Barabanki Breaking : कब्रगाहों में बदलती यूपी की गौशालायें, मौत के बाद दफनाकर जवाबदेही से बच रहा प्रशासन

मामला बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ स्थित हसनपुर गौशाला का है। दरअसल इस गौशाला का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बारिश के कारण एक दिन में दो दर्जन से अधिक गायों मौत होनी बताई जा रही हैं...

Update: 2021-09-17 15:12 GMT

(बाराबंकी गौशाला में मृत पड़ी गाएं)

जनज्वार, बाराबंकी। 2017 विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनने के बाद गायों की सुरक्षा के लिए योगी सरकार (Yogi government) ने तमाम वादे किये। गौशालाओं का फंड भी जारी किया गया तो कई गौशालाओं का निर्माण भी कराया गया। बावजूद इसके हालात कुछ और ही हैं। उन्नाव और इटावा के बाद अब बाराबंकी की गौशाला में गायों के मरने की बात सामने आई है। 

यह हैरानी की बात है कि गौशाला में दो दर्जन से अधिक गायों की मौत होने के बाद भी प्रशासन चुप्पी नहीं तोड़ रहा। मामला बाराबंकी (Barabanki) जिले के हैदरगढ़ स्थित हसनपुर गौशाला का है। दरअसल इस गौशाला का एक वीडियो वायरल (Video Viral) हो रहा है, जिसमें बारिश के कारण एक दिन में दो दर्जन से अधिक गायों मौत होनी बताई जा रही हैं।

दरअसल, सत्ता हासिल करने के बाद योगी सरकार ने गोहत्या रोकने और आवारा पशुओं के सहारे के लिए यूपी के सभी जिलों में गौशाला निर्माण कराने का फैसला किया था। इसी के तहत बाराबंकी (Barabanki) जिले में भी कई गौशालाओं का निर्माण कराया गया। लेकिन ये गौशालाएं दुर्व्यवस्था का शिकार हो गईं।

यहां न तो पशुओं को समय से चारा मिलता है, और न ही पानी, जिसके कारण विकास खण्ड हैदरगढ़ क्षेत्र के हसनपुर गौशाला (Cow Shelter) में दो दर्जन से अधिक गायों की मौत हो गई। साथ ही कई पशु बीमार भी बताए जा रहे हैं। 

अव्यवस्थाओं का शिकार हैं बेजुबान

जब इस वायरल वीडियो के बारे में एसडीएम हैदरगढ़ (SDM Haidargarh) शालिनी प्रभाकर से जानकारी ली गई, तो उन्होंने मात्र 8 गायों की मौत की पुष्टि की। साथ ही उन्होने वायरल वीडियो में गिनती की जा रही मृत पड़ी 25 गायों की मौत को निराधार व गलत बताया। एसडीएम के अलावा अन्य कर्मचारी भी इस मामले पर लीपापोती कर रहे हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि गौशाला में अव्यवस्था होने से आए दिन गायों की मौत हो रही है। इन मरी हुई गायों को बिना पोस्टमार्टम (Postmortem) के ही दफना दिया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि इससे पूर्व गौशाला में काफी गायें थी, लेकिन अब इनकी संख्या लगातार घट रही है। जो अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही का नतीजा है।

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