SBI Loan Scam : लोन घोटाले में SBI के पूर्व चेयरमैन गिरफ्तार, 200 करोड़ की प्रॉपर्टी 24 करोड़ में बेचने का है आरोप

SBI Loan Scam : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी को लोन घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है।

Update: 2021-11-01 17:45 GMT

(लोन घोटाला मामले में SBI के पूर्व चैयरमैन प्रतीप चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया है) File pic.

SBI Loan Scam : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी (Pratip Chaudhary arrested) को लोन घोटाला (SBI loan scam) मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। राजस्थान के जैसलमेर जिला के पुलिस अधीक्षक डॉ अजय सिंह ने सोमवार, 1 नवंबर को यह जानकारी दी।

एसपी अजय सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने एसबीआई के पूर्व चेयरमैन को गिरफ्तार किया है। प्रतीप चौधरी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

प्रतीप चौधरी को जैसलमेर (Jaisalamer) में स्थित एक होटल की बिक्री में गड़बड़ी करने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। उन्हें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Arrested from Delhi) स्थित उनके आवास से जैसलमेर की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मामला एक होटल के प्रोजेक्ट से जुड़ा है। 

जानकारी के मुताबिक, Ghar Rajwada ने एक होटल प्रोजेक्ट (Hotel project) के लिए SBI से लोन लिया था। जिसका भुगतान वह नहीं कर पाए, जिसके बाद बैंक ने यह संपत्ति ARC को बेच दी। रिटायर होने के बाद प्रतीप चौधरी इसी कंपनी के डाॅयरेक्टर बना दिए गए थे।

इस प्रकरण पर SBI ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस पूरी संपत्ति की बेचने की प्रक्रिया मार्च 2014 में शुरू हुई थी। जबकि प्रतीप चौधरी सितबंर 2013 में ही रिटायर हो गए थे।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने बयान में कहा, "2007 में जैसलमेर में Garh Rajwada प्रोजेक्ट के लिए बैंक की तरफ से फाइनेंस किया गया था। प्रोजेक्ट अगले तीन साल में पूरा नहीं हो पाया है और साथ ही मुख्य प्रमोटर की मौत अप्रैल 2010 में हो गई थी।' बैंक ने कहा कि अकाउंट जून 2010 में NPA श्रेणी में आ गया था।"

SBI ने कहा, "रिकवरी विफल रहने पर जनवरी 2014 में ARC को यह संपत्ति बेचने की अनुमति दी गई। यह प्रक्रिया मार्च 2014 में पूरी हुई। अब यह पता चला है कि उधारकर्ता ने एआरसी को संपत्ति बेचने के खिलाफ राज्य पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।"

स्टेट बैंक की ओर से यह भी कहा गया है कि संपत्ति की बिक्री के बाद लोन लेने वाले शख्स ने प्राथमिकी दर्ज करवा दी। हालांकि, शिकायत करने वाला कोर्ट में अपने आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा।

चूंकि इस मामले में एसबीआई को किसी ने पक्षकार नहीं बनाया था, इसलिए जांच और सुनवाई के दौरान उसकी राय की जरूरत नहीं पड़ी।

बैंक ने कहा है कि संपत्ति की बिक्री करने से पहले एसबीआई ने सारी प्रक्रिया का पालन किया था। एसबीआई ने कहा है कि आगे की जांच में बैंक न्यायिक अधिकारियों की पूरी मदद करेगा। सौदे से जुड़ी तमाम जानकारियां उन्हें उपलब्ध करायी जायेंगी। बता दें कि प्रतीप चौधरी सितंबर 2013 में रिटायर हुए थे।

बैंक ने कहा कि इसी केस में ARC समूह के सभी डाॅयरेक्टर का नाम है। जिसमें प्रतीप चौधरी का नाम भी शामिल है। जो 2014 में ARC समूह का डाॅयरेक्टर बनाए गए थे।

बैंक ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया है कि इस पूरे मामले में बैंक पार्टी नहीं है। साथ ही इस पूरे केस की सुनवाई के दौरान कभी भी बैंक का बयान नहीं दर्ज कराया गया है। 

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