बंगाल में ममता की परेशानी बढाने के बाद आज अलिखेश के चुनाव क्षेत्र आजमगढ पहुंचेंगे ओवैसी
असदुद्दीन ओवेसी ने बिहार में भाजपा के मुख्य विरोधी दल राजद के सामने चुनौती पैदा की थी और अब वे पश्चिम बंगाल में भाजपा के मुकाबले खड़ी तृणमूल कांग्रेस व उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के सामने चुनौती खड़ी कर रहे हैं...
जनज्वार। एआइएमआइएम चीफ असदुद्दीनओवैसी मंगलवार को उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल के दौरे पर पहुंच रहे हैं। वे आज पूर्वांचल के आजमगढ में रहेंगे। इस दौरान उनके साथ सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी रहेंगे। ओवैसी ने अपने पहले राजनीतिक दौरे के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ को चुना है।
ओवैसी सड़क मार्ग से वाराणसी से जौनपुर होते हुए आजमगढ जाएंगे और इस दौरान जगह-जगह उनके स्वागत में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस बात की भी संभावना है कि ओवैसी जौनपुर के गुरैनी मदरसे की मसजिद में नमाज पढेंगे। इससे पहले पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल के दौरे के दौरान भी ओवैसी मुसलिम धर्मावलंबियों के पवित्र स्थल पर गए थे।
ओवैसी अपनी यात्रा के क्रम में कुछ प्रमुख मुसलिम धर्मगुरुओं से भी मुलाकात करेंगे। वे मुफ्ती अहमदुल्लाह फूलपुरी से मुलाकात भी करने वाले हैं। इस दौरान उनके साथ राजभर भी रहेंगे। मालूम हो कि ओवैसी व राजभर ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाना है। यूपी में इसका प्रमुख ओमप्रकाश राजभर को घोषित किया गया है और इसमें कई छोटे राजनीतिक घटकों को शामिल किया गया है।
ओमप्रकाश राजभर के चेहरे को आगे कर यह गठबंधन अति पिछड़ों को लुभाने की कोशिश में है, वहीं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को शामिल किए जाने की कवायद चल रही है ताकि दलितों में भी इस गठबंधन का प्रभाव बढ सके।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगामी चुनाव के लिए शाॅफ्ट हिंदुत्व की राह को अपनाने का संकेत अपने शुरुआती कार्यक्रमों से दे दिया है। उन्होंने अयोध्या के विभिन्न धर्म गुरुओं से पिछले दिनों मुलाकात की। उसके बाद वे चित्रकूट गए और वहां मंदिर में जाकर दर्शन किया।
ओवैसी की राजनीतिक शैली में एक बात स्पष्ट है कि वे अलग-अलग राज्यों में भाजपा के खिलाफ मुकाबले में खड़े मुख्य विपक्षी दल के लिए चुनौती बनते रहे हैं। बिहार में उन्होंने राजद के सामने चुनौती पैदा की और अब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को उनकी सक्रियता से मुसलिम आधार घटने की चिंता हो रही है। यही स्थिति उत्तरप्रदेश में उत्पन्न हो सकती है।