पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने CM योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख लव जिहाद कानून वापस लेने की मांग की

पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने उदाहरण देकर पत्र में धर्मांतरण रोधी कानून के दुरुपयोग की बात बतायी है। मालूम हो कि उत्तरप्रदेश में पिछले महीने एक अध्यादेश के जरिए इस कानून को लागू किया गया है...

Update: 2020-12-30 07:29 GMT

जनज्वार। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देश के 104 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने पत्र लिख कर विवादस्पद धर्मांतरण निरोधी कानून वापस लेने की मांग की है। पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने अपने पत्र में इस कानून के दुरुपयोग का हवाला दिया है और कानून को अवैध बताते हुए इससे पीड़ित लोगों के लिए मुआवजे की मांग की है।

पत्र लिखने वालों में पूर्व नौकरशाहों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरूपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहाकर टीकेए नैयर आदि शामिल हैं। इन्होंने उत्तरप्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून 2020 वापस लेने की मांग की है।

पूर्व अफसरों ने पत्र में कहा है कि इससे समाज में सांप्रदायिकता बढ रही है। मालूम हो कि उत्तरप्रदेश सरकार ने अबतक धर्मांतरण कानून को विधानसभा में पास नहीं करवाया है और नवंबर के आखिरी दिनों में इसे एक अध्यादेश के जरिए लागू कर दिया गया।

इस कानून को अध्यादेश के जरिए लागू किए जाने के बाद ऐसे मामले सामने आए हैं जब अंतरिक धार्मिक दोस्ती को भी लव जिहाद का एंगल दे दिया गया और उक्त मामले में गिरफ्तारी की गयी।

पत्र में कहा गया है कि लोगों को अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। पत्र में यह उल्लेख है कि कई दफा हाइकोर्ट भी यह कह चुका है कि दो वयस्क लोगों को अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता है। पर, नया कानून इस आजादी में दखल है। पत्र में कहा गया कि वे किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े हैं, लेकिन संविधान द्वारा भारत की परिकल्पना को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने अपने पत्र में मुरादाबाद के पिंकी प्रकरण का उदाहरण दिया है और कहा है कि उसने अपनी मर्जी से राशिद से शादी की। लेकिन, जब वे अपनी शादी को रजिस्टर्ड करवाने जा रहे थे तो बजरंग दल के लोगों ने उन्हें रोक कर मारपीट की। पुलिस इस दौरान मूकदर्शक बनी रही। इसके बाद राशिद और उसके भाई को जेल भेज दिया गया, जबकि लड़की को शेल्टर होम में डाल दिया गया।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस दौरान पिंकी का गर्भपात हो गया। पत्र में इसे सामान्य गर्भपात नहीं बल्कि एक अजन्मे बच्चे की हत्या करार दिया गया है। बाद में पिंकी के कोर्ट में दिए बयान के आधार पर राशिद को छोड़ा गया।

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