इंफोसिस नक्सलियों व टुकड़े-टुकड़े गैंग की मददगार, RSS से जुड़े पांचजन्य ने लिखा विवादित आलेख
RSS के प्रचार प्रमुख ने कहा इंफोसिस संचालित पोर्टल को लेकर कुछ मुद्दे हो सकते हैं परंतु पान्चजन्य में इस संदर्भ में प्रकाशित लेख,लेखक के अपने व्यक्तिगत विचार हैं तथा पांचजन्य संघ का मुखपत्र नहीं है।
जनज्वार। आरएसएस से जुड़ी मानी जानेवाली पत्रिका पांचजन्य ने अपने आलेख में शीर्ष आईटी कंपनी इंफोसिस पर नक्सली, वामपंथी और टुकड़े टुकड़े गैंग की मदद करने का आरोप लगाया है। पांचजन्य ने लिखा है कि इंफोसिस के जरिए क्या कोई राष्ट्रविरोधी ताकत भारत के अर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पोर्टल और भारत सरकार के नए आयकर पोर्टल के मुद्दों को लेकर इंफोसिस की आलोचना की है। हालांकि RSS ने पांचजन्य के इस लेख से किनारा कर लिया है।
इंफोसिस द्वारा विकसित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका 'पांचजन्य ने स्वदेशी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी पर हमला किया और पूछा है कि क्या कोई राष्ट्र-विरोधी शक्ति इसके माध्यम से भारत के आर्थिक हितों को अघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
अपने लेटेस्ट एडिशन में पांचजन्य ने इंफोसिस 'साख और अघात' शीर्षक से चार पेज की कवर स्टोरी (कहानी) प्रकाशित की है और कवर पेज पर इसके संस्थापक नारायण मूर्ति की तस्वीर छापी है। लेख में बेंगलुरु स्थित कंपनी पर हमला किया गया है और इसे 'ऊंची दुकान, फीका पकवान' बताया गया है।
भारतीय कंपनी के नाते इंफोसिस का भारत की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान है।इंफोसिस संचालित पोर्टल को लेकर कुछ मुद्दे हो सकते हैं परंतु पान्चजन्य में इस संदर्भ में प्रकाशित लेख,लेखक के अपने व्यक्तिगत विचार हैं,तथा पांचजन्य संघ का मुखपत्र नहीं है।@editorvskbharat
— Sunil Ambekar (@SunilAmbekarM) September 5, 2021
यह रेखांकित करते हुए कि इंफोसिस द्वारा विकसित इन पोर्टलों में नियमित रूप से दिक्कतें आती हैं, जिस वजह से करदाताओं और निवेशकों को परेशानी होती है, लेख में कहा गया कि ऐसी घटनाओं ने भारतीय अर्थव्यवस्था में करदाताओं के विश्वास को कम कर दिया है।
लेख में हैरानी जताई गई है कि इंफोसिस द्वारा विकसित जीएसटी और आयकर रिटर्न पोर्टलों, दोनों में गड़बड़ियों के कारण, देश की अर्थव्यवस्था में करदाताओं के भरोसे को अघात पहुंचा है। क्या इंफोसिस के जरिए कोई राष्ट्रविरोधी ताकत भारत के आर्थिक हितों को अघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है?
Panchjanya is not mouthpiece of the RSS and the said article or opinions expressed in it should not be linked with the RSS. @editorvskbharat
— Sunil Ambekar (@SunilAmbekarM) September 5, 2021
हालांकि लेख में उल्लेख किया गया है कि पत्रिका के पास यह कहने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, लेकिन इसमें कहा गया है कि इंफोसिस पर कई बार 'नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गिरोह' की मदद करने का आरोप लगाया गया है। इसमें यह भी पूछा कि क्या इंफोसिस "अपने विदेशी ग्राहकों को भी इसी तरह की घटिया सेवा प्रदान करेगी?
लेख में कहा गया है कि सरकारी संगठन और एजेंसियां इंफोसिस को अहम वेबसाइटों और पोर्टलों के लिए अनुबंध देने में कभी नहीं हिचकिचाती हैं क्योंकि यह भारत की सबसे प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक है।
हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संपर्क करने पर, 'पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि इंफोसिस एक बड़ी कंपनी है और सरकार ने उसकी विश्वसनीयता के आधार पर उसे बहुत अहम कार्य दिए हैं। शंकर ने कहा कि इन कर पोर्टलों में गड़बड़ियां राष्ट्रीय चिंता का विषय हैं और जो इसके लिए जिम्मेदार हैं उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।