CAA विरोधी आंदोलनों में शामिल होने के आरोप में शाहनवाज आलम पुलिस हिरासत में, DCP ने कहा हमारे पास हैं सबूत

लखनऊ पुलिस का कहना है कि 19 दिसम्बर, 2019 को परिवर्तन चौक पर हुए सीएए के विरोध में हिंसा फैलाने में शाहनवाज की मुख्य भूमिका थी और इसी आधार पर पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद किया है उन्हें गिरफ्तार...

Update: 2020-07-01 11:42 GMT
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मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार अपने विरोधियों पर नकेल कसती जा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की गिरफ्तारी और रिहाई के बाद सोमवार 29 जून की रात कांग्रेस के अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष शाहनवाज आलम को गिरफ्तार कर लिया गया है। शाहनवाज को लखनऊ के गोल्फ लिंक अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया है। इस गिरफ्तारी में उनके साथ ड्राइवर और पत्रकार आशीष अवस्थी भी मौजूद थे।

लखनऊ पुलिस का कहना है कि 19 दिसम्बर, 2019 को परिवर्तन चौक पर हुए सीएए के विरोध में हिंसा फैलाने में शाहनवाज की मुख्य भूमिका थी। डीसीपी मध्य दिनेश सिंह का कहना है कि 19 दिसम्बर को दर्ज हुई एफआईआर 600/19 में शाहनवाज की भूमिका संदेह के दायरे में थी। अब शाहनवाज के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने के बाद उन्हें उठाया गया है।

आशीष अवस्थी ने जनज्वार संवाददाता से हुई बातचीत में कहा, 'मैं और शाहनवाज पीसीसी कार्यालय के बाहर बैठकर बात कर रहे थे। हम लोग जब वहां से निकले तो देखा एक मजबूत कद काठी का लड़का नीली शर्ट औरर जींस में बैठा हुआ, उसे मैं पिछले तीन घण्टे से वहां देख रहा था। वो चाय की दुकान में बैठकर पीसीसी कार्यालय पर नजर रख रहा था। एसटीएफ व एसओजी सादे कपड़ों में लगी हुई थी। हमारे हाथ में एक किताब थी, जो सोनिया गांधी की बायोग्राफी थी। पहले पहल हमें लगा राजनीतिक कार्यालय है तमाम लोग बैठे रहते हैं। फिर हम लोग पीसीसी कार्यालय से गोल्फ लिंक अपार्टमेंट की तरफ गए। इतने में शाहनवाज ने गाड़ी से उतरते हुए मुझसे कहा 'ठीक है मैं कल आपसे मिलता हूँ।'

आशीष आगे बताते हैं, शाहनवाज गाड़ी से उतरकर मुश्किल से 20-30 कदम अपार्टमेंट की तरफ गए कि 10 से 12 लोगों ने उन्हें घेर लिया। मेरी नजर पड़ी तो मैं भी गाड़ी से उतरकर शाहनवाज की तरफ बढ़ा ही था कि 6 से 7 लोगों ने मेरी बेल्ट पकड़ कर गालियां बकते हुए कहा 'यहीं रुक जा, हिलना मत।' इसके बाद सभी लोग शाहनवाज को लेकर बाहर आते हैं और नीले रंग की सूमो में डालकर निकल जाते हैं, कहाँ मुझे नहीं पता। फिर मुझे व ड्राइवर को ये लोग गोमतीनगर फिर डालीबाग ले गए। गाड़ी रोकी गई, हमसे गाड़ी के अंदर ही 10-15 मिनट पूछताछ की गई। थोड़ी देर बाद वो हमें कृष्णा नगर, कैंट टहलाने के बाद छिदवा नगर पुलिस थाने ले गए, जहां हमें एक कमरे में बन्द कर दिया जाता है।

