बजट पेश होने से पहले पीएम के आर्थिक सहालकार का बड़ा खुलासा, सरकार के पास बेरोजगारी को लेकर नहीं है कोई डाटा

प्रधान आर्थिक सहालकार का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान रोजगार में गिरावट आई थी। मार्च 2021 तक स्थिति सुधरी लेकिन फिर दूसरी लहर आई और उसके बाद से हमारे पास बेरोजगारी को लेकर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।;

Update: 2022-02-01 05:29 GMT
बजट पेश होने से पहले पीएम के आर्थिक सहालकार का बड़ा खुलासा, सरकार के पास बेरोजगारी को लेकर नहीं है कोई डाटा

प्रधान आर्थिक सहालकार संजीव सान्याल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान रोजगार में गिरावट आई थी।

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नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र सोमवार को शुरू होने के बाद आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना चौथा बजट पेश करेंगी। इससे एक दिन पहले यानि सोमवार को आर्थिक सर्वे सामने आया था। आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार 9.2 फीसदी रहने की संभावना है। दूसरी तरफ भारत के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल का कहना है कि देश में बेरोजगारी को लेकर रियल टाइम सरकारी डाटा की कमी है। सरकार के पास कोई रियल टाइम डाटा नहीं है।

बेरोजगारी को लेकर मार्च 2021 के बाद से नहीं है कोई डाटा

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से कितने लोग बेरोजगार हुए और रोजगार संकट कितना बढ़ा जैसा सवाल सवाल बेहद पेचीदा है। यही वजह है कि केंद्र सरकार के प्रिंसिपल इकनोमिक एडवाइजर मीडिया को इसका सीधा जवाब देने से बचते भी रहे। संजीव सान्याल का कहना है कि रियल टाइम आधिकारिक बेरोजगारी डेटा की कमी है। आधिकारिक आंकड़ों से हम जो जानते हैं वह यह है कि लॉकडाउन के दौरान रोजगार में गिरावट आई थी। मार्च 2021 तक स्थिति सुधरी लेकिन फिर दूसरी लहर आई और उसके बाद से हमारे पास बेरोजगारी को लेकर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।

रेलवे और सरकारी नौकरियों में खली पड़े पदों को लेकर उन्होंने कहा कि ये बात सही है कि बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं। लेकिन वो हर साल भर जाती हैं। लोग सरकार में शामिल होते हैं। नौकरी छोड़ देते हैं या रिटायर हो जाते हैं।

सर्वे रिपोर्ट में इस बात पर जताई गई है चिंता

बता दें कि हर साल आम बजट से पहले संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश होता है। आर्थिक सवेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022-23 के दौरान जीडीपी की विकास दर 8 से 8.5% रहने की उम्मीद है। ओमिक्रॉन और कई दूसरी वजहों से अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। अप्रैल से दिसंबर 2021 के बीच औसत फूड इन्फ्लेशन 2.9% रही। खुदरा महंगाई दर अप्रैल-दिसंबर 2021 के दौरान मॉडरेट होकर 5.2% रही। आर्थिक सर्वे में ओमिक्रॉन की वजह से अंतरष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अस्थिरता, कई देशों में इनफ्लेशन में बढ़ोतरी और नकदी का संकट में आई तेजी को लेकर चिंता भी जताई गई है।

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