यूपी : गाड़ियों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का खुला बड़ा मामला, कई अधिकारियों, बाबू और दलालों पर मुकदमा

गैंग चोरी के ट्रक, टैंकर और लग्जरी कारों को खरीदकर नागालैंड, मणिपुर व अंतर्जनपदीय इंजन नंबर और चेसिस बदलकर फर्जी एनओसी इन दोनों जनपदों में बनवा देते थे। रेजिस्ट्रेशन के बाद गैंग वाहनों को सही दिखाकर अच्छी कीमत में बेच देते थे। इसी तरह बेची गई कई लग्जरी कारें, ट्रक व टैंकर पुलिस ने बरामद किए हैं।

Update: 2021-01-05 08:35 GMT

प्रतीकात्मक फोटो।

जनज्वार ब्यूरो, इटावा/औरैया। यूपी के दो जनपदों में चोरी के वाहनों का रेजिस्ट्रेशन करवाकर बेचने के मामले में पुलिस ने दो अधिकारियों सहित अन्य स्टॉफ पर मुकदमा दर्ज किया है। इस गिरोह में दो पूर्व एआरटीओ, बाबू सहित दलालों की मिलीभगत सामने आयी है। पुलिस ने गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। इनकी निशानदेही पर फर्जी कागजों पर चल रहे साढ़े 7 करोड़ कीमत के 41 वाहन भी बरामद किए गए हैं।

दरअसल यह गैंग चोरी के ट्रक, टैंकर और लग्जरी कारों को खरीदकर नागालैंड, मणिपुर व अंतर्जनपदीय इंजन नंबर और चेसिस बदलकर फर्जी एनओसी इन दोनों जनपदों में बनवा देते थे। रेजिस्ट्रेशन के बाद गैंग वाहनों को सही दिखाकर अच्छी कीमत में बेच देते थे। इसी तरह बेची गई कई लग्जरी कारें, ट्रक व टैंकर पुलिस ने बरामद किए हैं। बरामद किए गए इन 41 वाहनों की कीमत साढ़े 7 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है।

फर्जी एनओसी व रेजिस्ट्रेशन मामले में 2016 में औरैया में तैनात एआरटीओ मनोज कुमार और इटावा के तत्कालीन एआरटीओ सहित दोनों जिलों के बाबू व कई दलालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। मामले में पुलिस ने जब पर्दाफाश किया तो कई बड़े अफसर भी लपेटे में आ गए। परिवहन विभाग से जुड़े बड़े फर्जीवाड़े का दायरा 5 पूर्व एआरटीओ सहित बाबुओं के इर्दगिर्द घूमा।

गौरतलब है कि मार्च 2020 में एआरटीओ कार्यालय में फर्जी चेसिस नंबर के आधार पर मणिपुर के 45 ट्रकों के रेजिस्ट्रेशन का मामला तत्कालीन एआरटीओ सौरभ कुमार के गले की हड्डी बन गया था। प्रदेश के अन्य कई जिलों में भी झारखंड के फर्जी वाहनों के कागज बनाकर प्रदेश में रजिस्ट्रेशन कराया गया था, जिसे लेकर मुख्यमंत्री तक ने कड़ी नाराजगी जताई थी। जिसके बाद गिरोह पर गाज गिरी।

उत्तर प्रदेश शासन ने मामले में जांच के आदेश दिए थे। जिस आधार पर यह कार्रवाई की गई। साल 2019 में सस्पेंड बाबू अविनाश सिंह ने आते ही दलालों और ट्रक मालिकों से सांठगांठ बनाकर कार्यालय में खेल शुरू कर दिया था। आलाधिकारी इस सबसे बेखबर रहे। अब 45 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के नाम पर नियमों को ताक पर रखते हुए फर्जीवाड़े को उजागर किया गया।

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