बिहार के गया में कोविड मरीजों के इलाज की खबर छापने पर दैनिक भास्कर के पत्रकार पर दर्ज हुई FIR
मंगलवार 25 मई को दैनिक भास्कर के गया संस्करण में अस्पताल की लापरवाही संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद न सिर्फ विपक्षी बल्कि सत्ताधारी दल के नेताओं ने भी अधीक्षक के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है...
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार सरकार की ख़ामियाँ उजागर करने पर सरकार ने दैनिक भास्कर के पत्रकार पर FIR दर्ज किया है। बिहार कुमार के कागजी विकास की पोल खुल चुकी है। वह आपा खो चुके है इसलिए अब निष्पक्ष पत्रकारों पर केस दर्ज करवा उन्हें डरा-धमका रहे है। उनका यह नाजीवादी चरित्र अब पूरा देश देख रहा है।
गौरतलब है कि अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज सह-अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही बरते जाने और पत्रकार पर मुकदमा के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ना शुरु कर दिया है। मंगलवार 25 मई को दैनिक भास्कर के गया संस्करण में अस्पताल की लापरवाही संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद न सिर्फ विपक्षी बल्कि सत्ताधारी दल के नेताओं ने भी अधीक्षक के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है।
कई नेताओं द्वारा इस संबंध में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की गई है। मामले को लेकर जदयू के युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष कुमार गौरव उर्फ गौरव सिन्हा ने कहा कि किसी भी संस्था प्रधान के द्वारा किसी को धमकी देना एवं मुकदमा दर्ज करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में सीएम नीतीश कुमार की दूरदर्शिता और कोरोना योद्धाओं की एकजुटता के कारण बिहार कोरोना के भयावह दूसरी लहर को भी पार करने में सफल हो रहा है। गौरव ने कहा कि सरकार ने पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिया है और उनकी सुविधा और सुरक्षा के लिए भी काम कर रही है।
क्योंकि पत्रकार समाज के वो सदस्य है जो अपनी जान की जोखिम उठा कर आम अवाम को सच्चाई से रुबरु करवाती है और ऐसे में किसी अधिकारी के द्वारा धमकी देना और मुकदमा दर्ज करवाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय है।
बताते चलें कि गया मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक द्वारा मगध मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को लिखे गए पत्र में भास्कर के पत्रकार रंजन सिंहा पर आरोप लगा है कि वह 23 मई को रात 1 बजकर 40 मिनट पर मरीजों के वार्ड में बिना अनुमती व कोविड प्रोटोकाल के नियमों को तोड़ते हुए अंदर दाखिल हो गए थे। रोगियों को बाधा पहुँचाने के लिए उनपर मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की गई है।