यूपी में ऑक्सीजन की किल्लत दिखाई तो पत्रकार पर मुकदमा, प्रेस को आजादी की बधाई देकर मसलना चाहते हैं योगी
यूपी में पूरे के पूरे 75 जिलों में ऑक्सीजन की किल्लत के चलते हाहाकार मचा हुआ है। जिनको देखकर इंसानियत भी बेहाल है, लेकिन सरकार अपने आंकड़े, नाकामियां छुपाने के लिए पत्रकारों को बलि का बकरा बनाने से बाज नहीं आ रही है..
जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। आज विश्व प्रेस आजादी दिवस है। शोसल मीडिया संदेशों से भरा-पटा पड़ा है। खुद योगी आदित्यनाथ ने सुबह प्रेस दिवस की आजादी के लिए बधाई दी थी। मुख्यमंत्री योगी की बधाई के बाद रायबरेली के एक पत्रकार पर मुकदमा लाद दिया गया। पत्रकार पर मुकदमा इस बात के लिए किया गया है क्योंकि उसने एक अस्पताल के बाहर से प्रदेश में चल रही ऑक्सीजन की किल्लत पर कुछ देर बोला था।
युवा पत्रकार अनूप अवस्थी रायबरेली में हिंदी अखबार कैनविज टाइम्स के ब्यूरो प्रमुख हैं। जिलाधिकारी कार्यालय रायबरेली के ऑफिस से पत्र संख्या 1433/2021 के मुताबिक पत्रकार पर 30 अप्रैल को आइटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। यह पत्र आज विश्व प्रेस की आजादी दिवस वाले दिन वायरल हुआ है। अनूप को यह पत्र भेजकर आज की 3 मई को स्पष्टीकरण के लिए तलब किया गया था।
रायबरेली के पत्रकार पर यह मुकदमा एक फेसबुक लाइव करने के लिए किया गया है। भेजे गए पत्र में पत्रकार की कही गई बात को कोट करते हुए लिखा गया है कि 'शासन में अपने नंबर बढ़ाने के लिए जिन अफसरो ने 20 टन ऑक्सीजन कानपुर भेजकर यहां के लोगो को मौत के मुँह में ढ़केला है, उनको रायबरेली की जनता कभी माफ नहीं करेगी।' इस मामले में पत्र के जरिए जिलाधिकारी कार्यालय से सन्दर्भ ग्रहण करवाकर पूछा गया है कि 'यह खबर आपको कहां और किसके द्वारा प्राप्त हुई है?'
जिलाधिकारी रायबरेली के वायरल पत्र में एस खबर का स्त्रोत तत्काल बताने के लिए कहा गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि यह टिप्पणी सही नहीं है। इस वीडियो में दर्शाया गया तथ्य सत्य से परे है। पत्रकार के द्वारा की गई टिप्पणी से जनमानस के भ्रमित होने का अंदेशा है। जिसके लिए पत्रकार को आइटी एक्ट की धारा 66 A के उल्लंघन का दोषी पाया गया है।
आज प्रेस आजादी दिवस के दिन रायबरेली के पत्रकार पर मुकदमा योगी सरकार की तानाशाही को फिर से उजागर करता है। पत्रकार के अलावा आम जनता भी जान रही है कि वह किस प्रकार से अपनी सांसों को रोकने के लिए ऑक्सीजन के लिए मोहताज हो रही है। पूरे के पूरे 75 जिलों में ऑक्सीजन की किल्लत के चलते हाहाकार मचा हुआ है। जिनको देखकर इंसानियत भी बेहाल है, लेकिन सरकार अपने आंकड़े, नाकामियां छुपाने के लिए पत्रकारों को बलि का बकरा बनाने से बाज नहीं आ रही है।