24 जुलाई को होगा पायलट की किस्मत का फैसला, तबतक नोटिस पर आगे नहीं होगी कोई कार्रवाई
पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस दिए जाने के खिलाफ पायलट खेमा द्वारा दायर रिट याचिका पर आज दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई है। इधर कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी शुरू हो गई है।
जयपुर। सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में दायर रिट याचिका पर कोर्ट 24 जुलाई को फैसला सुना सकता है। तबतक स्पीकर पायलट और उनके खेमे के उन विधायकों, जिन्हें नोटिस दी गई है, के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। मंगलवार को हाईकोर्ट में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें रखीं।
इससे पहले मंगलवार, 21 जुलाई को सुबह साढ़े 10 बजे इस रिट याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। याचिका पर विगत शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की बेंच में सुनवाई शुरू हुई थी।
पायलट और कांग्रेस के अन्य बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बहस की। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने भी इस गुट की ओर से बहस की। जानकारी के अनुसार, उन्होंने दलील रखी कि सरकार गिराना अलग बात है और मुख्यमंत्री बदलना अलग बात है। इससे पहले शुक्रवार की बहस में उन्होंने कहा था कि विधानसभा के बाहर किसी गतिविधि के लिए दलबदल अधिनियम का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। अभी सत्र भी नहीं चल रहा, इसलिए व्हिप का भी कोई मतलब नहीं।
वहीं स्पीकर सीपी जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखी। जानकारी के अनुसार, सिंघवी ने कहा कि स्पीकर ने विधायकों को सिर्फ नोटिस भेजा है, अयोग्य नहीं ठहराया है। ऐसे में पायलट खेमे की याचिका प्री-मैच्योर है।
जानकारी के अनुसार, मुकुल रोहतगी ने दलील दिया कि स्पीकर ने नोटिस का जबाब देने के लिए सिर्फ 3 दिनों का समय दिया, जबकि 7 दिनों का देना चाहिए था। आखिर वे इतनी जल्दी में क्यों थे?
इधर कांग्रेस विधायक दल की बैठक होटल फेयर माउंट में प्रारंभ हुई। बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता अजय माकन भी उपस्थित हैं। बैठक में गहलोत ने कहा 'न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी अभी चाहती है कि विधानसभा भंग हो जाय और चुनाव हों। जिस तरीके की लड़ाई आप लड़ रहे हैं, उसे पूरा देश देख रहा है। आपकी प्रतिष्ठा बढ़ी है। यह साधारण बात नहीं है। आप सभी के पास फोन उपलब्ध है। किसी के ऊपर कोई दबाव नहीं है।'