Politics on Target Killing : BJP कश्मीर में टारगेट किलिंग को नहीं कर पाई हैंडल, तो क्या खतरे में पड़ सकता है उसका हिंदू राष्ट्रवाद?
Politics on Target Killing : भाजपा सरकार के सामने अचानक टारगेट किलिंग की घटना एक नई मुसीबत बनकर सामने आई है। खास बात यह है कि जिस तेजी से टारगेट किलिंग ने जम्मू-कश्मीर में रह रहे केवल कश्मीरी पंडितों में ही नहीं बल्कि हिंदुओं में खौफ पैदा किया है, उसने 1990 के दशक की यादें ताजा कर दी है।
टारगेट किलिंग पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण
Politics on Target Killing : हाल ही में भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार ( Modi Governent ) ने अपने कार्यकाल के 8 साल पूरे किये हैं। इस उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों में मोदी, शाह, भाजपा के मुख्मंत्रियों से लेकर गांव तक के पार्टी कार्यकर्ताओं ने विकास चालीसा का पाठ किया। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा ( BJP ) नेताओं ने इसे तेजी से हिंदू राष्ट्रवाद ( Hindu Rashtrawad ) की दिशा में आगे बढ़ने का संकेत होने का दावा भी किया, लेकिन भाजपा सरकार के सामने अचानक टारगेट किलिंग ( Target Killing in kashmir ) की घटना एक नई मुसीबत बनकर सामने आई है। खास बात यह है कि जिस तेजी से टारगेट किलिंग ने जम्मू-कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) में रह रहे केवल कश्मीरी पंडितों ( Kashmiri pandits ) में ही नहीं बल्कि हिंदुओं ( Hindu ) में खौफ है, उसने 1990 के दशक की यादें ताजा कर दी है। यानि आतंकियों की मुहिम पर ब्रेक न लगने की स्थिति में भाजपा-आरएसएस ( BJP-RSS ) की हिंदू राष्ट्रवाद की मुहिम को झटका लग सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए मोदी सरकार आने वाले दिनों में कई सवालों के जवाब देने होंगे।
पलायन और सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी सरकार चुप क्यों?
अगर, केंद्र सरकार ( Modi Governent ) इसे शुरुआती दौर में नहीं रोक पाई तो यह हिंदू राष्ट्रवाद ( Hindu Rashtrawad ) के नाम पर देश की सत्ता पर दशकों तक काबिज होने के भाजपा की मुहिम के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। हालांकि, ये कहना अभी जल्दबाजी होगा कि भाजपा टारगेट किलिंग को काबू नहीं कर पायेगी, लेकिन पिछले एक महीने में करीब डेढ़ दर्ज लोगों यानि कश्मीरी पंडितों, हिंदुओं व निर्दोष नागरिकों की हत्याओं से तो यही लगता है कि भाजपा नेतृत्व ने या तो इसे गंभीरता से नहीं लिया, या ये कहिए कि टारगेट किलिंग ( Target Killing in kashmir ) के खिलाफ भाजपा पहले से तैयार नहीं थी।
यही वजह है कि आतंकियों ने टारगेट किलिंग की जो साजिश रची है उसका जवाब मोदी सरकार अभी तक नहीं दे पाई है। यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) से कश्मीरी पंडितों समेत हिंदुओं के पलायन और सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी सरकार बैकफुट पर आ गई है।
कहां हैं मोदी के हनुमान डोभाल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आनन-फानन में जेके के एलजी मनोह सिन्हा, एनएसए प्रमुख अजीत डोभल, रॉ प्रमुख से चर्चा की है। आज भी जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा होनी है, लेकिन इस बार मोदी के हनुमान डोभाल भी टारगेट किलिंग से पार पाने का तत्काल कोई तरकीब नहीं बता पाये हैं। यही वजह है कि टारगेट किलिंग जैसी घटनाओं को लेकर पीएम मोदी और भाजपा नेतृत्व की चुप्पी अब सभी को परेशान करने लगी हैं।
भाजपा-आरएसएस के हिंदूवादी एजेंडे को सबसे ज्यादा खतरा
अहम सवाल यह है कि टारगेट किलिंग ( Target Killing in kashmir ) पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा सुर्खियों में क्योें है। इसका सीधा जवाब यही है कि आतंकियों की इस साजिश को मोदी की नीतियों के विरोध में उपजी प्रतिक्रिया भी माना जा सकता है। ऐसा इसलिए कि आतंकियों की यह प्रतिक्रिया केवल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370, 35ए की समाप्ति, जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा समाप्त कर केंद्र शासित प्रदेश या कश्मीर घाटी में जनसांख्यिकीय ढांचा में बदलाव की मुहिम की खिलाफ सत्ता विरोधी आवाज भर नहीं है। यह कहीं न कहीं एनआरसी, सीएए और तीन तलाक, समान नागरिक संहिता, जनसंख्या नियंत्रण कानून, मंदिर-मस्जिद विवाद जैसे मामलों से संबंधित हो सकता है।
घाटी के हालात तो मोदी-शाह के खिलाफ ही हैंं न!
अगर ऐसा है और टारगेट किलिंग ( Target Killing in kashmir ) की साजिश में आतंकी को सफलता मिलती है तो मोदी सरकार देश की जनता और विपक्षी के सवालों का जवाब देने की स्थिति में नहीं होगी। ऐसा इसलिए करीब तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का अंत करने और उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद पीएम मोदी और अमित शाह ने कई जनसभाओं में गर्जना करते हुए कहा था के ये केंद्र सरकार की नीतियों का नतीजा है कि आज घाटी से आतंकवाद का सफाया हो चुका है। दूसरी तरफ हकीकत यह है कि वही आतंकवाद अब मोदी सरकार की सबसे बड़ी मुसीबत बनने वाली है। कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के पलायन पर मोदी सरकार की ओर से जवाब न मिलना अस्थायी रूप से तो यही साबित करता है कि मोदी सरकार के पास आतंकियों की ताजा हिंदू विरोधी रणनीति का जवाब उनके पास नहीं है।
Politics on Target Killing : तो अब क्या करेंगे मोदी?
दरअसल, मोदी पुलवामा बम विस्फोट के बाद से ही हिंदू राष्ट्रवाद पर सबसे ज्यादा जोर देते आये हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में इसे भुनाया भी। उसके बाद महाराष्ट्र, असम, बिहार, बंगाल, यीपू और उत्तराखंड विधानसभा के चुनावों में इन्हीं मुद्दों के दम पर जबरदस्त सियासी ताकत भी हासिल की है। इन्हीं मुद्दों की वजह से मुस्लिम समाज में बड़े पैमाने पर असंतोष है। यानि टारगेट किलिंग की घटनाएं हावी हुई तो न केवल मोदी-शाह के हिंदू राष्ट्रवाद ( Hindu Rashtrawad ) को झटका लगेगा बल्कि जम्मू-कश्मीर टारगेट किलिंग ( Target Killing in kashmir ) की नीति पर खास समुदाय के लोग केंद्र को सियासी मौत देने के लिए अलग-अलग तरीके से इसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ऐसे में मोदी सरकार ( Modi Governent ) को इसका जवाब तो ढूंढना पड़ेगा।
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