यूपी के गाजीपुर में मर चुके लोगों के नाम पर बना शौचालय, प्रधान सचिव ने मिलकर मचाई लूट

सरकारी नौकरी वाले 25 लोगों के नाम भी शौचालय स्वीकृत कर बजट आवंटित कर दिया गया। वहीं, 60 ऐसे परिवार हैं जिन्हें तय राशि से आधी राशि दी गई है...

Update: 2020-09-04 06:44 GMT

प्रतीकात्मक फोटो। 

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में सरकार द्वारा शौचालय निर्माण के लिए जारी की गई राशि में गबन का मामला सामने आ रहा है। दरअसल, पिछले साल स्वच्छ भारत मिशन के तहत गाजीपुर जिले को ओडीएफ घोषित करने के लिए विभाग के द्वारा ग्राम सभा को लाखों रुपए का बजट दिया गया था। मोहम्मदाबाद तहसील के ब्रह्म दासपुर गांव में 294 शौचालय बनाने के लिए करीब 35 लाख रुपए का बजट आया था।

हालांकि, इस बजट के पैसों को ग्राम प्रधान और सचिव ने इस कदर बंदरबांट किया कि खुद इससे 19 लाख रुपये अपने नाम से निकाल लिये। वहीं, दोनों ने करीब 60 लोगों को 6 हजार रुपये का चेक सौंपकर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लिया। इतना ही नहीं, इन्होंने चार शौचालय ऐसे लोगों के भी बनवा डाले जो इस दुनिया को करीब 5 साल पहले अलविदा बोल चुके हैं।

हैरानी की बात यह है कि गांव में जो 94 शौचालय बने हैं वो भी आमजन के प्रयोग लायक नहीं हैं। इसी बात को लेकर गांव के रहने वाले करीब 9 लोगों ने शपथ पत्र के साथ जिला अधिकारी से इसकी शिकायत की थी। जिलाधिकारी ने इस शिकायत पर कार्यवाही करते हुए जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल के अधिकारी अजीत कुमार सिंह को गांव के शौचालयों के निर्माण की जांच के लिए भेजा था। अधिकारी द्वारा जब गांव के शौचालयों की बारीकी से जांच की गई तो गांव में एक भी शौचालय ऐसा नहीं मिला जिसे ग्रामीणों के द्वारा प्रयोग किया जा रहा हो।

दरअसल ग्राम प्रधान द्वारा कुछ ग्रामीणों को शौचालय निर्माण के लिए 6 हजार की किस्त दी गई और दूसरी किस्त का आज तक कोई पता नहीं चला। तो कुछ ग्रामीणों को शौचालय निर्माण की सामग्री उपलब्ध कराई गई जो इसके लिए अपर्याप्त थी। फिर भी ग्रामीणों ने इन पैसों से जितना हो सका उतना निर्माण कराया, जिसका नतीजा ये रहा कि किसी शौचालय में छत नहीं हैं तो किसी के दरवाजे नहीं।

यहां तक कि कई शौचालय ऐसे हैं जिनमें बैठने के लिए सीट तक नहीं है। शौचालय पूर्ण होने के बाद नियमों की बात करें तो सभी शौचालयों पर इज्जत घर, लाभार्थी का नाम व पता के साथ निर्माण वर्ष भी लिखा जाना चाहिए लेकिन यह कहीं भी लिखा नजर नहीं आया। इतना ही नहीं ग्राम प्रधान ने जांच को लगातार प्रभावित करने के प्रयास भी किए।

गांव के लोगों ने बताया कि 58 लाभार्थी ऐसे भी हैं, जिनके नाम पर बजट तो आया, लेकिन उनको शौचालय नहीं दिया गया। वहीं 25 ऐसे सरकारी नौकरी वाले हैं जिनके नाम पर शौचालय का बजट आया। गांव में 60 ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ग्राम प्रधान के द्वारा 12 हजार के बजाय सिर्फ 6 हजार का चेक दिया गया। वहीं ग्राम प्रधान स्वच्छ भारत मिशन के तहत आए पैसे में हुए गड़बड़झाले को पूरे तौर पर नकारता रहा।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार काफी समय से देश को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इसके तहत हर गांवों में सरकारी मदद से शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। इस योजना के लिए सरकार ने काफी पैसा भी खर्च किया है। हालांकि, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपने लालच के लिए सरकार की इस अहम योजना को पलीता लगा रहे हैं।

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