Power Crisis in India : देश में बिजली संकट से निपटने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया, क्या इससे बदलेंगे हालात?

Power Crisis in India : देश में बिजली संकट से निपटने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया, क्या इससे बदलेंगे हालात?

Update: 2022-05-07 13:00 GMT

Power Crisis in India : अगले 4 साल तक सरकार 81 कोयला बिजली उत्पादन संयंत्रों की क्षमता घटाएगी, सौर-जल-परमाणु उर्जा पर रहेगा फोकस

Power Crisis in India : देश में जारी बिजली संकट (Power Crisis in India) से निपटने के लिए अब सरकार एक्टिव हो गयी है। खबरों के अनुसार उससे निपटने के लिए उर्जा मंत्री आरके सिंह ने एक उच्चस्तरीय बैठक की है। मनीकंट्रोल (Moneycontrol) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पावर और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्टर आरके सिंह ने बिजली बनाने वाली और वितरण करने वाली कंपनियों और इनको कर्ज देने वाली वित्तीय संस्थाओं के साथ हुई बैठक में इस विषय पर मंथन किया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बैठक में दूसरे संबंंधित मंत्रालयों के अफसर भी शामिल थे। खबरों के मुताबिक यह बैठक बीते छह मई को हुई थी। रिपोर्ट के बताया गया है ​है कि इस बैठक में बिजली का उत्पादन बढ़ाने के लिए विद्युत वितरण कंपनियों के बकाए के भुगतान के मुद्दे पर विचार किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में वित्तीय संकट (Power Crisis in India) में चल रही बिजली बनाने वाली कंपनियों पर खास फोकस था। बतातें चलें कि देश इस समय चिलचिलाती गर्मी के बीच अभूतपूर्व बिजली संकट (Power Crisis in India) से जूझ रहा है। बिजली वितरण करने वाली कंपनियों ने तमाम बिजली बनाने वाली कंपनियों के बकाए का भुगतान नहीं किया है। ऐसे में बिजली बनाने वाली कंपनियों के लिए कोयले की खरीद में मुश्किल हो रही है।

इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले के भाव आसमान छू रहे हैं। जिसका असर देश के उर्जा उत्पादन पर देखने को मिल रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए उर्जा मंत्रालय की ओर से बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें मंत्री समेत तमाम अफसर शामिल थे।

इस रिपोर्ट के मुताबिक पावर वितरण कंपनियों ने पावर जनरेशन कंपनियों के 1.1 लाख करोड़ रुपए का भुगतान अभी तक नहीं किया है। जिससे पावर बनाने वाली कंपनियों के कैश फ्लो पर नेगेटिव असर पड़ा है और वह कोयला नहीं खरीद पा रही है। इससे पहले पावर कंपनियों की ओर से कहा गया था कि वे समय पर पैसा नहीं मिलने के कारण वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं।

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार इस बैठक में शामिल एक वरि​ष्ठ अधिकारी ने बताया है कि पावर और रिन्यूएबल मिनिस्ट्री ने बिजली बनाने और वितरण करने वाली कंपनियों और उनको कर्ज की सुविधा उपलब्ध करवाने वाले वित्तीय संस्थाओं से कहा है कि वे भुगतान से जुड़े इस मुद्दे को सुलझाने पर काम करें। इस मुद्दे के समाधान के लिए एक त्रिपक्षीय करार का भी प्रस्ताव रखा गया है। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बिजली वितरण करने वाली कंपनियों बिजली बनाने वाली कंपनियों को समय पर भुगतान कर सकें और बिजली बनाने वाले कंपनियों को बैंको और संस्थाओं से वर्किंग कैपिटल और दूसरे तरीके के कर्ज आसानी से मिल सके जिससे की वह अपनी यूनिटों को फिर से चालू कर सकें।

बता दें कि बीते 29 अप्रैल को भारत में बिजली की खपत 207.1 गीगावाट के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी थी। इसका एक कारण तो भीषण गर्मी था तो दूसरा कारण कोविड के कारण लंबे समय तक बंद रहे बाजारों का खुलना भी था। इससे औद्योगिक उर्जा की डिमांड काफी तेजी से बढ़ गयी है। जहां एक तरफ मांग में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ देश में कोयले के कम उत्पादन और रेल यातायात में दिक्कतों की वजह से ​प्लांटों में बिजली का उत्पादन कम (Power Crisis in India) हो पा रहा है।

आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के लते बाजार में कोयले के भाव आसमान छू रहे हैं। ऐसे में आयतित कोयले पर आधारित बिजली बनाने वाली यूनिटें या तो ठप हो गयी है या बहुत कम उत्पादन (Power Crisis in India) कर रही हैं। ऐसी स्थिति में सरकार की ओर से विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए आपातकालीन कानूनों को लागू करने का विकल्प भी अपनाया जा रहा है।

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