मिर्जापुर में दलित बच्चे की बेरहमी से हत्या करने वाले को फांसी और पीड़ित के परिजनों को दस लाख रुपये मुआवजे की उठी मांग

आशाराम, रामरहीम जैसे सजायाफ्ता को चुनावी फायदे के लिए पेरोल पर रिहा कर दिया जा रहा है। महिला हिंसा, गैगरेप व बलात्कार के प्रत्येक सौ मामलों में सरकार की ओर से लचर और कमजोर पैरवी के चलते केवल बीस मामलों में ही आरोपियों को सजा मिल पा रही है। योगी सरकार के पास दलित व महिला उत्पीड़न की घटनाओं को रोक पाने की इच्छाशक्ति नहीं है...

Update: 2024-09-26 16:13 GMT

Mirzapur news। मिर्जापुर के कछवा थाना क्षेत्र के बजहां गांव में दलित जाति से ताल्लुक रखने वाले 10 वर्षीय बालक आशु की 23 सितंबर को बेरहमी से गला काटकर हत्या कर दी गई थी। मृतक के पिता सचानू के मुताबिक आशु बकरी चराने के लिए घर से निकला था, लेकिन शाम तक वापस नहीं लौटा तो खोजबीन के बाद उसकी लाश बरामद हुई थी।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक दलित बच्चे आशु उर्फ गोलू के शरीर पर एक दो बार नहीं, बल्कि 17 बार चाकुओं से पीठ, सीने व पेट तथा गले में वार करके हत्या की गयी थी। आरोपित ने मारपीट कर उसके पसली की चार हडि्डयां भी तोड़ दी थीं। इसके अलावा फावड़े से गले पर भी हमला किया।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) का चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्य सचिव सुधाकर यादव के नेतृत्व में मिर्जापुर में कछवां थाना क्षेत्र के बजहां गांव का दौरा किया, जहां दस वर्षीय दलित बच्चे आंसू उर्फ गोलू की गत 23 सितंबर को हत्या हुई थी। प्रतिनिधिमंडल ने मृतक के परिजनों से मुलाकात कर शोक संवेदना प्रकट की। टीम के अन्य सदस्यों में अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) की जिलाध्यक्ष जीरा भारती, माले जिला सचिव रामप्यारे राम व राजाराम यादव शामिल थे।

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घटनास्थल से लौटने के बाद बुधवार को जारी बयान में माले राज्य सचिव ने बच्चे की जघन्यतम हत्या पर तीखा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि योगी राज में अपराधी बेखौफ होकर हत्या, लूट, गैंगरेप, महिला और दलित उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। उनके अंदर कानून का भय नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि खेल-खेल में दो बच्चों के बीच में मामूली झगड़े के बाद हिमांशु उपाध्याय नाम के व्यक्ति ने आंसू उर्फ गोलू को उठाकर सुनसान जगह पर ले जाकर निर्मम तरीके से हत्या करके जमीन में गड्ढा खोदकर दफना दिया। इस लोमहर्षक घटना से पीड़ित परिवार सदमे में है। उन्होंने बच्चे के हत्यारे को फांसी की सजा देने, दस लाख रु मुआवजा, पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी तथा जमीन समेत आवास देने की मांग की।

राज्य सचिव ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश दलित उत्पीड़न व महिलाओं के साथ हो रही दरिंदगी के मामले में नंबर वन पर है, तो इसके लिए योगी सरकार की दोहरी नीतियां जवाबदेह हैं। एक तरफ बीएचयू गैंगरेप के आरोपियों को योगी सरकार की लचर पैरवी के चलते जमानत मिल जाती है तथा सत्ता संरक्षण में फूलमाला से स्वागत करके उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर गैंगरेप और बलात्कार के मामले में सजायाफ्ता को सजा पूरी होने से पहले ही जेल से रिहा कर दिया जा रहा है। बिल्किस बानो का मामला उदाहरण है।

आशाराम, रामरहीम जैसे सजायाफ्ता को चुनावी फायदे के लिए पेरोल पर रिहा कर दिया जा रहा है। महिला हिंसा, गैगरेप व बलात्कार के प्रत्येक सौ मामलों में सरकार की ओर से लचर और कमजोर पैरवी के चलते केवल बीस मामलों में ही आरोपियों को सजा मिल पा रही है। योगी सरकार के पास दलित व महिला उत्पीड़न की घटनाओं को रोक पाने की इच्छाशक्ति नहीं है।

माले राज्य सचिव ने कहा कि अपराध रोकने के नाम पर घर से पकड़ कर निर्दोष गरीबों की मनगढंत तरीके से फर्जी मुठभेड़ में हत्या की जा रही है। ताजा उदाहरण गाजीपुर के दिलदारनगर थानाक्षेत्र में मोहम्मद जाहिद उर्फ सोनू का एनकाउंटर है, जिसे परिजनों के अनुसार पुलिस दो दिन पहले घर से उठा ले गई थी और सोमवार 23 सितंबर को तड़के एनकाउंटर दिखा कर उसकी हत्या कर दी गई। इसकी जांच होनी चाहिए। संविधान और मानवधिकारों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने मिर्जापुर की उपरोक्त घटना में चेतावनी दी कि अगर समय रहते उपरोक्त मांगे नहीं पूरी की गईं, तो परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए भाकपा (माले) आंदोलन तेज करेगी।

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