योगीराज में एसडीएम ने माफियाओं-तस्करों की शिकायत करने वाले 10 लोगों को गिरफ्तार कर भिजवाया जेल
सभी गिरफ्तार लोगों को एक मैजिक में बिठाकर ले जाते हुए पुलिस ने सोशल डिस्टेंसिग की जमकर धज्जियां उड़ायी। पलिया थाने की पुलिस ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश व कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में कारगर हथियार सोशल डिस्टेंस को भी नही माना....
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी स्थित पलिया तहसील में अवैध खनन माफियाओं व तस्करों के खिलाफ आवाज उठाना लोगों को भारी पड़ गया। एसडीएम पूजा यादव ने करीब 10 लोगों के विरुद्ध आचार संहिता का उल्लंघन दिखाकर मुकदमा दर्ज करवाने के बाद गिरफ्तार करवा दिया है। पलिया के लोगों में एसडीएम की बर्बरता को लेकर आक्रोश फैल रहा है।
दरअसल लखीमपुर खीरी के पलिया तहसील में खनन माफियाओं व तस्करों के बोलबाला चल रहा है। अभी तक यहां तैनात क्षेत्राधिकारी राकेश नायक ने खनन माफियाओं व तस्करों के खिलाफ मुहिम चलाकर खनन व तस्करी करने वालों की कमर तोड़कर रख दी थी, जिसके बाद पलिया के तमाम क्षेत्रीय नेताओं सहित माफियाओं से सांठगांठ रखने वालों ने एक षड्यंत्र के तहत राकेश नायक का ट्रांसफर करवा दिया।
नायक के ट्रांसफर होते ही खनन माफिया और अवैध तस्करी करने वाले फिर से सक्रिय हो गए। राकेश नायक के अच्छे कामों के चलते उनके समर्थन में तमाम समाजसेवी व पलिया तहसील के लोगों ने तहसील पहुंचकर तहसीलदार आशीष कुमार सिंह व प्रज्ञा अग्निहोत्री को ज्ञापन दिया।
जानकारी के मुताबिक शुक्रवार 12 जून को राकेश नायक के समर्थन में बैठे सभी लोग एसडीएम पूजा यादव को ज्ञापन देने के लिए इंतजार कर रहे थे। लगभग दो बजे तहसील पहुंची एसडीएम पूजा यादव ने अपने अर्दली से लोगों के आने का कारण पूछा तो अर्दली ने बताया कि 'यह सब ज्ञापन देने आए हैं।' जैसे ही फरियादियों ने एसडीएम को ज्ञापन दिया तो उन्होंने लेने से साफ इंकार कर दिया, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने एसडीएम का विरोध शुरू कर दिया।
खुद का विरोध होते देख एसडीएम साहिबा भड़क गई। उन्होंने पुलिस से कहकर उन्हें खदेड़ना शुरू कर दिया। पुलिस का रवैया देख वहां हंगामा शुरू हो गया। समर्थन में ज्ञापन देने आए लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद एसडीएम के आदेश पर आचार संहिता का उल्लंघन दिखाते हुए करीब 10 लोगों को हिरासत में ले लिया गया और उन पर मुकदमा भी दर्ज करवा दिया गया।
स्थानीय लोगों के मुताबिक सभी गिरफ्तार लोगों को एक मैजिक में बिठाकर ले जाते हुए पुलिस ने सोशल डिस्टेंसिग की जमकर धज्जियां उड़ायी। पलिया थाने की पुलिस ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश व कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में कारगर हथियार सोशल डिस्टेंस को भी नही माना। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब नियम कानून बनाने वाले ही नियमों की बखिया उधेड़ेंगे तो आम जनता पर इसका चाबुक क्यों चलाया जाता है।
13 जून को हुई गिरफ्तारी की घटना में पलिया तहसील में खनन माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने पर उप जिलाधिकारी ने ज्ञापन लेने के बाद पूरे 9 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश कार्यकारणी सदस्य व भाकपा माले नेता कामरेड कमलेश राय कर रहे थे।
थाना पलिया पुलिस ने जिन 10 लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें संजीव कुमार गुप्ता, अजय तिवारी, कमलेश राय, मिथलेश कुमार, मधु, बलदेव सिंह, संतोषी, अनीता, दिव्या के साथ एक व्यक्ति अज्ञात दिखाया गया है। इन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188/269/270/353/147/51/53 सहित 7 क्रिमिनल एक्ट भी लगाया गया है।
जिन लोगों को एसडीएम के निर्देश पर गिरफ्तार किया गया वो लोग मांग कर रहे थे कि पकड़ी गई 500 ट्रॉली बालू का हिसाब दो, मामले की सीबीआई जांच सहित सीओ राकेश नायक को वापस बुलाया जाए।
इन मांगों के साथ लोगों ने 'योगी राज खनन माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेल', 'खनन माफियाओं को खुली छूट', 'ये माफियाओं को संरक्षण देने वाली सरकार नही चलेगी', 'उप जिलाधिकारी पलिया की खनन माफियाओं के साथ रिश्तों की जांच करो' नारेबाजी कर रहे थे।
अब 10 लोगों की गिरफ्तारी के बाद भी जनता आंदोलन के मूड में है और कमलेश राय व साथियों को तुरन्त रिहा करने की मांग उठ रही है।