इंफोसिस विवाद के बीच RSS नेता मनमोहन वैद्य का नया ज्ञान, धर्मयुद्ध में श्रेष्ठ लोगों पर भी चलाने होते हैं बाण

पांचजन्य के नए दफ्तर के उद्घाटन के मौके पर वैद्य ने कहा, आज भी राष्ट्रीय विचार को प्रभावी न होने देने के लिए कई तरह की शक्तियां सक्रिय हैं लेकिन धीरे-धीरे उनकी शक्ति कम हो रही है, यह लड़ाई लंबी चलने वाली है..

Update: 2021-09-07 08:03 GMT

(पांचजन्य के नए दफ्तर के उद्घाटन पर वैद्य का यह बयान सामने आया है)

जनज्वार। शीर्ष स्वदेशी IT कंपनी इन्फोसिस को लेकर छिड़े विवाद के बीच अब आरएसएस के नेता मनमोहन वैद्य का एक नया बयान सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, संघ समर्थित पत्रिका पांचजन्य के नए कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने कहा कि धर्मयुद्ध में यदि जरूरी होता है तो हमें विरोध में खड़े श्रेष्ठ लोगों पर भी बाण चलाने होंगे। हालांकि अपने भाषण में आरएसएस के सह सरकार्यवाह ने इन्फोसिस या उससे जुड़े किसी प्रसंग का कोई जिक्र नहीं किया।

पांचजन्य के नए दफ्तर के उद्घाटन के मौके पर वैद्य ने कहा, "आज भी राष्ट्रीय विचार को प्रभावी न होने देने के लिए कई तरह की शक्तियां सक्रिय हैं। लेकिन धीरे-धीरे उनकी शक्ति कम हो रही है। यह लड़ाई लंबी चलने वाली है और पांचजन्य उसका शंखनाद ही है। इस धर्मयुद्ध में ऐसे श्रेष्ठ लोगों पर भी बाण चलाने होंगे, जो धर्म के पक्ष में नहीं है।"

मनमोहन वैद्य ने महाभारत का जिक्र करते हुए पितामह भीष्म का उदाहरण दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मनमोहन वैद्य ने कहा कि पहला बाण अर्जुन ने उनके चरणों में नमन के लिए छोड़ा और फिर उन पर वार किया। हमको पूरे समाज को जोड़ना है और हम सभी को मानते हैं। हमें कोई भी काम धर्म के हित में ही करना है और बाकी सारा समाज अपना ही है।

उन्होंने कहा कि भारत के मूल विचार को लेकर हमें सबको साथ लेकर काम करना है और जरूरी है तो फिर धर्मयुद्ध का शंखनाद करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी मूल विचारधारा सभी को साथ लेकर चलने की है, लेकिन धर्मयुद्ध में श्रेष्ठ लोगों पर भी बाण चलाने होंगे।

बता दें कि हाल में ही पांचजन्य ने अपने आलेख में शीर्ष आईटी कंपनी इंफोसिस पर नक्सली, वामपंथी और टुकड़े टुकड़े गैंग की मदद करने का आरोप लगाया है। पांचजन्य ने लिखा है कि इंफोसिस के जरिए क्या कोई राष्ट्रविरोधी ताकत भारत के अर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पोर्टल और भारत सरकार के नए आयकर पोर्टल के मुद्दों को लेकर इंफोसिस की आलोचना की है। हालांकि RSS ने पांचजन्य के इस लेख से किनारा कर लिया है।

इंफोसिस द्वारा विकसित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर साप्ताहिक पत्रिका 'पांचजन्य ने स्वदेशी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी पर हमला किया और पूछा है कि क्या कोई राष्ट्र-विरोधी शक्ति इसके माध्यम से भारत के आर्थिक हितों को अघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है।

अपने लेटेस्ट एडिशन में पांचजन्य ने इंफोसिस 'साख और अघात' शीर्षक से चार पेज की कवर स्टोरी (कहानी) प्रकाशित की है और कवर पेज पर इसके संस्थापक नारायण मूर्ति की तस्वीर छापी है। लेख में बेंगलुरु स्थित कंपनी पर हमला किया गया है और इसे 'ऊंची दुकान, फीका पकवान' बताया गया है।

हालांकि इस लेख पर जब आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर से सवाल किया गया तो उन्होंने उससे दूरी बना ली थी। उन्होंने कहा था कि लेख में व्यक्त राय आरएसएस की नहीं है। इसके अलावा उन्होंने यह मानने से भी इनकार कर दिया था कि पांचजन्य आरएसएस का मुखपत्र है। 

वहीं, बाद में पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि इंफोसिस एक बड़ी कंपनी है और सरकार ने उसकी विश्वसनीयता के आधार पर उसे बहुत अहम कार्य दिए हैं। शंकर ने कहा कि इन कर पोर्टलों में गड़बड़ियां राष्ट्रीय चिंता का विषय हैं और जो इसके लिए जिम्मेदार हैं उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

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