Kaun Hain Sawarkar: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का नया 'ज्ञान', सावरकर थे देश के पहले रक्षा विशेषज्ञ, शेर से की तुलना
Kaun Hain Sawarkar: सावरकर के बारे में कई तरह की बातें की जाती हैं, सावरकर को 'माफीवीर' बताते हुए अंग्रेजों से उनके द्वारा माफी मांगने की अक्सर चर्चा होती है वहीं राजनाथ सिंह ने उन्हें 'शेर' करार दिया है..
Kaun Hain Sawarkar: विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Sawarkar).के बारे में कई तरह की बातें की जाती हैं। एक तरफ एक धड़ा जहां सावरकर को 'माफीवीर' (Maafiveer) बताते हुए अंग्रेजों से उनके द्वारा माफी मांगने की बात कहता है तो दूसरी ओर आरएसएस और बीजेपी सावरकर की खूब तारीफ करते हैं और 'वीर' बताते हैं। इस बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सावरकर के बारे में एक नया 'ज्ञान' दे दिया है, जिसपर बहस का दौर चल पड़ा है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने सावरकर (Savarkar) पर आधरित एक पुस्तक का विमोचन किया। इस दौरान राजनाथ सिंह ने सावरकर को पहला रक्षा विशेषज्ञ और शेर करार दिया। उन्होंने सावरकर द्वारा किए कामों की खूब सराहना की।
वहीं, आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि लोगों के अंदर अभी भी उनके बारे में जानकारी अभाव है। बता दें कि सावरकर पर आधारित इस पुस्तक को उदय माहूकर (Uday Mahukar) ने लिखा है। उदय माहूरखर मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक वीडी सावरकर ने भारत को "मजबूत रक्षा और राजनयिक सिद्धांत" के साथ प्रस्तुत किया। उन्होंने सावरकर को 20वीं शताब्दी (20th Century) में भारत के सबसे बड़े और पहले रक्षा और रणनीतिक मामलों का विशेषज्ञ बताया।
दिल्ली (New Delhi) में सावरकर पर एक किताब (Book) के विमोचन के मौके पर रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधाराओं का पालन करने वाले लोगों ने सावरकर पर फासीवादी और हिंदुत्व के समर्थक होने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "अन्य देशों के साथ भारत के संबंध इस बात पर निर्भर होने चाहिए कि वे हमारी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के लिए कितने अनुकूल हैं। वह स्पष्ट थे कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे देश में किस तरह की सरकार थी। कोई भी देश तब तक दोस्त रहेगा जब तक यह हमारे हितों के अनुकूल रहेगा।"
राजनाथ सिंह ने आगे कहा, "सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे इसमें कहीं दो मत नहीं हैं। किसी भी विचारधारा के चश्मे से देखकर राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को अनदेखा करना, अपमानित करना ऐसा काम है जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता।"
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर के जीवन की कहानी बड़े लंबे समय तक उन लोगों द्वारा बताई गई। जो खास विचारधारा से प्रभावित थे। हमारे देश का एक बड़ा तबका उनके जीवन को अभी तक सही से समझ नहीं पाया है। न ही उनके महान व्यक्तित्व की समझने की कोशिश की है। वो उनकी चीजों से अपरिचित रहा है।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए एक अभियान चलाया गया था। उन्होंने कहा, "वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे और इसके बारे में कोई दो राय नहीं है। उसे अन्यथा चित्रित करना क्षम्य नहीं है।"
1910 के दशक में अंडमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सावरकर की दया याचिकाओं के बारे में विवाद का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा, "यह एक कैदी का अधिकार था। गांधी जी ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था। बापू ने अपील में सावरकर करने की भी बात कही थी। उन्होंने कहा था जिस तरह हम शांति से आजादी के लिए लड़ रहे हैं, वह भी ऐसा ही करेंगे।'"
राजनाथ सिंह उदय माहूरकर और चिरायु पंडित द्वारा लिखित पुस्तक वीर सावरकर- द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।
इस मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा कि जिन लोगों ने सावरकर के बहुआयामी व्यक्तित्व को नहीं समझा, उन्होंने उन्हें बदनाम किया। उन्होंने कहा कि सावरकर की विचारधारा अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के बावजूद एक साथ चलने और एक स्वर में बोलने में सक्षम होने के विचार के अनुरूप थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सावरकर को शेर बताते हुए कहा कि जब तक शेर अपनी कहानी खुद नहीं कहता, तब तक शिकारी महान बना रहता है। उन्होंने कहा कि देश सावरकर के महान व्यक्तित्व व देश भक्ति से लंबे समय तक अपरचित रहा। उन्होंने हेय दृष्टि से देखना न्याय संगत नहीं है। उन्हें किसी भी विचारधारा के चश्मे से देख कर उनको अपमानित करने वालों को माफ नहीं किया जा सकता है।
राजनाथ ने कहा, "सावरकर महानायक थे, हैं और रहेंगे।" राजनाथ सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी का उल्लेख करते हुए कहा कि वाजपेयी ने सावरकर की सही व्याख्या की थी।
उन्होंने सावरकर को बदनाम करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुछ लोग उन पर नाजीवीदी व फांसीवादी होने का आरोप लगाते हैं। यह वह लोग हैं जो माक्र्सवादी व लेनिनवादी हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा, "सावरकर हिंदुत्व को मानते थे, लेकिन वह हिंदूवादी नहीं, राष्ट्रवादी यथार्थवादी थे। उनके लिए देश राजनीतिक इकाई नहीं, सांस्कृतिक इकाई था। वीर सावरकर 20 वीं सदी के सबसे बड़े सैनिक व कूटनीतिज्ञ थे। सावरकर व्यक्ति नहीं विचार थे जो हमेशा रहेगा।"
कौन थे सावरकर | Kaun Hain Sawarkar
1883 में मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में जन्मे विनायक दामोदर सावरकर के बारे में कहा जाता है कि वो नेता, वकील, लेखक और 'हिंदुत्व' दर्शनशास्त्र के प्रतिपादक थे। हिंदु महासभा से जुड़कर हिंदुत्व का प्रचार किया था।
वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्पति केआर नारायणन के पास सावरकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया था।
साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठे दिन विनायक दामोदर सावरकर को गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया था। हांलाकि उन्हें फरवरी 1949 में बरी कर दिया गया था।
अपने राजनीतिक विचारों के लिए सावरकर को पुणे के फरग्यूसन कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया था। साल 1910 में उन्हें नासिक के कलेक्टर की हत्या में संलिप्त होने के आरोप में लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था।
सावरकर को 25-25 साल की दो अलग-अलग सजाएं सुनाई गईं और सजा काटने के लिए भारत से दूर अंडमान यानी 'काला पानी' भेज दिया गया। आलोचक कहते हैं कि यहां से सावरकर की दूसरी जिंदगी शुरू होती है। सेल्युलर जेल में उनके काटे 9 साल 10 महीनों ने अंग्रेजों के प्रति सावरकर के विरोध को बढ़ाने के बजाय समाप्त कर दिया। उस दौर में उनकी लिखी कई चिट्ठियां विवादित हुईं। इसी को लेकर विरोधी 'माफीवीर' कहकर आलोचना करते हैं।
अंडमान से वापस आने के बाद सावरकर ने एक पुस्तक लिखी 'हिंदुत्व - हू इज हिंदू?' (Hindutva - Who is Hindu) जिसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया।