बिजली के निजीकरण पर योगी सरकार कर रही जनता को गुमराह, प्राइवेटाइजेशन से 50000 संविदा मजदूर हो जायेंगे बेरोजगार
पूरी दुनिया ने देखा कि मोदी सरकार के निर्देश पर सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया के सहयोग से अदानी ने कितना बड़ा घोटाला किया। आज अमेरिका में इस भ्रष्टाचार के कारण अदानी पर एफआईआर दर्ज हुई और भारत को पूरी दुनिया में शर्मसार होना पड़ा है...
आगरा। प्रदेश की योगी सरकार द्वारा दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में देने के फैसले के खिलाफ एमडी ऑफिस दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, आगरा के कार्यालय पर बिजली पंचायत का आयोजन किया गया। इस पंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के विभिन्न घटक, विभिन्न ट्रेड यूनियंस, महिला संगठनों, एआईपीएफ, सीपीएम और नागरिक संगठनों और हजारों बिजली कर्मियों ने भाग लिया। पंचायत में एक स्वर में योगी सरकार से बिजली के निजीकरण के फैसले को वापस लेने की पुरजोर मांग की गई। पंचायत में 19 दिसंबर काकोरी कांड के दिवस पर पूरे देश में निजीकरण के विरुद्ध प्रतिवाद दिवस मनाने की घोषणा भी की गई।
पंचायत को संबोधित करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने कहा कि विधानसभा के चालू सत्र में निजीकरण से लाभ होने की बात करने वाले ऊर्जा मंत्री ने इस संबंध में कोई भी तथ्य पेश नहीं किया। मंत्री जी का कहना कि बिजली विभाग के निजीकरण के बाद लोगों की सुविधा में बढ़ोतरी हुई होगी, जनता को गुमराह करने वाला है। सच्चाई यह है कि देश में निजीकरण के जितने भी प्रयोग हुए वह पूर्णतया असफल साबित हुए हैं। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि उड़ीसा में बिजली के वितरण को निजी हाथों में दिया गया था और वहां आए चक्रवात के बाद कंपनियों ने मेंटेनेंस कार्य से हाथ खड़े कर दिए परिणामस्वरूप सरकार को उस फैसले को वापस लेना पड़ा।
दिल्ली, मुंबई आदि महानगरों में किए गए बिजली के निजीकरण के कारण आम उपभोक्ताओं को बहुत ही महंगी बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में ही बिजली विभाग के घाटे की बात बेमानी है खुद सरकारी विभागों और बड़ी कंपनियों पर इतना बकाया है कि यदि उसकी वसूली कर ली जाए तो बिजली विभाग लगभग 5000 करोड रुपए के मुनाफे में आ जाएगा। उन्होंने प्रदेश के सभी संगठनों और नागरिकों से बिजली के निजीकरण को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की अपील भी की।
पंचायत को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने कहा कि बिजली का निजीकरण राष्ट्रीय हितों और संविधान की भावना के विरुद्ध है। संविधान निर्माताओं ने भारत को एक कल्याणकारी राज्य का दर्जा दिया था इससे सरकार पीछे हट गई है और पूरे देश की आर्थिक संप्रभुता को चंद बड़े पूंजी घरानों के हवाले कर दिया गया है। इसलिए निजीकरण के खिलाफ संघर्ष राष्ट्रीय संप्रभुता और लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने देखा कि मोदी सरकार के निर्देश पर सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया के सहयोग से अदानी ने कितना बड़ा घोटाला किया। आज अमेरिका में इस भ्रष्टाचार के कारण अदानी पर एफआईआर दर्ज हुई और भारत को पूरी दुनिया में शर्मसार होना पड़ा है। उन्होंने बताया कि देशभर के युवा संगठनों ने रोजगार अधिकार अभियान चलाया हुआ है। जिसमें जनहित के क्षेत्र शिक्षा-स्वास्थ्य, बिजली, रेल, रोडवेज, कोयला आदि में निजीकरण पर रोक एक प्रमुख सवाल है। नौजवानों ने यह भी बात उठाई है कि देश के सुपररिच की संपत्ति पर टैक्स लगाया जाए और उसे संसाधन जुटा के लोगों की जीवन व सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित की जाए।
