जवान जान गंवा रहे हैं। आखिर पैरामिलिट्री फोर्स के जवान ऐसा क्यों कर रहे हैं, इसका जवाब सरकार को ढूंढने होंगे।
फिलहाल, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की ओर से लोकसभा में पेश रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल में अर्द्धसैनिक बलों ( Paramilitary Forces ) के 1,205 जवानों ने खुदकुशी की है। साथ ही उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी है कि 2016 से 2020 के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगो ( Communal Riots ) में करीब 3,400 मामले दर्ज किए गए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पिछले 10 साल में अर्द्धसैनिक बलों के 1,205 जवानों ने खुदकुशी (Paramilitary Forces Suicide) की है जिनमें सर्वाधिक मामले वर्ष 2021 में आए। नित्यानंद राय ने एक एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 2020 में 143 जवानों ने खुदकुशी की। इससे पहले 2019 में 129 मामले, 2018 में 96 मामले, 2017 में 125 मामले, 2016 में 92 मामले, 2015 में 108 मामले , 2014 में 125 मामले, 2013 में 113 मामले और 2012 में 118 ऐसे मामले सामने आये थे।
साल 2021 में ऐसे 156 मामले खुदकुशी के सामने आये हैं। आत्महत्या के पीछे घरेलू समस्याएं, बीमारी और आर्थिक समस्याएं प्रमुख रूप से उभरकर सामने आई हें।
2016 से 2020 देश की खातिर बलिदान हुए 209 जवान
27 जुलाई 2021 को मानसून सत्र के दौरान केंद्र ने लोकसभा को बताया था कि देश की खातिर शहीद हुए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ( CAPF ) और असम राइफल्स (AR) के सैनिकों की संख्या पिछले पांच सालों ( 2016 से 2020 ) में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 209 सैनिकों ने देश के खातिर बलिदान दिया। इसमें साल 2018 में सबसे अधिक 60 सैनिक शहीद हुए हैं। 2016 में 43, 2017 में 52, 2018 में 28 और 2020 में सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद हुए। इन आंकड़ों से साफ है कि आतंकियों की गोलियों से जवानों की मरने की संख्या खुदकुशी की वजह से मरने वालों की तुलना में कम है।
यह डेटा ऐसे समय में आया है जब बीएसएफ में हाल की घटनाओं की पृष्ठभूमि में बल कर्मियों के बीच तनाव का मुद्दा चर्चा का विषय रहा है। हाल के कुछ दिनों में ही अकेले ऐसी घटनाओं में बीएसएफ के सात जवान मारे गए हैं। 2019 से अब तक बलों में फ्रेट्रिकाइड की 25 से अधिक घटनाएं हुई हैं।
ये है खुदकुशी की वजह
ताजा अपडेट के मुताबिक ये घटनाएं मुख्य रूप से कठोर कामकाजी परिस्थितियों, पारिवारिक मुद्दों, आर्थिक समस्याओं और आवश्यकता पड़ने पर छुट्टी की अनुपलब्धता के कारण हो रही हैं। 2019 में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएपीएफ कर्मियों के लिए उपलब्ध अवकाश मौजूदा 75 दिनों से बढ़ाकर 100 दिन कर दिया जाएगा। इस पर अमल होना बाकी है।
पेंडिंग है CL अवकाश 15 से 30 दिन करने का प्रस्ताव
इस समस्या से पार पाने के लिए सीएपीएफ द्वारा रक्षाकर्मियों की तर्ज पर सीएपीएफ कर्मियों के आकस्मिक अवकाश ( CL ) को 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन करने का प्रस्ताव भी गृह मंत्रालय (एमएचए) के पास पेंडिंग है। इसे अभी केंद्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया है।
सांप्रदायिक दंगों के 3400 मामले हुए रिपोर्ट
वहीं सांप्रदायिक घटनाओं को लेकर लोकसभा में कहा कि देश में 2016 से 2020 के बीच सांप्रदायिक दंगों के करीब 3,400 मामले दर्ज किए गये। इस अवधि में देश में दंगों के 2.76 लाख मामले दर्ज किए गए थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau) की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि 2020 में सांप्रदायिक या धार्मिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह 2019 में 438, वर्ष 2018 में 512, वर्ष 2017 में 723 और वर्ष 2016 में 869 ऐसे मामले दर्ज किए गए।
देशभर में तैनात हैं 9 लाख जवान
Paramilitary Forces Suicide Updates : बता दें कि सीएपीएफ में सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ, एनएसजी और असम राइफल्स (एआर) जैसे बल शामिल हैं। कुल मिलाकर उनके पास 9 लाख कर्मी हैं।