दलित जज कर्णन को 6 महीने की सजा होने पर प्रशांत भूषण ने जताई थी खुशी, लोग दिला रहे हैं याद
साल 2017 में चर्चित जस्टिस सी.एस. कर्णन का मामला सबसे ज्यादा चर्चाओं में था, तब उन्होंने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और जातिवाद का मुद्दा उठाया था, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी ठहराकर उन्हें 6 महीने के लिए जेल भेज दिया था....
निर्मलकांत की टिप्पणी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की सजा पर फैसला 20 अगस्त को होना है। भूषण को दो ट्वीट्स के आधार पर कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया गया है। एक ट्वीट उन्होंने 27 जून को किया था जिसमें लिखा था कि जब भावी इतिहास कार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र खत्म हो चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्याधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।
जबकि दूसरे ट्वीट उन्होंने 29 जून को किया था जिसमें उन्होंने बिना मास्क और हेलमेट के मोटरसाइकिल चलाने पर आलोचना की थी। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि एक ऐसे समय में जब सुप्रीम कोर्ट तक लॉकडाउन है, सीजेआई राजभवन नागपुर में बीजेपी नेता से संबंधित पचास लाख की मोटरसाइकिल पर बिना मास्क या हेलमेट के सवारी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों ट्वीट्स के आधार पर उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया है।
प्रशांत भूषण की सजा को लेकर चल रही बहस के साथ ही साल 2017 का चर्चित जस्टिस सी.एस. कर्णन का मामला एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। जस्टिस कर्णन ने न्यायपालिका में जातिवाद और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। इसके बाद कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराकर उन्हें छह महीने के लिए जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया। हालांकि जस्टिस कर्णन अब इस सजा को काट चुके हैं और सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लेकिन प्रशांत भूषण का वह ट्वीट फिर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने जस्टिस कर्णन को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराने पर खुशी जाहिर की थी।
तब वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर लिखा था, 'ख़ुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार कर्णन को अदालत की घोर अवमानन के लिए जेल में डाल दिया। उन्होंने जजों पर लापरवाही का आरोप लगाया और फिर सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ गैर-कानूनी आदेश पारित किए।'
Glad SC finally jailed Karnan for gross contempt of court.He made reckless charges on judges &then passed absurd 'orders' against SC judges!
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) May 9, 2017
अब जब प्रशांत भूषण खुद अदालत की अवमानना के दोषी ठहराए गए हैं तो सोशल मीडिया पर यूजर्स उन्हीं के रिट्वीट और पोस्ट कर उन्हें घेर रहे हैं। ट्विटर पर 'Justice For Justice Karnan' हैशटैग के साथ इस पर चर्चा कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे समूह के पूर्व ग्रुप एडिटर दिलीप मंडल ने जस्टिस सी.एस.कर्णन और प्रशांत भूषण के मामले को लेकर कई ट्वीट किए हैं। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'प्रशांत भूषण ने हाई कोर्ट के सिटिंग जज जस्टिस कर्णन के जेल जाने की ख़ुशी मनाई थी और सामान्य शिष्टाचार को भूलकर कर्णन के नाम के आगे जस्टिस लगाना तक भूल गए थे। इतने जातिवादी होते हैं सवर्ण।'
प्रशांत भूषण ने हाई कोर्ट के सिटिंग जज जस्टिस कर्णन के जेल जाने की ख़ुशी मनाई थी और सामान्य शिष्टाचार को भूलकर कर्णन के नाम के आगे जस्टिस लगाना तक भूल गए थे।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 16, 2020
इतने जातिवादी होते हैं सवर्ण। #Justice_For_Justice_Karnan pic.twitter.com/OOihG7TIAL
एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'जो लोग प्रशांत भूषण के पक्ष में बोल रहे हैं, लेकिन जस्टिस कर्णन के पक्ष में बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, वे जातिवादी हैं। आप उन्हें अनफोलो कर सकते हैं।'
जो लोग प्रशांत भूषण के पक्ष में बोल रहे हैं, लेकिन जस्टिस कर्णन के पक्ष में बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, वे जातिवादी हैं। आप उन्हें Unfollow कर सकते हैं। @pbhushan #Justice_For_Justice_Karnan
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 16, 2020
इस जज को न्यायपालिका बर्दाश्त नहीं कर पाई। #Justice_For_Justice_Karnan pic.twitter.com/avewaSoRJO
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 16, 2020
कर्णन जनता के महानायक हैं। उन जातिवादी जजों का नाम कुछ दिन बाद सभी भूल जाएँगे, जिन्होंने जस्टिस कर्णन को सच बोलने की सजा दी।
इस हैश टैग पर 1,00,000 से ज़्यादा ट्वीट। कर्णन जनता के महानायक हैं। उन जातिवादी जजों का नाम कुछ दिन बाद सभी भूल जाएँगे, जिन्होंने जस्टिस कर्णन को सच बोलने की सजा दी। #Justice_For_Justice_Karnan pic.twitter.com/etHfczmQ3d