उत्तर प्रदेश किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह ने कहा कि बिजली के निजीकरण से किसानों का बहुत बड़ा अहित होने जा रहा है। किसान को महंगी बिजली मिलेगी और कृषि संकट से जूझ रहे किसानों के ऊपर यह एक बड़ा प्रहार होगा। संविधान में दिए गए व्यक्ति की गरिमा पूर्ण जीवन के अधिकार का हनन किया जा रहा है। इसलिए निजीकरण के खिलाफ चल रहा आंदोलन आम नागरिकों का है और इसमें इस गांव.गांव तक पहुंचाने की कोशिश की जायेगी। क्रांतिकारी किसान यूनियन के राष्ट्रीय सचिव शशिकांत ने कहा कि देश में चले किसान आंदोलन ने विद्युत संशोधन विधेयक का विरोध किया था और सरकार को इसे रोकने पर मजबूर होना पड़ा था। सरकार तो सब्सिडी और क्रास सब्सिडी की व्यवस्था खत्म करने में लगी है जिससे किसान के लिए बेहद जरूरी बिजली उससे छिन जायेगी। इसलिए यह आंदोलन कर्मचारियों के साथ किसानों का भी है। दोनों को एक दूसरे के हितों को पूरा करते हुए एकजुटता के साथ इस आंदोलन में भागीदारी करनी चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष राजवीर लवानिया ने राकेश टिकैत का पैगाम बताते हुए कहा कि उनकी किसान यूनियन बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के साथ है और पूरी ताकत से किसान इस आंदोलन की मदद करेगा। सभा को संबोधित करते हुए अधिकारी एसोसिएशन के महामंत्री जितेंद्र गुर्जर ने कहा कि सरकार यह सोच रही थी कि दमन और उत्पीड़न करके वह बिजली कर्मचारियों की आवाज को दबा देगी और निजीकरण निर्बाध रूप से कर लेगी, लेकिन आज पंचायत में जुटी हुई ताकत ने दिखा दिया है कि हम डरे नहीं है और निजीकरण के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ाई को अंजाम देंगे। हाइड्रो इंप्लाइज यूनियन के पीके दीक्षित ने कहा कि बिजली के इतिहास में इतना कमजोर विभागीय मंत्री कभी नहीं रहा जितना की आज है। जो वादा कर्मचारियों से मंत्री जी ने किया उसे आज तक पूरा नहीं किया।
संविदा मजदूर के नेता मोती सिंह ने कहा कि निजीकरण से सर्वाधिक नुकसान संविदाकर्मियों का होगा और करीब 50000 संविदा मजदूर की छंटनी इस निजीकरण के बाद हो जाएगी। इसलिए आंदोलन में संविदाकर्मी पूरी ताकत से शामिल रहेंगे। किसान एकता केंद्र के पूरन सिंह ने कहा कि निजीकरण और स्मार्ट मीटर के खिलाफ उनका संगठन लम्बे समय से लड़ रहा है। सभा का संचालन बिजली कर्मचारियों के नेता सुहेल आब्दी ने किया। पंचायत में यूण् पीण् वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव दिगंबर सिंह, किसान सभा एटा के अध्यक्ष राजाराम यादव, अलीगढ़ से राज्य कौंसिल सदस्य इदरीस मोहम्मद, अखिल भारतीय महिला समिति की अध्यक्ष राजेंद्री, जिला मंत्री किरन सिंह, खेत मजदूर यूनियन के जिला मंत्री पूरन सिंह नागर आदि लोग भी मौजूद रहे।