मोदी आज आकाशवाणी पर करेंगे अपने 'मन की बात' और किसान उनके बताए रास्ते पर पिटेंगे थाली

प्रधानमंत्री मोदी आज जब मन की बात कार्यक्रम में विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय देश के सामने पेश करेंगे, उसी दौरान उन्हें उनकी सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के विरोध का सामना करना पड़ेगा...

Update: 2020-12-27 03:15 GMT

जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के तहत देश को संबोधित करेंगे। करीब आधे तक प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री आधे घंटे तक समसामयिक सहित अन्य मुद्दों पर अपनी बात कहते हैं। लेकिन, आज का मन बात कार्यक्रम कुछ अलग होगा। आज ऐसा पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री को अपने मन की बात कार्यक्रम के प्रसारण के दौरान ही किसानों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।

किसान संगठनों ने तय किया है कि वे आज केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध जताने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात संबोधन के दौरान थाली पीट कर अपना विरोध जताएंगे। किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि जब तक रेडिया पर प्रधानमंत्री बोलेंगे तबतक वे उनकी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ थाली पिटेंगे।

मालूम हो थाली पीट कर विरोध जताने व किसी आपदा को भगाने की परंपरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में शुरू करवायी। उन्होंने कोरोना को लेकर लोगों से देश भर में एक निर्धारित समय में थाली पीटने का आह्वान किया था।

पिछले एक महीने से अधिक वक्त से ठंड और शीतलहर के बीच दिल्ली से लगी विभिन्न सीमाओं पर मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। वे तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और उनका कहना है कि इन कानूनों से किसान मालिक से मजदूर बन जाएंगे। कानून को रद्द करने के साथ ही वे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को वैधानिक मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने न तो अबतक कृषि कानूनों को वापस लेने का संकेत दिया है और न ही एमएसपी को वैधानिक मान्यता देने की मांग मानी है।

29 दिसंबर को फिर सरकार व किसान संगठनों में वार्ता

उधर, किसान संगठन सरकार की वार्ता की पेशकश पर एक बार फिर वार्ता के लिए राजी हुए है। किसान संगठनों ने कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर विचार विमर्श के लिए बातचीत के लिए सहमति दी है। किसान संघों ने 29 दिसंबर को दिन के 11 बजे बैठक का प्रस्ताव रखा है और बातचीत के लिए चार प्रमुख मांगें रखी हैं। इन मांागें का प्रारूप भी सरकार को भेजा गया है। कुंडली में किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने विचार विमर्श के बाद इस बात के लिए हामी भरी है। 


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