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 17, 2020
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'मार्कण्डेय काटजू ने कोर्ट पर टिप्पणी की और फिर माफ़ी माँग ली। प्रशांत भूषण भी यही करने वाले हैं। लेकिन डॉ. आंबेडकर के मानस-पुत्र जस्टिस कर्णन ने माफ़ी माँगने से इनकार कर दिया और जेल गए। ये बात कर्णन साहेब को ख़ास बनाती है।'
मार्कण्डेय काटजू ने कोर्ट पर टिप्पणी की और फिर माफ़ी माँग ली। प्रशांत भूषण भी यही करने वाले हैं। लेकिन डॉ. आंबेडकर के मानस-पुत्र जस्टिस कर्णन ने माफ़ी माँगने से इनकार कर दिया और जेल गए। ये बात कर्णन साहेब को ख़ास बनाती है। https://t.co/Id194yMBP7#Justice_For_Justice_Karnan
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 17, 2020
मंडल ने आगे लिखा, 'जस्टिस कर्णन के घर पर मैं गया हूँ। हाई कोर्ट में जज रहने के दौरान वे अपना पूरा वेतन दलित और आदिवासी बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करते थे। इसलिए उन्हें जब सुप्रीम कोर्ट के जातिवादी जजों ने सजा सुनाई तो तमिलनाडु में इसका व्यापक विरोध हुआ।'
जस्टिस कर्णन के घर पर मैं गया हूँ। हाई कोर्ट में जज रहने के दौरान वे अपना पूरा वेतन दलित और आदिवासी बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करते थे। इसलिए उन्हें जब सुप्रीम कोर्ट के जातिवादी जजों ने सजा सुनाई तो तमिलनाडु में इसका व्यापक विरोध हुआ। #Justice_For_Justice_Karnan pic.twitter.com/LNixnogVeh
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 16, 2020
गुजरात के विधायक छोटूभाई वसावा ने ट्वीट किया, 'हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन एक गरीब दलित परिवार से हाई कोर्ट में जज के पद पर पहुँचे। सुप्रीम कोर्ट पहुँचने से पहले उनका घेर कर शिकार कर लिया गया। तब सोशल मीडिया में कोई नहीं बोला आज लिखिए ट्वीट कीजिए।'
हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन एक गरीब दलित परिवार से हाई कोर्ट में जज के पद पर पहुँचे।
— Chhotubhai Vasava (@Chhotu_Vasava) August 16, 2020
सुप्रीम कोर्ट पहुँचने से पहले उनका घेर कर शिकार कर लिया गया।
तब सोशल मीडिया में कोई नहीं बोला
आज लिखिए ट्वीट कीजिए।
#Justice_For_Justice_Karnan
सूरज कुमार बौद्ध लिखते हैं, 'मुझे प्रशांत भूषण जी के प्रति उतनी ही हमदर्दी है जितनी हमदर्दी उन्हें जस्टिस कर्णन के प्रति थी। न ज्यादा न कम।'
मुझे प्रशांत भूषण जी के प्रति उतनी ही हमदर्दी है जितनी हमदर्दी उन्हें जस्टिस कर्णन के प्रति थी। न ज्यादा न कम। #Justice_For_Justice_Karnan pic.twitter.com/QBuz74kogx
— Suraj Kumar Bauddh (@SurajKrBauddh) August 16, 2020
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता नितिन मेश्राम लिखते हैं, 'सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को कहा था माफ़ी माँग लो हम छोड़ देंगे, जस्टिस कर्णन का कहना था किस चीज़ की माफ़ी? बस यही बात सुप्रीम कोर्ट को पसंद नहीं आयी और छह महीने ज़ैल की सजा दे दी। जस्टिस कर्णन दलित हैं इसलिए लिए इनके साथ भेदभाव और अन्याय हुआ है।'
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को कहा था माफ़ी माँग लो हम छोड़ देंगे, जस्टिस कर्णन का कहना था किस चीज़ की माफ़ी? बस यही बात सुप्रीम कोर्ट को पसंद नहीं आयी और छह महीने ज़ैल की सजा दे दी. जस्टिस कर्णन दलित हैं इसलिए लिए इनके साथ भेदभाव और अन्याय हुआ है. #Justice_For_Justice_Karnan pic.twitter.com/z1wkNzgcvS
— Nitin Meshram (@jaibhimworld) August 16, 2020
बता दें कि फरवरी 2017 में जब जस्टिस कर्णन को अवमानना का नोटिस सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी किया गया था तब वह कोलकाता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। उस जस्टिस सीएस कर्णन ने न्यायिक व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि पीठ का झुकाव सवर्णों की तरफ है। ऊंची जाति वाले जज एक दलित से छुटकारा पाने के लिए अपनी न्यायिक शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से सुप्रीम कोर्ट को दलित विरोधी भी बताया था। जस्टिस कर्णन दलित समुदाय से ही ताल्लुक रखते हैं।
उन्हें ये नोटिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी उस चिट्ठी की वजह से मिला था, जिसमें उन्होंने 20 जजों का नाम लेकर भ्रष्ट बताया था। इस तरह का नोटिस पाने वाले कर्णन हाईकोर्ट के पहले सिटिंग जज थे। जस्टिस सी.एस. कर्णन 2011 में भी चर्चाओं में आए थे जबा उन्होंने अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग को चिट्ठी लिखी थी कि उनके दलित होने की वजह से वह अन्य जजों द्वारा उत्पीड़ित किए जाते हैं।
इसी तरह साल 2016 में जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा मद्रास हाईकोर्ट से कोलकाता हाईकोर्ट में ट्रांसफर आदेश को लेकर भी सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे देश में बसना चाहते हैं जहां जातिवाद न हो।