राजस्थान में 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने को राज्यपाल ने दी मंजूरी

सियासी घमासान के बीच गहलोत सरकार के भेजे चौथे प्रस्ताव को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। इसे लेकर राजभवन और गहलोत सरकार के बीच कई दिनों से रस्साकशी चल रही थी।

Update: 2020-07-30 02:30 GMT

जयपुर। राजस्थान में चल रहे राजनैतिक घमासान के बीच 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र आहूत होगा। राज्यपाल कलराज मिश्र ने इसकी मंजूरी दे दी है। मंजूरी इस शर्त पर दी गई है कि कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जाय। इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने राज्यपाल से अलग-अलग मुलाकात की थी।

 राज्यपाल को विधानसभा सत्र आहूत करने की अनुमति के लिए 4 बार प्रस्ताव भेजा गया था। चौथे प्रस्ताव में इस बार मंजूरी मिल गई है। हालांकि गहलोत सरकार की 31 जुलाई से विधानसभा सत्र आहूत करने की मांग के अनुसार नहीं, बल्कि 14 अगस्त से सत्र बुलाने की अनुमति दी गई है।

29 जुलाई की रात इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। इससे पहले के तीन प्रस्तावों को मंजूरी नहीं दी गई थी। पहले के प्रस्तावों पर राज्यपाल ने सत्र आहूत करने के मामले में कुछ बिंदुओं पर राज्य सरकार से सफाई मांगी थी।उन्होंने दो शर्तें रखीं थीं। पहली शर्त कि 21 दिन की क्लियर नोटिस देकर सत्र बुलाया जाय, ताकि सभी को समान अवसर मिल सके।

राज्यपाल ने सवाल भी पूछा था कि क्या आप विश्वास मत प्राप्त करना चाहते हैं? यदि विश्वास मत हासिल करने की कोशिश की जाती है तो यह संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की मौजूदगी में हो, वीडियो रिकॉर्डिंग हो और इसका लाइव टेलीकास्ट भी होना चाहिए। राज्यपाल ने कोरोना को लेकर सत्र के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग आदि प्रोटोकॉल के पालन को लेकर भी सवाल पूछा था।

राजस्थान विधानसभा का सत्र आहूत करने को लेकर पिछले कई दिनों से राजभवन और राज्य सरकार के बीच रस्साकशी चल रही थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजभवन पर प्रस्ताव पर अनुमति देने में देरी करने का आरोप लगाकर लगातार बयान दे रहे थे। एक वक्त पर तो उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर राजस्थान के लोग राजभवन का घेराव करते हैं तो उनकी जिम्मेदारी नहीं होगी। इसके बाद राज्यपाल कलराज मिश्र के हवाले से राजभवन की ओर से सख्त प्रतिक्रिया आई थी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह भी कहा था कि उन्होंने राज्यपाल के 'बर्ताव' को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है और उन्हें पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया है। उन्होंने कहा था कि सारे मसलों को लेकर एक सप्ताह पहले प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को पत्र लिखा था और रविवार की रात उनसे फोन पर भी बात की। राज्यपाल ने उन्हें छह पन्नों का 'प्रेम पत्र' भेजा है।'

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