जयपुर से लेकर दिल्ली तक ताबड़तोड़ बैठकें, क्या संकट में है राजस्थान की कांग्रेस सरकार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर मंत्रियों और विधायकों की मैराथन बैठक हुई तो सचिन पायलट दिल्ली में पार्टी आलाकमान से संपर्क की कोशिश में हैं।
जनज्वार। राजस्थान में सियासी गतिविधियां पल-पल बदल रहीं हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने आवास पर मंत्री-विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं तो पायलट दिल्ली में आलाकमान से संपर्क साधने में जुटे हैं। इस बीच SOG ने CM, और डिप्टी CM दोनों को नोटिस भेज उनका बयान दर्ज करने के लिए समय मांगा है। तो क्या इस नोटिस ने तनाव बढ़ा दिया है।
राजस्थान सरकार को अस्थिर करने के आरोप में 10 जुलाई को SOG ने FIR दर्ज की थी। इस FIR में राज्य की गहलोत नीत कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया गया था। इसमें मोबाइल सर्विलांस के आधार पर इस साजिश के खुलासे की बात की गई थी। बताया गया कि किसी अन्य मामले को लेकर दो मोबाइल नँबर सर्विलांस पर लिए गए थे और उसी की रिकॉर्डिंग सुनने के दौरान विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार को अस्थिर करने की साजिशों का खुलासा हुआ था।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच रस्साकशी वर्ष 2018 में उसी वक्त शुरू हो गई थी, जब बीजेपी को हटाकर कांग्रेस सत्ता में आई थी। सीएम पद को लेकर उस समय भी दोनों के अलग-अलग ध्रुव बने थे। उसी समय से यह रस्साकसी चलती रहती है।
इस बीच खबर है कि सचिन पायलट कांग्रेस के लगभग दर्जन भर समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में हैं। वहां वे कांग्रेस आलाकमान से मिलने की कोशिश में हैं। चर्चा है कि वे बीजेपी के भी संपर्क में हैं, हालांकि न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस इसकी पुष्टि कर रही है। गहलोत और पायलट के बीच सरकार गठन के समय से ही मनमुटाव की खबरें आने लगीं थीं, पर उस समय पार्टी आलाकमान ने हस्तक्षेप कर सब पटरी पर ला दिया था। गहलोत मुख्यमंत्री और पायलट उपमुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद से सबकुछ ठीकठाक चलता दिख रहा था।
11 जुलाई को अचानक सियासी माहौल बदला और एक के बाद एक कई घटनाएं हुईं। SOG ने सरकार को अस्थिर करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया। सीएम गहलोत ने सामने आकर बीजेपी पर उनकी सरकार को अस्थिर करने की साजिश रचने और विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा दिया। उसके बाद अचानक खबर आई कि पायलट दिल्ली चले गए हैं। उनके साथ समर्थक विधायक भी हैं।
इन सबके बीच आखिर पायलट क्यों नाराज हो गए। क्या नोटिस के बाद तनाव बढ़ गया है। राजनैतिक विश्लेषक इससे इंकार नहीं कर रहे। नोटिस में सीएम और डिप्टी सीएम को अपना बयान दर्ज कराने के लिए समय देने को कहा गया है।
SOG की नोटिस में लिखा है 'प्रकरण संख्या 47/2020 के तहत धारा 124 ए और 124 बी के तहत अनुसंधान किया जाना है। इस संबन्ध में समय देकर अपना बयान दर्ज करवाएं। यह नोटिस जांच अधिकारी अतरिक्त पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद की ओर से जारी किया गया है।
हालांकि 12 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्विट कर नोटिस मसले को सामान्य प्रक्रिया बताया। उन्होंने लिखा 'SOG को जो कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी द्वारा जो विधायकों के खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी, उस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप एवं अन्य कुछ मंत्री-विधायकों को सामान्य बयान देने के नोटिस आए हैं। कुछ मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है।'
राजनैतिक विश्लेषक अब इस ट्विट के बाद कह रहे हैं कि आखिर नोटिस के बाद खुद सीएम को आगे आकर नोटिस के बारे में सफाई क्यों देनीं पड़ी।
वैसे नँबर अभी गहलोत के साथ दिख रहे हैं। 13 में से 12 निर्दलीय विधायक साथ हैं और पार्टी के कुछ विधायक नाराज भी हों तो सरकार पर सीधा कोई खतरा नहीं दिख रहा। 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कोंग्रेस के पास 107 और बीजेपी के पास 73 विधायक हैं। ऐसे में फौरी तौर पर सरकार पर कोई खतरा नहीं दिख रहा।