PM के संसदीय क्षेत्र में दम तोड़ रही 'आयुष्मान योजना', आयुष्मान कार्ड के बावजूद डॉक्टर ने गंभीर रूप से घायल दलित मरीज को ट्रामा सेंटर से किया बाहर

आरोप है कि आयुष्मान योजना का लाभार्थी होने के बाद भी पीड़ित का उपचार करने से इसलिए इनकार कर दिया गया कि वह 1 लाख रुपये संबंधित चिकित्सक को दे पाने में असमर्थ था....

Update: 2021-02-19 09:18 GMT

138 करोड़ की आबादी में से मात्र 50 लाख मरीजों की हुई आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजय) में मुफ्त कोरोना जांच 

संतोष देव गिरी की रिपोर्ट 

जनज्वार ब्यूरो। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में शुमार आयुष्मान योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही दम तोड़ती नजर आ रही है। निजी चिकित्सालयों में मनमानी का आलम तो सर्वविदित है, लेकिन सरकारी अस्पताल भी इससे अछूते नहीं हैं। एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल दलित मरीज को वाराणसी ट्रामा सेंटर के चिकित्सक ने महज इसलिए वापस कर दिया क्योंकि वह 1 लाख रुपये उन्हें अलग से दे पाने में असमर्थ था। उसने जब 'आयुष्मान योजना' का कार्ड होने का हवाला देते हुए मुफ्त इलाज की बात कही तो उसे ट्रामा सेंटर से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। ऐसे में मरीज के परिजन उसे लेकर घर लौट आए हैं। घर की एक कोठरी में अकेले पड़ा दलित मरीज उपचार के अभाव में घुट-घुट कर मरने को विवश है। परिजन गुहार लगाते लगाते थक चुके हैं, लेकिन न तो उन्हें न्याय मिल पा रहा है और न ही पीड़ित का उपचार हो पा रहा है।

मामला पीएम के संसदीय क्षेत्र से लगे हुए मिर्जापुर जिले के लालगंज तहसील के अंतर्गत डांगर खेड़ी गांव का बताया जा रहा है। डांगर खेड़ी गांव निवासी अजय कुमार पुत्र लालमन के मुताबिक उनके 50 वर्षीय पिता लालमन (पुत्र स्वर्गीय सोवालाल) गाड़ी चलाकर परिवार की परवरिश करते हैं। 6 फरवरी 2021 को वह भाड़े की गाड़ी लेकर कहीं जा रहे थे कि हलिया के पिपरा में साइकिल सवार को बचाने के प्रयास में उनकी गाड़ी पलट गई थी जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे, प्राथमिक उपचार के पश्चात उनकी हालत गंभीर देखते हुए उन्हें मिर्जापुर मंडली अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था।

मिर्जापुर से उन्हें पुनः वाराणसी ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया था बेहतर उपचार के लिए शरीर के कई हिस्सों में फैक्चर होने के साथ चिकित्सकों ने गंभीर चोट बताया था। आरोप है कि 9 फरवरी को वाराणसी ट्रामा सेंटर में भर्ती कराने के बाद चिकित्सकों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी, पीड़ित लालमन ने भारत सरकार द्वारा प्रदत्त आयुष्मान योजना का कार्ड भी जमा कर दिया गया था।


आरोप है कि आयुष्मान योजना का लाभार्थी होने के बाद भी पीड़ित का उपचार करने से इसलिए इनकार कर दिया गया कि वह 1 लाख रुपये संबंधित चिकित्सक को दे पाने में असमर्थ था, सो हाथ खड़े कर दिया था। फिर क्या था इंसान के रूप में 'भगवान' कहे जाने वाले चिकित्सक ने स्वार्थपूर्ति न होता देख उपचार करने से हाथ तो खड़े किए ही पीड़ित लालमन को ट्रामा सेंटर से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।

इस बात की जैसे ही जानकारी लालमन के परिजनों के माध्यम से लालगंज क्षेत्र निवासी कुनाल कमल पटेल को हुई तो उन्होंने बिना देर किए पीड़ित को मदद पहुंचाने की गरज से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र पीएमओ कार्यालय से भी संपर्क साधते हुए पीड़ित को मदद दिलाने की गुहार लगाई, लेकिन मदद तो दूर की बात रही, कोई पीड़ित का हाल लेने के लिए भी उधर झांकना गंवारा नहीं समझा है।

इसके बाद उन्होंने मिर्जापुर जनपद की सांसद एवं पूर्व केंद्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के संसदीय कैंप कार्यालय से भी टेलिफोनिंग वार्ता करते हुए पीड़ित को मदद दिलाने की गुहार लगाई थी, चूंकि पीड़ित व्यक्ति लालमन मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र का ही निवासी था, इसलिए उन्होंने इस उम्मीद के साथ सांसद कार्यालय का भी दरवाजा खटखटाया था कि हो सके उसे कुछ मदद मिल जाए, लेकिन उन्हें यहां से भी निराशा हाथ लगी।

कुणाल पटेल कहते हैं कि 'यह कितने दु:ख की बात है कि सरकार जिस योजना के जरिए गरीब और अशक्त लोगों को 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुलभ व्यवस्था करा रही है, इसके लिए आयुष्मान योजना कार्ड लाभार्थियों को जारी किया गया है, लेकिन इतने के बाद भी यदि लाभार्थी को इस योजना का लाभ न मिल पाए और उसे चिकित्सालय से खासकर सरकारी चिकित्सालय से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए तो इसे नाकामी और व्यवस्था में खोट नहीं तो और क्या कहेंगे?'

बहरहाल, पीड़ित लालमन उपचार के अभाव में लालगंज तहसील के डांगर खेड़ी गांव स्थित अपने घर के एक कमरे में पड़ा हुआ दर्द और अपनी बदकिस्मती को कोंसते हुए घुट-घुटकर जीवन जीने को विवश हैं। जिन्हें ऐसे 'भागीरथ' व्यक्ति की तलाश है जो उनके उपचार में सहायक साबित हो सके।

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