राष्ट्रपति ने कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस के चारों मुख्यमंत्री को नहीं दिया मिलने का समय : अशोक गहलोत

अशोक गहलोत का आरोप है कि पहले अमरिंदर सिंह ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा, उन्हें समय नहीं दिया गया। इसके बाद चारों कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मिलने का समय मांगा...

Update: 2020-12-04 08:13 GMT

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जनज्वार। कृषि कानून के खिलाफ देश में आंदोलन तेज है। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मांग है कि इस कानून को रद्द किया जाए। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस शासित चार राज्यों के मुख्यमंत्री ने इस कानून को रद्द करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविद से मिलने का समय मांगा, लेकिन राष्ट्रपति की कोई मजबूरी रही होगी जिससे उन्हें मिलने के समय नहीं मिल सका।

अशोक गहलोत ने सिलसिलेवार किए अपने ट्वीट में कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों, किसान संगठनों, कृषि विशेषज्ञों से बिना चर्चा किए तीनों कृषि बिल बनाये। इन तीनों बिलों को संसद में भी आनन-फानन में बिना चर्चा किए बहुमत के दम पर असंवैधानिक तरीके से पास कराया, जबकि विपक्ष इन बिलों को सेलेक्ट कमेटी में भेज कर चर्चा की मांग कर रहा था।


गहलोत ने कहा है कि कि सरकार ने इन बिलों पर किसी से कोई चर्चा नहीं की जिसके चलते आज पूरे देश में किसान सड़कों पर हैं। नए कृषि कानूनों पर किसानों की बात रखने के लिए पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया।

गहलोत ने कहा है कि इसके बाद हम चारों कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा जिससे किसानों की बातें रख सकें, लेकिन राष्ट्रपति की कोई मजबूरी रही होगी इस कारण हमें समय नहीं मिल सका।


राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों की बात केंद्र सरकार ने नहीं सुनी जिसके कारण आज किसान देश में आंदोलन कर रहे हैं। लोकतंत्र के अंदर संवाद सरकार के साथ इस प्रकार कायम रहते तो यह चक्का जाम के हालात नहीं बनते एंव आम जनता को तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अविलंब तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए और किसानों के साथ दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगना चाहिए।


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