यूपी के सोनभद्र में पत्रकार और उसकी पत्नी की पीट-पीटकर हत्या, कानून व्यवस्था लाचार

पत्रकार को इतना पीटा गया कि उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी शीतला ने मंगलवार 17 नवंबर को वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उन्होंने ने भी दम तोड़ दिया....

Update: 2020-11-18 10:15 GMT

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश में सरकार के खासमखास लोग एक तरफ तो पत्रकारों की सुरक्षा का दम्भ भरते हैं तो दूसरी तरफ गुंडों के हौसले इतने ज्‍यादा बुलंद हैं कि सोनभद्र जिले में एक पत्रकार और उसकी पत्नी की बेरहमी से पीट-पीट कर हत्‍या कर दी गई है। 

मामला सोनभद्र जिले के बरवाडीह गांव का है, जहां पर  पत्रकार उदय पासवान को इतना पीटा गया कि उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी शीतला ने मंगलवार को वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उन्होंने ने भी दम तोड़ दिया। घटना की वजह कथित तौर पर एक पूर्व ग्राम प्रधान के साथ पुरानी दुश्मनी बताई जा रही है। मृतक ने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को देखते हुए पुलिस से संपर्क भी किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अब पत्रकार और उसकी पत्‍नी की मौत के बाद प्रशासन जागा है और 3 पुलिसकर्मियों को हटाया गया है। इस घटना को लेकर सोनभद्र के एसपी आशीष श्रीवास्तव ने बताया, 'इस संबंध में कोन पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर, एक सब-इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया है। 6 आरोपियों में से 5 को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। मुख्य आरोपी गांव का पूर्व प्रधान केवल पासवान फरार है, उसे पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है।'

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आरोपियों से धमकी मिलने के बाद उदय और उनकी पत्नी शीतला सोमवार  16 नवंबर की सुबह कोन पुलिस स्टेशन गए थे। जब वे शाम को मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे, उनपर लाठी और डंडों से हमला किया गया। दंपति मदद के लिए पुकारते रहे, लेकिन कोई आगे नहीं आया। उदय की मौके पर ही मौत हो गई और शीतला को गंभीर चोटें आईं और उसके अगले दिन मंगलवार 17 नवंबर की शाम को उसने भी दम तोड़ दिया। उदय के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

श्रीवास्तव ने कहा, 'उदय के बेटे विनय पासवान की शिकायत पर पूर्व ग्राम प्रधान केवल पासवान, उनकी पत्नी कौशल्या, बेटे जितेंद्र, गब्बर, सिकंदर और उनके प्रतिनिधि एलाक आलम के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148 और 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है।'

केवल और उसके परिवार के साथ उदय के परिवार की दुश्मनी थी। 2016 और 2018 में भी दोनों के खिलाफ मामले दर्ज हुए थे। विनय ने कहा, 'मेरे पिता ने लखनऊ में मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी शिकायत की थी। मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश जारी होने के बावजूद सोनभद्र पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया।'

जानकारी के मुताबिक पत्रकार उदय लखनऊ से प्रकाशित हिंदी दैनिक 'अनमोल एक्सप्रेस' के कोन से बतौर संवाददाता काम कर रहे थे। वह बीते कई वर्षों से प्रताड़ना झेल रहे थे। यहां तक कि उन्होंने कोन थाना में लिखित रूप से अपनी सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी। जब उनकी पुलिस प्रशासन में उनकी बात की सुनवाई नहीं हुई तो वह मुख्यमंत्री दरबार में गए थे जहां से सोनभद्र पुलिस को लिखित पत्र भी मिला था। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

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बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब उत्तर प्रदेश में किसी पत्रकार पर हमला हुआ हो। इससे पहले भी कई बार पत्रकार पर हमले की खबरें सामने आ चुकी हैं। इससे एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के पत्रकार दिलीप शुक्ला ने किसानों के धान न बिकने से आहत होकर आत्महत्या कर ली थी, अपनी मौत के लिए उन्होंने फेसबुक पोस्ट में भाजपा के विधायक और सांसद को जिम्मेदार ठहराया था। 

इसी तरह बीते 8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के ललितपुर में एक पत्रकार के हाथ पैर कथित तौर पर प्रधान पुत्रों ने तोड़ दिए थे, पत्रकार विनय तिवारी मनरेगा मजदूरों की स्टोरी को कवर करने के लिए पहुंचे हुए थे। यहां तक चर्चित हाथरस कांड को कवर करने के लिए केरल से पहुंचे पत्रकार सिद्दीक कप्पन को गिरफ्तार कर लिया गया था। वह तब से जेल में हैं। 

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