आशीष के मुताबिक, उनका मोबाइल भी छीन लिया गया। पत्रकार आशीष ने जब खुद के पत्रकार होने की बात कही तो तथाकथित पुलिस वालों ने गालियां बकते हुए पत्रकारिता भुला देने की बात कही। थाने में लगभग डेढ़ घंटे रखने के बाद कहा गया कि अपने घर से किसी को बुला लो, जिसके बाद आशीष ने अपनी बूढ़ी व बीमार मां व एक छोटे भाई का हवाला देते हुए बुलाने में असमर्थता जताई।

इसके बाद उन्हें थाने के लॉकअप से निकालकर दूसरी गाड़ी में बिठाया जाता है। आशीष कहते हैं, इस बार की टीम भी दूसरी थी। उनमें से एक नई उम्र का लड़का फोन पर बात करते हुए कह रहा था आज गिराए तीन विकेट। वो लोग गाड़ी को नॉवेल्टी सिनेमा के पास रोकते हैं। सभी पुलिसवाले कुछ खा-पीकर मुंह पोछते हुए आते हैं। उनमें से एक ने आकर हमसे कहा 'तुम्हें हजरतगंज थाने ले जा रहे हैं वहां किसी से कोई बात मत करना। थाने में हमें अंदर के कमरे में बिठाकर पूरा विवरण लिया जाता है।

तब तक भारत समाचार के ब्रजेश मिश्रा व अन्य लोगों ने वाटसअप ग्रुपों में मैसेज किया, 'शाहनवाज की गिरफ्तारी एक पत्रकार भी बिना कारण गिरफ्तार' ये सब होने के बाद एक सिपाही को मेरी सुपुर्दगी की गई, जिसके बाद रात में एक डेढ़ बजे मुझे छोड़ा गया। यदि ये तमाम लोग ग्रुपों में मैसेज ना करते तो मुझे भी हेलीकाप्टर बना देते।

शाहनवाज की गिरफ्तारी का कारण पूछने पर आशीष बताते हैं, '19 दिसम्बर को दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक शाहनवाज आलम अजय कुमार लल्लू के साथ पुलिस अभिरक्षा में पुलिस लाइन में थे। दूसरी बात आज तक किसी भी एफआईआर में शाहनवाज का नाम नहीं है। अगर एफआईआर, चार्जशीट में नाम नहीं है तो आप किस आधार पर उठा रहे हैं।

वहीं कांग्रेस की तरफ से बयान आ रहा है कि शाहनवाज हिंसा के वक्त घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे, क्योंकि वह उस दिन अजय कुमार लल्लू के साथ दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक पुलिस अभिरक्षा में थे, जबकि हिंसक टकराव सबा तीन बजे शुरू हुआ था।

गौरतलब है कि शाहनवाज आलम कांग्रेस में शामिल होने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता थे। यूपी के बलिया निवासी शाहनवाज रिहाई मंच के संस्थापक सदस्य थे। एक दशक तक रिहाई मंच के साथ काम करने के बाद वह सक्रिय राजनीति में आ गए, जिसके बाद 2018 में वह कांग्रेस पार्टी जॉइन करके अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष बना दिये गए। आशीष के मुताबिक शाहनवाज को अभी 14 दिन के लिए पुलिस की निगरानी में क्वारन्टीन रखा गया है। सामाजिक संस्था रिहाई मंच ने भी शाहनवाज आलम की गिरफ्तारी को लेकर रोष व्यक्त किया है।

शाहनवाज की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने लल्लू की अगुवाई में जबरदस्त प्रदर्शन किया, जिसमें पुलिस से झड़पें हुईं। हजरतगंज पुलिस ने लल्लू समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी करने के बाद रिहा कर दिया। इस झड़प में पुलिस ने हजरतगंज थाने में कांग्रेसियों पर लाठीचार्ज भी किया, जिससे एक कार्यकर्ता का हाथ टूट जाने की भी खबर है। लाठीचार्ज करते हुए सभी कांग्रेसियों को थाने से खदेड़ दिया गया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में शाहनवाज आलम की गिरफ्तारी को लेकर आक्रोश बना हुआ है।

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