लखनऊ में डाॅक्टरों में फैला कोरोना तो 20 घंटे तक अपने ही अस्पताल में नहीं मिला बेड, हाॅस्टल में हुआ हंगामा
डाॅक्टर्स हाॅस्टल में साथी डाॅक्टरों ने कोरोना संक्रमित डाॅक्टरों को भेजे जाने का विरोध किया, जिसके बाद फिर उन्हें वहां से वापस होना पड़ा और किसी तरह अस्पताल में बेड मुहैया कराया गया...
जनज्वार। उत्तरप्रदेश में डाॅक्टरों के बीच कोरोना संक्रमण के मामले बढने से भय का माहौल बना हुआ है। डाॅक्टर कोरोना के इलाज के लिए फ्रंट लाइन वारियर्स होते हैं और उनका स्वस्थ होने चिकित्सा व मरीजों दोनों के लिए जरूरी है। लखनऊ के बडे़ अस्पताल केजीएमयू के छह डाॅक्टर कोरोना की चपेट में आ गए। इनमें से चार डाॅक्टरों को 20 घंटे तक इलाज के लिए अपने ही अस्पताल केजीएमयू में बेड नहीं मिला।
जब इन डाॅक्टरों को कोरोना संक्रमण की स्थिति में ही डाॅक्टर्स हाॅस्टल भेज दिया गया तो वहां दूसरे डाॅक्टरों ने हंगामा कर दिया और उन्हें भेजे जान का विरोध किया। ऐसे में शुक्रवार की देर शाम डाॅक्टरों के लिए किसी तरह केजीएमयू में बेड का प्रबंध किया गया और उन्हें भर्ती कराया गया। इन चार डाॅक्टरों में एक आर्थोपैडिक्स विभाग के और तीन मेडिसीन के डाॅक्टर हैं। इसके बाद दो और डाॅक्टर कोरोना से संक्रमित निकल गए।
वहीं, लखनऊ के सिविल अस्पताल की नेत्र परीक्षक कोरोना से संक्रमित पायी गईं हैं। इसके बाद नेत्र परीक्षक कक्ष को सैनिटाइज करवा कर 48 घंटे के लिए बंद कर दिया गया। सिविल अस्पताल के एमएस डाॅ आशुतोष दुबे के अनुसार, अब तक डाॅक्टर व अन्य कर्मी मिलाकर 24 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।
लखनऊ में अबतक कोरोना संक्रमण के अबतक 8662 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि इस बीमारी से 102 लोगों की अबतक मौत हो चुकी है। शनिवार को राजधानी में 363 नए कोरोना मामले दर्ज किए गए और छह लोगों की मौत हो गई। वहीे, शुक्रवार को रिकार्ड 562 कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए थे।
यहां कोरोना मरीजों की जानकारी रखने के लिए बनाया गया लालबाग स्थित कोविड कंट्रोल सेंटर भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो गया। वहां तैनात एक डाटा इंट्री ऑपरेटर की कोरोना संक्रमण से मौत भी हो चुकी है।