'मेरे साथ तब तक दुष्कर्म किया गया जब तक मैं बेहोश नहीं हो गई' : इंडिया का सीरिया-इराक बना राजस्थान का भीलवाड़ा

Rajasthan News: राजस्थान के तकरीबन आधा दर्जन जिलों में जातीय पंच घिनौना जुर्म कर रहे हैं। यहां 8 से लेकर 18 साल तक की लड़कियों को नीलामी कर बेचा जा रहा है। बेचने के बाद लड़कियों को यूपी, एमपी, दिल्ली, मुंबई यहां तक की विदेश तक भेजा जा रहा है...

Update: 2022-10-28 08:33 GMT

'मेरे साथ तब तक दुष्कर्म किया गया जब तक मैं बेहोश नहीं हो गई' : इंडिया का सीरिया-इराक बना राजस्थान का भीलवाड़ा

Rajasthan News: राजस्थान के तकरीबन आधा दर्जन जिलों में जातीय पंच घिनौना जुर्म कर रहे हैं। यहां 8 से लेकर 18 साल तक की लड़कियों को नीलामी कर बेचा जा रहा है। बेचने के बाद लड़कियों को यूपी, एमपी, दिल्ली, मुंबई यहां तक की विदेश तक भेजा जा रहा है। इसमें सबसे बदतर हालत भीलवाड़ा की बताई जा रही है। इस जिले के पंडेर गांव में गरीब परिवारों की लड़कियों को दलाल स्टाम्प पेपर पर खरीदकर बेच देते हैं।

भीलवाड़ा के पंडेर गांव में जातीय पंचायत द्वारा लोगों को लड़कियां बेचने के लिए प्रताड़ित किया जाता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां की एक भुक्तभोगी 21 वर्षीय लड़की ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि, 'मुझे खरीदकर बंधक बनाया गया। जब भी भागने की कोशिश की, पकड़ी गई। एक बार भागते हुए पकड़ी गई तो मेरे साथ तब तक दुष्कर्म किया गया जब तक मैं बेहोश नहीं हो गई। हर एक दिन मौत से बदतर मंजर देखने को मिला।' 

गावों में नजर नहीं आती बेटियां 

पंचायतों से जुड़े एजेंटों ने गांव में आलीशान कोठियां बनवा रखी हैं। इनका खौफ इतना है कि उनके सामने पुलिस प्रशासन से कोई कुछ कहता-बताता नहीं है। पंडेर, जहाजपुरा, मांडलगढ़ इत्यादि तमाम ऐसे गांव हैं जहां पंचायत और इन एजेंटों का जुल्म सितम की इंतेहा पार कर गया है। यहां बने घरों में कर्ज से लदे मां-बाप तो मिलते हैं, लेकिन नहीं मिलती तो बेटियां।

गुलाम बन गईं पांच बहने 

भीलवाड़ा के पंडेर गांव की रहने वाली आशा (बदला हुआ नाम) बताती है, 'जातीय पंचायत के कारण पिता पर पंद्रह लाख रूपये का कर्ज हो गया था। जिसे उतारने के लिए पिता ने सबसे पहले बुआ को बेचा। इसके बाद तीन बड़ी बहनों को बेच दिया गया। तब भी कर्ज नहीं उतरा तो 12 साल की उम्र में मुझे भी बेच दिया। आशा बताती है कि उसे आठ लाख रूपये में खरीदकर मध्य प्रदेश ले जाया गया। वहां जिंदगी गुलाम बन गई थी। एक-एक कर पांचों बहने गुलाम बन गईं, लेकिन पिता का कर्ज नहीं उतर पाया। 

कुछ लोग खरीदकर आगरा ले गये 

भास्कर में प्रकाशित खबर के मुताबिक '12 साल की गायत्री ने बचपन में ही मां-बाप को खो दिया। उनके इलाज में इतना कर्जा हुआ की घर बेचना पड़ा। दादी की बीमारी के बाद 6 लाख का कर्ज और हो गया। पिता मजदूरी करते और दादी घर का काम कराती। इस दौरान दादी उसे पीट भी देती थी। गायत्री कहती है कि, फिर कुछ लोग उसे खरीदकर आगरा ले गये। रोज गलत काम करवाते। इसके बाद उसे दिल्ली में 6 लाख रूपये में बेच दिया गया। गायत्री तीन बार बिकी और चार बार प्रैग्नेंट हुई। 

स्टांप पेपर जिससे होती है खरीददारी

बताया जाता है कि राजस्थान के भीलवाड़ा में कई बस्तियों में आज भी दो पझों के बीच विवाद या झगड़ा हो तो पुलिस के पास नहीं जाते। विवाद निपटाने के लिए जातीय पंचायत बैठाई जाती है। यहीं से लड़कियों को गुलाम बनाने का खेल संचालित होता है। लड़कियों को जबरन बेचा जाता है, ऐसा ना करने पर उनकी मां से बर्बर सुलूक किया जाता है।  

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