Russia-Ukraine war भारत को कितना करेगा प्रभावित, क्या मोदी की विदेश नीति भारत को निकाल पाएगी संकट से बाहर!

Russia-Ukraine war : रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध का असर भारत पर पड़ना तय है। भारत का चीन और रूस के साथ पहले वाला नहीं रहा। पाकिस्तान ने रूस से गठजोड़ का संकेत देकर भारत के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। ऐसे में पीएम मोदी की विदेश नीति देश को संभावित खतरे से बाहर निकाल पाएगा। यह अहम सवाल है।

Update: 2022-02-24 06:12 GMT

रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध भारत को कितना करेगा प्रभावित, क्या मोदी की नी​ति भारत को निकाल पाएगा संकट से बाहर! 

Russia-Ukraine war : रूस के ऐलान से पूरी संकट के भंवर में फंसने के मुंहाने पर है। ऐसा इसलिए कि रूस और यूक्रेन के बीच लंबे अरसे से जारी तनाव अब युद्ध में तब्दील हो गया है। रूस द्वारा यूक्रेन के दो स्वघोषित गणराज्यों को अलग देश की मान्यता देना और जंग का ऐलान करने के जवबा में अमेरिका ( America ) , नाटो व अन्य पश्चिम देश रूस को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में जुटे हैं। अर्थिक प्रतिबंध लगाने का सिलसिला तो शुरू हो चुका है। इसका असर भारत ( India ) पर पड़ना तय है। ऐसा इसलिए कि पिछले दो साल से भारत और चीन ( China ) के बीच संबंध बुरे दौर से गुजर रहे हैं। रूस ( Russia ) से भी भारत का संबंध पहले वाला नहीं रहा। इस बीच पाकिस्तान ( Pakistan ) ने रूस से गठजोड़ कर नए संकेत दे दिए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पीएम मोदी की विदेश नीति ( Indian Foreign Policy ) देश को संभावित खतरे से बाहर निकाल पाएगा या नहीं।

सही मायने में मोदी ( PM Narendra Modi ) की एक राजनेता के रूप में परीक्षा का दौर अब शुरू हुआ है। ऐसा इसलिए कि मोदी की नीतियों की वजह से न तो चीन ( China ) से और न ही रूस ( Russia ) से हमारे संबंध पुराने वाले रहे। यही वजह है कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को लेकर जर्मनी के म्युनिक सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में बयान दिया कि भारत और चीन के रिश्ते बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। 2020 से पहले के 45 साल तक शांति का माहौल था, लेकिन अब चीन सीमा समझौतों का लगातार उल्लंघन कर रहा है। ऐसे में सीमा पर कैसी स्थिति रहती है, इसी पर हमारे रिश्ते भी निर्भर करते है।

दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से भारत के लिए भी खतरा बढ़ गया है। यह खतरा हर स्तर पर है। इस युद्ध से भारत की हैसियत प्रभावित होने के साथ महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकट को नए सिरे से बढ़ावा देगा। वो इसलिए क्योंकि भारत सबसे ज्यादा रक्षा हथियार रूस से खरीदता है। अमेरिका पहले ही चेता चुका था कि अगर यूक्रेन पर हमला होता है तो रूस पर कई सारे प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे। Vladimir Putin द्वारा युद्ध के ऐलान के बाद अमेरिका ( Joe Biden ) ने रूस के खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर दिया है। अब रूस द्वारा युद्ध की घोषणा के बाद अमेरिका ने रूस को घातक परिणाम की चेतावनी दी है।

आज भी रक्षा मामले में रूस पर निर्भर है भारत

डिफेंस सेक्टर में भारत अभी भी सबसे ज्यादा निर्भर रूस पर है। स्वीडिश संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक भारत 49% हथियार रूस से आयात करता है। भारत के पास आधी से ज्यादा मिलिट्री सप्लाई रूस से ही आती है। SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा हथियार खरीदने वाले देशों में भारत दूसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर 11 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सऊदी अरब है। भारत ने रूस के साथ S-400 मिसाइल सिस्टम और AK-203 असॉल्ट राइफल के लिए भी रूस से डील की है।

रूस-यूक्रेन युद्ध भारत के लिए नई मुसीबत क्यों?

रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध ( Russia-Ukrain War ) भारत के लिए नई मुसीबत इसलिए है कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समेत ज्यादातर पश्चिमी देश यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। रूस एक तरह से फिलहाल अलग-थलग दिख रहा है। ऐसे में उसे भी साथियों की जरूरत है। ऐसे में भारत के लिए किसका साथ दे वाली स्थिति बन सकती है। क्योंकि रूस के साथ गया तो अमेरिका और ब्रिटेन जैसे संबंधों पर असर पड़ सकता है। अगर यूक्रेन के साथ गया तो रूस से रिश्ते बिगड़ सकते हैं।

रूस-चीन-पाक गठजोड़ उभरकर आ सकता है सामने

भारत के लिए चिंता की एक बात ये भी है कि रूस की तरह ही चीन भी नहीं चाहता की यूक्रेन NATO में शामिल हो। अगर जंग आगे खिचता है तो चीन के रूस के साथ जाने की पूरी संभावना है। वहीं, अगर अमेरिका रूस पर प्रतिबंध लगाता है तो चीन रूस का साथ दे सकता है। ऐसे में रूस और चीन के बीच नजदीकियां बढ़ जाएंगी जो भारत के लिए ठीक नहीं होगा। फिर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की रूस यात्रा से इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि रूस—पाकिस्तान—चीन का नया गठजोड़ सामने आ सकता है। जो भारत के हित में नहीं होगा।

जंग शुरू होने की वजह से रूस पर प्रतिबंध लगे हैं। ऐसे में रूस-भारत डिफेंस डील भी प्रभावित होगी। ऐसे में भारत के डिफेंस सेक्टर पर असर पड़ेगा। और चीन के साथ जारी तनाव के बीच ऐसी स्थिति भारत के लिए मुश्किल बढ़ा सकती है। दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान की मंशा भी भारत को मुश्किल में डालने की है। ऐसे में भारत पर भी युद्ध का खतरा मंडरा सकता है। ऐसा हुआ तो चीन और पाक के साथ भारत को दो मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार रहना होगा।

मोदी की परीक्षा क्यों?

Russia-Ukraine war : रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से उत्पन्न तनाव की स्थिति मोदी के लिए अग्नि परीक्षा इसलिए कि भारत अभी न तो रक्षा मामले में और न ही आर्थिक मजबूती के लिहाज से इस स्थिति में है कि वो अपना अलग स्टैंड ले सके। फिर मोदी के सात साल के शासन में रूस, चीन, पाकिस्तान, पड़ोसी देशें के भी भारत के संबंध अच्छे नहीं हैं। पीएम मोदी ने अमेरिका, फांस, ब्रिटेन के साथ संबंध तो अच्छे बनाए लेकिन मोदी वेस्ट अलाएंस के साथ मिल दूसरे गुट के साथ मोर्चा भी खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। यही मोदी का धर्मसंकट है और भारत के लिए खतरा। जब बात दुनिया के गुटों में बंटने की हो और आप किसी में शामिल होने के तैयार न हों तो आपका अलग-थलग पड़ना तय होता है।

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