यूपी: 20 हजार का इनामी बदमाश बना ग्राम प्रधान, खुलेआम किया प्रचार लेकिन पुलिस को नहीं लगी भनक

26 अप्रैल को वोटिंग के बाद दो मई को चुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे। इन नतीजों में निवाड़ खास गांव से अवैध शराब तस्करी के आरोपित संजय को ग्राम प्रधान पद पर जीत हासिल हुई थी....

Update: 2021-05-29 08:08 GMT

(एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए 20 हजार के इनामी के प्रधान बनने की जानकारी मिलने पर पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया)

जनज्वार डेस्क। उत्तर प्रदेह के मुरादाबाद से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहाँ  सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के अगवानपुर में बीते सात फरवरी को एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में अवैध शराब के कारोबार में संलिप्त आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इन आरोपितों में दो लोग एक माह बाद जमानत में रिहा हो गए थे। जिसमें भगतपुर थाना क्षेत्र के निवाड़ खास गांव निवासी आरोपित संजय पंचायत चुनाव में प्रधान पद के लिए खड़ा हुआ था।

खबरों के मुताबिक जमानत होने के बाद पुलिस इस मामले में शांत होकर बैठ गई, वहीं आरोपित संजय अपनी पकड़ गांव की राजनीति में बनाने लगा हुआ था। 26 अप्रैल को वोटिंग के बाद दो मई को चुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे। इन नतीजों में निवाड़ खास गांव से अवैध शराब तस्करी के आरोपित संजय को ग्राम प्रधान पद पर जीत हासिल हुई थी।

हालांकि, इस दौरान जिला पुलिस आरोपित संजय और बंटी को गिरफ्तार करने के लिए प्लान तैयार कर रही थी। पुलिस ने दस मई को दोनों आरोपितों पर गैंगेस्टर एक्ट के तहर कार्रवाई की। इसके बाद बीते 23 मई को दोनों आरोपितों पर 20-20 हजार रुपये का ईनाम घोषित कर दिया।

चुनाव लड़ने और जीतने के दौरान आरोपित खुलेआम अपना प्रचार करता रहा,लेकिन पुलिस की पकड़ से बाहर रहा। वहीं, चुनाव जीतने के बाद शपथ भी ग्रहण कर ली,लेकिन पुलिस को इस बात की खबर तक नहीं लगी।

एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए 20 हजार के इनामी के प्रधान बनने की जानकारी मिलने पर पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। आला अफसरों को इसकी जानकारी हुई तो वे विधिक राय लेने के साथ ही आरोपी का रिकार्ड खंगालने में जुट गए। इनामी बदमाश चुनाव लड़ सकता है या नहीं, इसकी जानकारी के लिए अफसरों ने एक-दूसरे से संपर्क शुरू कर दिया।

रिकार्ड खंगालने के बाद मालूम हुआ कि गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध होने व इनाम घोषित होने से पहले ही वह चुनाव जीत चुका था। विधिक राय लेने पर मालूम हुआ कि नियमानुसार वह चुनाव लड़ सकता था। यह जानकारी होने के बाद अफसरों ने राहत की सांस ली।

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