Rajasthan News: राजस्थान के भीम में मज़दूर मेले में राज्य के कई ज़िलों से जुटे हजारों मज़दूर, सामूहिक संघर्ष से आगे बढ़ने का लिया संकल्प

Rajasthan News: लगभग 32 साल पहले 1 मई 1990 को राजस्थान के कई मजदूर और किसान राजसमन्द ज़िले की भीम तहसील के पाटिया का चौड़ा पर एकत्रित हुए और मज़दूर किसान शक्ति संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.

Update: 2022-05-01 13:03 GMT

Rajasthan News: राजस्थान के भीम में मज़दूर मेले में राज्य के कई ज़िलों से जुटे हजारों मज़दूर, सामूहिक संघर्ष से आगे बढ़ने का लिया संकल्प

Rajasthan News: लगभग 32 साल पहले 1 मई 1990 को राजस्थान के कई मजदूर और किसान राजसमन्द ज़िले की भीम तहसील के पाटिया का चौड़ा पर एकत्रित हुए और मज़दूर किसान शक्ति संगठन की औपचारिक स्थापना हुई. राजस्थान के इस भाग में रहने वाले मजदूरों के लिए तभी से इस दिन का खास महत्त्व है. यह सभी लोग हर वर्ष अपनी एकजुटता अभिव्यक्त करने के लिए यहाँ एकत्रित होते हैं और शपथ लेते हैं कि आम आदमी के हितों से जुड़े मुद्दों पर मिलकर संघर्ष करेंगे. आज एक बार फिर राज्य के कई ज़िलों से आठ हज़ार से भी अधिक मज़दूर-किसान भीम के पाटिया का चौड़ा में इकट्ठा हुए जिनमें अधिकतर महिलाएँ थीं। इस वर्ष का मई मेला इसलिए भी खास रहा कि पिछले दो सालों में कोविड महामारी के चलते हम इस मेले को ऑनलाइन ही मना पाए और इस बार लगभग तीन साल बाद हम अपने सुख-दुःख बाँटने और अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए इस तरह भीम के मई मेले में इकठ्ठा हो पाए। इस मेले में संगठन के 32 साल के सफ़र को इस दौरान बने गीतों और नारों के साथ भी प्रस्तुत किया गया।

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने बताया कि इस वर्ष का यह मई मेला हमारे उन सभी साथियों को समर्पित है जिन्हें हमने पिछले कुछ समय में खोया है. हमारे साथी नारायण सिंह और रणजीत का देहांत तो एक ही दिन 9 जनवरी 2022 को हुआ। उन्होंने बताया कि संगठन के शुरुआती दिनों में शुरू हुए न्यूनतम मज़दूरी संघर्ष के समय बहुत कम उम्र में ही नारायण सिंह संगठन से जुड़े और फिर तीन दशकों तक वे संगठन के अभिन्न अंग रहे। उन्होंने बताया कि इसी तरह हमारे साथी आसू सिंह, राजी माँ, गणेश जी, शेर सिंह आदि को भी हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिनका अविस्मरणीय योगदान हमारे लिए प्रेरणास्पद है. मज़दूरों और किसानों के मुद्दों के प्रति इन सभी के समर्पण और उनके अथक संघर्ष से ही संगठन पिछले तीन दशकों में अपने काम को मज़बूती से कर पाया है. उन्होंने कहा कि इस इलाक़े के लोगों के सहयोग के चलते ही संगठन देश को सूचना एवं रोज़गार के अधिकार के क़ानून दिलवा पाया जिनका फ़ायदा आज करोड़ों लोग उठाते हैं और जिनसे पूरे देश के लोगों को फ़ायदा हुआ है।

इस मेले में कोविड से उपजे संकट और जन स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों के साथ-साथ नरेगा को ठीक से चलाने, न्यूनतम मजदूरी को उचित दर से बढाए जाने, राशन से गरीबों के काट दिए गए नामों को पुनः जोड़ने व खाध्य सुरक्षा कानून के अन्तर्गत शिकायत निवारण एवं पारदर्शिता लाए जाने व राशन की पूरी व्यवस्था से भ्रष्टाचार ख़त्म किये जाने, शराबबंदी, सिलिकोसिस, सामाजिक सुरक्षा पेंशन को महंगाई से जोड़कर बढ़ाने, राज्य में जवाबदेही कानून लागू करने, नफरत की राजनीति नकारने और 'हिंसा कभी नहीं' के नारे के साथ देश में सद्भाव कायम करने आदि मुद्दों पर भी चर्चा हुई। साथ ही, राजस्थान असंगठित मज़दूर यूनियन ने इस अवसर पर अपनी निम्न माँगें रखीं-

  • 1. न्यूनतम मजदूरी 600 रूपए हो। नरेगा में कार्य दिवस 200 दिन हो।। मजदूरी का 10 प्रतिशत औज़ार भत्ता लागू करो।
  • 2. NMMS - सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस NMMS एप्प जो भ्रष्टाचार रोकने के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस एप्प का हम स्वागत करते हैं। परंतु इस एप्प में तकनीकी रूप से आ रही समस्याओं से मजदूर झूझ रहे हैं। इस तकनीकी समस्या से निपटने के लिए सरकार के साथ एक नरेगा संवाद किया जावे।
  • 3. श्रम विरोधी कानून - मजदूरों के विरोध में बनाए गए चार लेबर कार्ड की हम कड़ी निन्दा करते है। और ये श्रम विरोधी कानून प्रत्येक क्षेत्र के प्रत्येक मजदूरों के हकों और अधिकारों पर वार हैं।

दिल्ली के सेंटर फ़ॉर फ़ायनैन्शल अकाउंटबिलिटी के अनिर्बान ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक ओर देश के ग़रीब मज़दूर किसान अपने रोज़ी रोटी के संकट से जूझ रहे हैं वहीं दूसरी ओर देश के अमीर उद्योगपतियों की सम्पत्ति कोविड संकट के बावजूद कई गुना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि यदि एक प्रतिशत अमीर लोगों की सम्पत्ति पर दो प्रतिशत का टैक्स भी लगाया जाए तो जन कल्याण की कई योजनाओं के लिए बड़ी राशि इकट्ठा की जा सकती है।

भीम के विधायक श्री सुदर्शन सिंह ने कहा कि मज़दूर किसान शक्ति संगठन के अथक संघर्ष और जज़्बे को मैं सलाम करता हूँ और पूरी उम्मीद करता हूँ कि आपका जनता के मुद्दों पर संघर्ष लगातार जारी रहेगा और सूचना, काम का अधिकार आदि पर जो अभूतपूर्व काम किया वह प्रेरणास्पद है।

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